Delhi: भारत खुदा के सबसे पहले पैगंबर की जमीन, इसलिए इस्लाम यहां का सबसे पुराना मजहब, बोले जमीयत प्रमुख मदनी

Delhi: भारत मुसलमानों का पहला वतन है। इसलिए यह समझना गलत है कि इस्लाम बाहर से भारत में आया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-02-11 14:17 IST

Jamiat chief mahmood Madani (photo: social media )

Delhi: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलान महमूद मदनी ने बड़ा बयान दिया है। मदनी ने कहा कि भारत खुदा के सबसे पहले पैगंबर अब्दुल बशर सईदाला आलम की जमीन है। ये धरती इस्लाम की जाए-ऐ-पैदाइश है। भारत मुसलमानों का पहला वतन है। इसलिए यह समझना गलत है कि इस्लाम बाहर से भारत में आया है। मदनी ने कहा कि इस्लाम भारत के सारे मसाजिद और सारे धर्मों में सबसे पुराना मजहब है। जमीयत प्रमुख ने ये बातें दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित संगठन के 34वें महाधिवेशन में कही।

मौलान महमूद मदनी ने इस दौरान केंद्र सरकार को जमकर निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के प्रति नफरत और उकसावे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस्लामोफोबिया में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ अलग कानून बनाने की वकालत की। मदनी ने कहा कि इस्लाम बाहर से भारत में नहीं आया है। यह मुल्क जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, उतना ही ये महमूद मदनी का भी है।

यूसीसी पर सरकार को चेताया

अधिवेशन में बोलते हुए जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने मोदी सरकार को सामान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर चेताया भी। उन्होंने साफ तौर पर इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे देश की एकता, विविधता और अखंडता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि यूसीसी केवल मुसलमानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह देश के विभिन्ना सामाजिक समूहों, जातियों, समुदायों और सभी वर्गों से संबंधित है।

जमीयत प्रमुख ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की कवायद वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है। वर्तमान सरकार यूसीसी पर अदालतों को गुमराह कर रही है। सरकार इसके जरिए मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करना चाहती है। तीन तलाक और हिजाब जैसे मसलों पर शरीयत के नियमों और कुरान के आयातों की मनमानी व्याख्या कर सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। उन्होंने कहा कि इससे देश में अस्थिरता और आपसी अविश्वास बढ़ेगा।

मदरसों के बारे में संदेह फैलाया जा रहा

महमूद मदनी ने असम और उत्तर प्रदेश में मदरसों को लेकर हुई कार्रवाईयों की ओर इशारा करते हुए कहा कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां मदरसों के खिलाफ संदेह फैला रही हैं। छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।

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