नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू मामले में सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने सवाल किया है कि हजारो साल पुरानी जलीकट्टू को परंपरा के नाम पर क्या इजाजत देनी चाहिए भले ही वह कानून के दायरे में नहीं आता हो।
कोर्ट ने 18वीं शताब्दी में होने वाले बाल विवाह के बारे में बताया कि पहले 12 साल से कम उम्र की बच्चियों का विवाह होता था, जो अब नहीं होता, तो क्या उसे भी परंपरा के नाम पर इजाजत दी जाए।
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कोर्ट ने कहा कि अगर तमिलनाडू सरकार हमें संतुष्ट करे कि हमारा रोक लगाने का फैसला सही नहीं है तो हम मामले को संवैधानिक बेंच को भेज देंगे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त तक के लिए टाल दी है।