आतंकियों के पास तगड़े कारतूस, भारतीय जवान हैं निशाने पर, अलर्ट हुई सेना

अब एक बार फिर से घाटी में स्टील की गोलियां बरामद हुई हैं, जिसके बाद सुरक्षाबल अलर्ट पर हैं। आपको बता दें कि दुनियाभर में स्टील के इन कारतूसों पर प्रतिबंध है, लेकिन चीन इसका निर्माण करता है।

Update:2021-03-22 12:01 IST
आतंकियों के पास तगड़े कारतूस, भारतीय जवान हैं निशाने पर, अलर्ट हुई सेना

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आए दिन आतंकी गतिविधियां देखने को मिलती हैं। भारत में आतंक फैलाने के लिए दहशतगर्द नई नई साजिशों को अंजाम देने की फिराक में लगे रहते हैं। हालांकि भारतीय सेना की मुस्तैदी से उनके किसी भी चाल पर पानी फिर जाता है। हालांकि इस बीच आतंकी के पास मिली चीन निर्मित स्टील की गोलियों ने सुरक्षाबलों के कान खड़े कर दिए हैं।

जैश के आंतकी के पास मिली थी चीन निर्मित गोलियां

दरअसल, बीते सप्ताह दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के रावलपोरा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में आतंकी संगठन जैश के कमांडर आतंकी विलायत हुसैन उर्फ सज्जाद अफगानी को ढेर कर दिया था। उसके पास से सुरक्षाबलों को चीन निर्मित स्टील की 36 गोलियों मिली थीं, जिससे सुरक्षाबल अलर्ट पर आ गई हैं। साथ ही अपने वाहनों, बंकरों और जवानों की बुलेट प्रूफिंग क्षमता को और मजबूत कर दिया है।

सतर्क हुई सुरक्षाबल

आपको बता दें कि बरामद हुई स्टील की गोलियों में सामान्य बुलेफ प्रूफ वाहनों और जवानों की बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने की क्षमता होती है। इस बारे में बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि विशेष तौर पर दक्षिण कश्मीर में अब तैनात किए जा रहे वाहन और जवान में सुरक्षा की एक परत और बढ़ा दी गई है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

स्टील की परत से खतरनाक बनते हैं ये हथियार

सामान्य तौर पर एके सीरीज राइफल्स में यूज होने वाली गोलियों और अन्य विस्फोटक पर चीनी तकनीक से हार्ड स्टील कोर की परत चढ़ाई जा रही है। जो गोलियों को और खतरनाक बनाती हैं और इससे गोलियों की भेदने की क्षमता और बढ़ जाती है। हाल ही में जैश के आतंकी के पास मिले कारतूस कठोर स्टील या टंगस्टन कार्बाइड से बने पाए गए हैं। इन्हें आर्मर पियर्सिंग यानी एपी कहा जाता है।

2017 में सबसे पहले मामला आया सामने

सबसे पहले साल 2017 में नए साल की पूर्व संध्या पर स्टील से निर्मित कारतूसों को इस्तेमाल किए जाने की घटना सामने आई थी। उस दौरान जैश के आंतकियों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के लेथपोरा में CRPF कैंप पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। इन सभी ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी थी, लेकिन इसके बाद भी इनकी जान नहीं बच सकी।

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31 दिसंबर, 2017 के हमले के बाद मामले गहनता से जांच की गई। जिसमें खुलासा हुआ कि हमलावर ने एके राइफल से गोली चलाई थी। वहीं, इसके बाद बीते आत्मघाती हमलों का विश्लेषण भी किया गया। तो विशेषज्ञों ने कहा कि अगस्त 2016 में दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में पुलिस लाइनों पर हुए हमले में आतंकियों ने स्टील की गोलियों का इस्तेमाल किया था। बता दें कि इस हमले में 6 सुरक्षाकर्मी अपनी जान गंवा बैठे थे।

(फोटो- सोशल मीडिया)

2019 में हुआ था आखिरी बार इस्तेमाल

आखिरी बार स्टील की गोलियों का इस्तेमाल जून 2019 में अनंतनाग में किया गया था। जिसमें सीआरपीएफ के पांच जवान और जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस निरीक्षक शहीद हो गए थे। इन्होंने भी बुलेट प्रूफ जैकेट्स पहनी हुई थी, लेकिन जान नहीं बच पाई।

अलर्ट पर सुरक्षाबल

अब एक बार फिर से घाटी में स्टील की गोलियां बरामद हुई हैं, जिसके बाद सुरक्षाबल अलर्ट पर हैं। आपको बता दें कि दुनियाभर में स्टील के इन कारतूसों पर प्रतिबंध है, लेकिन चीन इसका निर्माण करता है। साथ ही पाकिस्तान के रास्ते यह खतरनाक कारतूस आतंकियों तक पहुंचते हैं।

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