नई दिल्ली: हर साल की तरह इस साल भी यूनियन बजट का सबको बेसब्री से इंतजार है। राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ-साथ हर आम आदमी को भी केंद्र सरकार के सामान्य बजट से बहुत उमीद होती है, तो आइए जानते हैं बजट से जुड़ी बातें...
क्या होता है बजट:
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में पेश किया जाता है।
-यह भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री संसद में पेश करते हैं।
-बजट को 1 अप्रैल से लागू कराने से पहले इसे सदन में पारित करना आवश्यक होता है।
-पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा 8 बार बजट पेश किया है।
आजादी से पहले का बजट:
-भारत में बजट की शुरुआत करने का श्रेय ब्रिटिश-भारत के पहले वायसराय लार्ड केनिंग को जाता है, जो 1856-62 तक भारत के वायसराय रहे।
-1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1859 में पहली बार एक फाइनेंशियल एक्सपर्ट जेम्स विल्सन को वायसराय की कार्यकारिणी का फाइनैन्स मेंबर नियुक्त किया गया।
-जेम्स विल्सन ने 1860 में वायसराय की काऊंसिल में पहली बार बजट पेश किया।
-उन्होंने ब्रिटिश फाइनैन्स मिनिस्टर की परंपरा का अनुसरण करते हुए अपने भाषण में भारत की वित्तीय स्थिति को पेश किया, इसलिए जेम्स विल्सन को भारतीय बजट पद्धति का संस्थापक कहा जा सकता है।
-उस समय भारत एक गुलाम देश था इसलिए इस बजट पर भारतीय प्रतिनिधियों को बहस करने का अधिकार नहीं था।
-सन् 1947 में देश आजाद हुआ। उसके बाद भारतीय संसद एवं विधानसभाओं को बजट पर नियंत्रण के पूर्ण अधिकार प्राप्त हो गए।
आजादी के बाद का बजट
-आजादी के पहले 1920 तक संयुक्त रूप से केवल एक ही बजट बनता था।
-1921 में सामान्य बजट से रेल बजट को अलग कर दिया गया।
-26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट आरके सन्मुखम चेट्टी ने पेश किया था।
-इस बजट के बाद से ही भारत में केंद्रीय स्तर पर दो बजट पेश किए जाने लगे, आम बजट और रेल बजट।
-इसके अलावा हर राज्य का अपना अलग-अलग बजट होता है।
-बजट के डॉक्युमेंट्स की छपाई नीले रंग की होती है।
बजट पेश करने का समय
-साल 2000 तक बजट का समय शाम 5 बजे होता था।
-साल 2001 मे एनडीए सरकार मे वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने पहली बार दोपहर 11 बजे बजट पेश किया।
-बजट को फरवरी महीने के अंतिम वर्किंग डे पर पेश किया जाता है।
बजट से पहले होती है हलवा खाने की रस्म
-भारतीय रीति-रिवाजों मे किसी भी शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाने की रस्म होती है।
-इसी रस्म को आगे बढ़ते हुए देश मे बजट के डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग से पहले संसद मे भी बजट पेश करने से पहले नॉर्थ ब्लॉक मे हलवा बनाया जाता है और वित्त मंत्री समेत मंत्रालय के अन्य कर्मचारी हलवा चखते हैं।