जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल ऐक्ट को मंजूरी, इस ट्रस्ट से बाहर होगा गांधी परिवार

जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल संशोधन बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिली है। इसके साथ ही अब कांग्रेस अध्यक्ष इस ट्रस्ट के सदस्य नहीं रहेंगे। जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल एक्ट, 1951 के मुताबिक ट्रस्ट को मेमोरियल के निर्माण के साथ प्रबंधन का अधिकार है। इसके अलावा इस एक्ट में ट्रस्टियों के चुनने, उनकी कार्य अवधि के बारे में भी बताया गया है।

Update: 2019-11-19 16:34 GMT

जयपुर: जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल संशोधन बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिली है। इसके साथ ही अब कांग्रेस अध्यक्ष इस ट्रस्ट के सदस्य नहीं रहेंगे। जलियांवाला बाग नैशनल मेमोरियल एक्ट, 1951 के मुताबिक ट्रस्ट को मेमोरियल के निर्माण के साथ प्रबंधन का अधिकार है। इसके अलावा इस एक्ट में ट्रस्टियों के चुनने, उनकी कार्य अवधि के बारे में भी बताया गया है।

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अब तक कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही इस मेमोरियल के ट्रस्ट का पदेन सदस्य रहा है, संशोधित बिल के बाद अब ऐसा संभव नहीं होगा। लोकसभा में नेता विपक्ष इस ट्रस्ट का हिस्सा होंगे। आपको ये भी बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन सदस्यता से हटाने के चलते अब गांधी परि

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वार का कोई भी सदस्य ट्रस्ट का हिस्सा नहीं रहेगा। इससे पहले सोनिया गांधी, राहुल गांधी और फिर दुबारा सोनिया के ही कांग्रेस अध्यक्ष बनने के चलते लंबे समय से गांधी परिवार का कोई न कोई सदस्य इस ट्रस्ट में हमेशा से शामिल रहता था लेकिन अब लोकसभा में नेता विपक्ष के तौर पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी इस ट्रस्ट के सदस्य होंगे। सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान इस बिल को लोकसभा में पेश किया था, जिसे ध्वनिमत से पारित करा लिया गया था। इस बिल को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गयी है।

बीजेपी सांसद बोले, बिना खड्ग-बिना ढाल नहीं पाई आजादी

राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि जलियांवाला बाग में हजारों लोगों ने बलिदान दिया था इसलिए भविष्य में यह नहीं कहा जाना चाहिए कि भारत को आजादी बिना रक्त बहाए मिली ।' उन्होंने ये भी कहा कि ये कहना गलत होगी कि आजादी हमें बिना खड्ग और बिना ढाल के मिली क्योंकि आजादी की इस लड़ाई में हजारों लोगों ने गोलियां झेलीं और अपना खून बहाया।

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पीएम होंगे ट्रस्ट के मुखिया, पंजाब के सीएम भी सदस्य

राज्य सभा में पारित बल के नये प्रावधानों के मुताबिक केंद्र सरकार को अब यह अधिकार दिया गया है कि वह ट्रस्ट के किसी सदस्य का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उसे हटा सकती है। इससे पहले 2006 में यूपीए सरकार ने ट्रस्ट के सदस्यों को 5 साल का तय कार्यकाल देने का प्रावधान किया था। फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी इस ट्रस्ट के प्रमुख हैं।

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