J&k Target Killings: कश्मीर में हत्यारों का टारगेट कौन? जानें क्यों नहीं थम रहा खूनी सिलसिला

Jammu Kashmir Total killings: आतंकी अब ऐसे लोगों को टारगेट कर रहे हैं जो अल्पसंख्यक हैं या अन्य राज्यों से कामकाज के सिलसिले में यहां आए हैं। इसके अलावा उन स्थानीय मुस्लिमों को भी टारगेट किया जा रहा है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-08-12 08:03 GMT

J&k Target Killings : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या का सिलसिला जारी है। विशेषकर कश्मीर घाटी में हालात सबसे अधिक चिंताजनक हैं। जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद सरकार और सुरक्षाबलों के सामने आतंकी संगठनों ने नई चुनौती पेश की है। उन्होंने अब ऐसे लोगों को टारगेट करना शुरू कर दिया है, जो अल्पसंख्यक हैं या अन्य राज्यों से कामकाज के सिलसिले में यहां आए हैं। इसके अलावा उन स्थानीय मुस्लिमों को भी टारगेट किया जा रहा है, जिसे लेकर उन्हें संदेह है कि वे भारत समर्थक हैं।

इसी क्रम में शुक्रवार तड़के बांदीपोरा जिले के सादुनारा गांव में आतंकियों ने एक प्रवासी मजदूर को गोलियों से भून दिया। मजदूर की पहचान मोहम्मद अमरेज (19 वर्ष) के रूप में हुई है जो कि बिहार के मधेपुरा जिले का रहने वाला था। वह अपने भाई के साथ यहां मजदूरी का काम करता था। कश्मीर में काम कर रहे बिहार के श्रमिकों की संख्या अच्छी-खासी है। लिहाजा आतंकियों के सबसे अधिक टारगेट भी वो ही बन रहे हैं। बीते 10 महीनों में ही आतंकियों ने बिहार के सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

5 सालों में इतने प्रवासी मजदूरों की हुई हत्या

दहशतगर्दों ने जम्मू कश्मीर में पिछले पांच सालों में यानी 2017 से जुलाई 2022 तक 28 प्रवासी मजदूरों की हत्या कर दी। इनमें सबसे अधिक बिहार मजदूर हैं। इसके बाद यूपी, महाराष्ट्र और झारखंड समेत अन्य राज्यों के मजदूर हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि 5 अगस्त 2019 के बाद से यहां की परिस्थितियां बदली है। सुरक्षा इंतजाम इतने कड़े कर दिए गए हैं कि अब व्यापक स्तर पर पत्थरबाजी और अन्य संगठित हिंसक विरोध-प्रदर्शनों की घटना न के बराबर हो गई है। इस दौरान बड़े पैमाने पर आतंकियों का सफाया भी किया गया है। कश्मीर के हालात भी धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे थे। इन सब चीजों से हताश आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। कश्मीर में फिर से खौफ का माहौल खड़ा करने और विदेशों में भारत की कश्मीर पॉलिसी को कटघरे में खड़ा करने के लिए अब वे अल्पसंख्यकों, निहत्थे पुलिसकर्मियों, मासूम नागरिकों, राजनेताओं और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।


दो सालों में हुई टारगेट किलिंग की प्रमुख घटनाएं  

2021 की प्रमुख घटनाएं- 5 अक्टूबर को आतंकवादियों ने श्रीनगर के लाल बाजार में स्ट्रीट फूड विक्रेता वीरेन्द्र पासवान की हत्या कर दी। पासवान बिहार के भागलपुर जिले के रहने वाले थे। इसी महीने की 16 तारीख को आतंकवादियों ने श्रीनगर में बिहार के एक फेरीवाले अरविंद कुमार साह और पुलवामा में यूपी के बढ़ई सगीर अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अगले ही दिन यानी 17 अक्टूबर को कुलगाम में आतंकवादियों ने बिहार के रहने वाले दो प्रवासी मजदूरों राजा रेशी देव और जोगिंदर रेशी देव  को गोलियों से भून दिया था। 

मई 2022 की प्रमुख घटनाएं- 7 मई को श्रीनगर के जूनीमार इलाके में निहत्थे पुलिस कॉन्स्टेबल गुलाम सन डार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 12 मई को कश्मीरी पंडित और क्लर्क राहुल भट्ट की तहसीलदार दफ्तर में हत्या कर दी गई। अगले ही दिन यानी 13 मई को जम्मू कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल रियाज अहमद ठोकर की पुलवामा में उन्हीं के घर के बाहर गोली मार दी गई । 17 मई को कश्मीर के बारामूला में प्रवासियों को निशाना बनाते हुए एक शराब की दुकान पर ग्रेनेड से हमला किया गया, जिसमें रंजीत सिंह नामक शख्स की मौत हो गई। 24 मई को श्रीनगर के सौरा इलाके में पुलिसकर्मी सैफुल्लाह कादरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 25 मई को बडगाम इलाके में आतंकवादियों ने टीवी कलाकार आमरीन भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी। 31 मई को कुलगाम में एक हिंदू महिला टीचर रजनी बाला को सरकारी स्कूल में मौत के घाट उतार दिया गया।

जून 2022 की प्रमुख घटनाएं- 2 जून को आतंकवादियों ने राजस्थान के रहने वाले बैंक मैनेजर विजय कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। विजय इलाकाही देहाती बैंक में मैनेजर थे। उसी दिन बडगाम में दहशतगर्दों ने एक प्रवासी मजदूर को भी गोली मार दी थी। मृतक दिलखुश कुमार मात्र 17 साल का था। वह बिहार का रहने वाला था।

अगस्त 2022 में अब तक की घटना-  4 अगस्त को आतंकवादियों ने पुलवामा के गदूरा इलाके में काम करने वाले अप्रवासी मजदूरों पर ग्रेनेड से हमला किया था। इस हमले में एक मजदूर की मौत और दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मरने वाले की पहचान बिहार के सकवा परसा निवासी मोहम्मद मुमताज के रूप में हुई थी। इसके बाद 12 अगस्त को आतंकियों ने बिहार के रहने वाले मोहम्मद अमरेज की गोली मारकर हत्या कर दी।


गैर-कश्मीरी लोगों की हत्या के पीछे की वजह

कश्मीर से धारा- 370 हटने के बाद इस बात की चर्चा सबसे अधिक थी कि 1990 के दशक में आतंकवाद के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश होने वाले कश्मीरी पंडितों को पुनः बसाया जाएगा। दरअसल उस दौरान कश्मीर घाटी में हिंसक घटनाएं चरम पर थी। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी और अलगाववादी गुट कश्मीर पंडितों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को जमकर निशाना बना रहे थे। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 5 लाख कश्मीरी पंडितों ने उस दौरान घाटी छोड़ी थी। ऐसे में गैर-कश्मीरी और यहां रह रहे कुछ कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाकर आतंकवादी कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना चाहते हैं। अपने इस नापाक इरादे में वह काफी हद तक सफल भी नजर आ रहे हैं।


प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान

भारत ने जब से कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त किया है, तब से पाकिस्तान बेचैन है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार भारत को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहा है। वह कश्मीर विवाद को मुस्लिम देशों के सामने इजरायल- फिलिस्तीन विवाद की तरह पेश करना चाह रहा है। इसके अलावा, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर के लोगों को यह कह कर भड़का रहा है कि धारा- 370 हटाने के बाद अब गैर- कश्मीरी तुम्हारी नौकरियां और जमीनों को हथिया लेंगे। यही वजह है कि इन हत्याओं में ज्यादातर लोकल आतंकवादी शामिल रहे हैं। 

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