हताश आतंकियों की ये आखिरी कोशिश, हर शख्स अगला टार्गेट

जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए विदेशी दूतों (राजनयिकों) में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के भी राजनयिक शामिल हैं। राजदूत लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित स्थानीय निकायों को मजबूत करने की दिशा में किये गये प्रयासों का जायजा लेने आए थे।

Update:2021-02-19 23:09 IST
राजनयिकों के दौरे के दौरान हुए हमले की जिम्मेदारी मुस्लिमा जांबाज फोर्स जम्मू और कश्मीर नामक कथित उग्रवादी संगठन ने ली थी।

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: जम्मू कश्मीर में तीन दिन के भीतर दूसरी बार आतंकी हमला हुआ है। ये हमले इस बात के संकेत हैं कि किसी को 24 विदेशी राजनयिकों की ये बात पसंद नहीं आयी है कि जम्मू कश्मीर में बदलाव नजर आता है। ये सचाई है कि अनुच्छेद 370 के कुछ हिस्से हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवाद अपनी अंतिम सांसे ले रहा है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, इरीट्रिया के राजदूत एलेम शाव्ये ने उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को धन्यवाद ज्ञापन के दौरान यह टिप्पणी की थी कि जम्मू कश्मीर में बदलाव नजर आता है।

जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए विदेशी दूतों (राजनयिकों) में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के भी राजनयिक शामिल हैं। राजदूत लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित स्थानीय निकायों को मजबूत करने की दिशा में किये गये प्रयासों का जायजा लेने आए थे। इस बात का यहां जिक्र इस लिए और महत्वपूर्ण है कि इससे पहले जहां हमला हुआ था उससे कुछ ही दूरी पर राजनयिक ठहरे थे।

जम्मू-कश्मीर अब विकास का गवाह बन रहा

इरीट्रिया के राजदूत एलेम शाव्ये ने तो यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का राजनयिक दौरा ‘‘आंखें खोलने’’ वाला है और दौरे से केंद्र शासित प्रदेश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर समझ बेहतर हुई है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर अब विकास का गवाह बन रहा है।

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गौरतलब है कि राजनयिकों के दौरे के दौरान हुए हमले की जिम्मेदारी मुस्लिमा जांबाज फोर्स जम्मू और कश्मीर नामक कथित उग्रवादी संगठन ने ली थी। इस संगठन ने एक पत्र में लिखा था "आज तारीख 17 फरवरी 2021 को मुस्लिम जांबाज़ फोर्स से वाबस्ता मुजाहिदीन ने दुर्गा नगर डल गेट श्रीनगर में कृष्णो होटल के मालिक पर हमले की ज़िम्मेदारी कुबूल की है और आइंदा और हमले करने के हुक्म भी जारी किए हैं।"

खत में लिखा था,"कथित डोमिसाइल कानून की आड़ में आबादी का अनुपात बदलने के लिए किसी को भी इजाज़त नहीं दी जाएगी। गैर मुल्की यानी हिंदुस्तानी शहरियत को कोई भी शख्स डोमिसाइल लेने वाला हर शख्स हमारा अगला टार्गेट होगा।" इसके अलावा "जायदाद खरीदने वाला दलाली करने वाला हमारा निशाना होगा। मुस्लिम जांबाज फोर्स ने ऑपरेशन में शामिल मुजाहिदीन के लिए इनाम को ऐलान किया है।"

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पत्थरबाजी की घटनाएं बीते दिनों की बात हो गई

कुल मिलाकर इस संगठन की मंशा विदेशी राजनयिकों के सामने देश की छवि खराब करने की थी और है। जबकि ये बात किसी से छिपी नहीं है कि अनुच्छेद 370 निरस्त होने के डेढ़ साल के भीतर ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अंतिम सांसें गिन रहा है। घाटी में आतंकवादियों की संख्या न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। जो बचे हैं उनमें भी ज्यादातर स्थानीय और नए आतंकी हैं। मुठभेड़ के दौरान भी बड़ी संख्या में आतंकवादी समर्पण कर रहे हैं। पत्थरबाजी की घटनाएं बीते दिनों की बात हो गई है।

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जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के पहले और आज की स्थिति में अंतर का साफ-साफ देखा जा सकता है। इस दौरान न सिर्फ घाटी में आतंकियों की संख्या घटी है, बल्कि उन्हें समर्थन देने वालों का मनोबल भी कमजोर हुआ है।

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