अवैध तरीके से भारत में घुसे रोहिंग्या लोगों का जेल में बवाल, रिहाई को लेकर किया विरोध प्रदर्शन, गार्डों से भिड़े
Rohingya Crisis: 74 महिलाओं और 70 बच्चों सहित कुल 271 रोहिंग्या उप-जेल में बंद हैं। अवैध अप्रवासियों को रखने के लिए 5 मार्च, 2021 को इस जेल को"होल्डिंग सेंटर" के रूप में अधिसूचित किया गया था।
Rohingya Crisis: कहां म्यांमार और बांग्लादेश और कहां जम्मू! ढाई हजार किलोमीटर की दूरी है लेकिन इतनी लंबी दूरी तय करके हजारों बांग्लादेशी और म्यांमारी रोहिंग्या जम्मू में डेरा डाले हुए हैं। नई बात ये है कि जम्मू स्थित हीरानगर उप-जेल में रखे गए 271 रोहिंग्याओं ने अपनी रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन किया है और गार्डों से भिड़ गए। हालांकि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने विरोध को "सामान्य" बताते हुए कहा है कि रोहिंग्या लोग केंद्र से अपनी रिहाई के लिए पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस होल्डिंग सेंटर में पिछले दो वर्षों से 200 से अधिक रोहिंग्याओं को रखा गया है।
271 बन्द हैं होल्डिंग सेंटर में
74 महिलाओं और 70 बच्चों सहित कुल 271 रोहिंग्या उप-जेल में बंद हैं। अवैध अप्रवासियों को रखने के लिए 5 मार्च, 2021 को इस जेल को"होल्डिंग सेंटर" के रूप में अधिसूचित किया गया था।
क्यों हुआ बवाल
होल्डिंग सेंटर के अंदर विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब सुबह एक महिला बीमार पड़ गई। बवाल होने पर वरिष्ठ पुलिस और जेल अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और अब स्थिति नियंत्रण में बताई जाती है। बताया जाता है कि जेल के मुख्य द्वार के पास पहुंचे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया।
बेमियादी अनशन किया था
मई महीने में रोहिंग्याओं होल्डिंग सेंटर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। इनकी मांग थी कि या तो उन्हें रिहा किया जाए या उनके मूल देश में निर्वासित किया जाए। वरिष्ठ पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा उन्हें समझाने के बाद उन्होंने अपना विरोध बंद कर दिया।
हिरासत में लिए गए अधिकांश विदेशी नगरिक एक विशेष सत्यापन अभियान के दौरान जम्मू में अवैध रूप से रहते हुए पाए गए थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से अधिक विदेशी जम्मू और कश्मीर के जम्मू और सांबा जिलों में बसे हुए हैं। 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी 6,000 से अधिक बढ़ गई थी। अपने देश में उत्पीड़न के कारण, रोहिंग्या लोग बांग्लादेश के माध्यम से अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए और जम्मू और देश के अन्य हिस्सों में शरण ली।
जम्मू में कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के निर्वासन के लिए केंद्र से आग्रह कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उनकी उपस्थिति क्षेत्र में "जनसांख्यिकीय चरित्र को बदलने की साजिश" और "शांति के लिए खतरा" है।