Shinzo Abe Death: शिंजो आबे हत्याकांड से भारत में नेताओं की हत्या के जख्म हुए ताजा

शिंजो आबे की सनसनीखेज हत्या ने पूरी दुनिया को एक बार फिर झकझोर दिया है। इस घटना से भारत के तमाम नेताओं की हत्या की घटनाओं की याद ताजा हो गई है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Update:2022-07-08 16:49 IST

भारत में नेताओं की हत्या 

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Shinzo Abe Murder: शिंजो आबे (Shinzo Abe) की सनसनीखेज हत्या ने पूरी दुनिया को एक बार फिर झकझोर दिया है। इस घटना से हिल गए लोगों को विश्व के तमाम नेताओं की हत्या की घटनाओं की याद ताजा हो गई है। जिसमें जॉन एफ कैनेडी (John F Kennedy), अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln), ओलोफ पाल्मे, मार्टिन लूथर किंग, बेनजीर भुट्टो, आर्चड्यूक फ्रेंज फर्डिनेंस, विलियम मैकिन्ले, जेम्स गारफील्ड के नाम प्रमुखता से शामिल हैं। इसके अलावा भारत में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), प्रताप सिंह कैरो (Pratap Singh Kairo), बलवंत राय मेहता, केबी सहाय, ललित नारायण मिश्र, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), बेअंत सिंह, राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के नाम प्रमुख हैं। आइए जानते हैं भारत ने हिंसा में किन नेताओं को खोया है।

भारत में इन नेताओं की हुई हत्या

स्वतंत्रता के बाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नायक मोहनदास करमचंद गांधी की 1948 में हुई हत्या सबसे बड़ा जख्म थी। जिसे देश आज तक नहीं भूल पाया है। 30 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या नाथूराम गोंडसे ने देश के विभाजन के विरोध में की थी। इसके बाद 1965 में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो की हत्या हुई। जिसे निजी दुश्मनी के चलते अंजाम दिया जाना बताया गया। लोग इस हत्या के सदमे से जब तक उबर पाते गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता की हत्या हो गई। मेहता की हत्या 1965 की भारत पाकिस्तान जंग के दौरान पाकिस्तान एयरफोर्स के फाइटर जेट से मेहता के विमान को निशाना बनाकर कच्छ में हुई। पाकिस्तान जेट का पायलट कैस हुसैन था।

1969 में केरल में एमएलए के कुन्हाली की हत्या हुई। 1970 में महाराष्ट्र में विधायक कृष्णा देसाई की हत्या हुई। 1972 में केरल में वाममोर्चा के संयोजक अझिकोडन राघवन (Left Front Convenor Azhikodan Raghavan) और झारखंड में माकपा नेता मंजूरुल हसन खान की हत्या हुई। 1974 में बिहार के मुख्यमंत्री केबी सहाय (KB Sahai) की हत्या हुई तो 1975 में रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या हुई।

इसके बाद सबसे बड़ी घटना भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की 30 अक्टूबर 1984 को उनके आवास पर की गई हत्या की घटना थी। इंदिरा गांधी की हत्या उनके सुरक्षा कर्मियों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में आपरेशन ब्लू स्टार चलाए जाने के विरोध में की। इस घटना के बाद देश में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए और सिखों को मारा गया।

1985 में सांसद ललित माकन की हत्या हुई। 1988 में विधायक वांगावीत मोहन रंगा की आंध्र प्रदेश में हत्या हुई। 1991 में पंजाब की मंत्री मलकीत सिंह सिंधू की हत्या हुई। इसी साल बिहार के कैबिनेट मंत्री नगीना राय की हतया हुई।

1991 एक बार फिर भारतीय राजनीति के धब्बा बना जब 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्री पेरुम्बदूर में चुनाव सभा के दौरान विपक्ष के नेता राजीव गांधी की मानव बम ने हत्या कर दी यह हत्या श्रीलंकाई आतंकी संगंठन लिट्टे ने कारित कराई।

इसके बाद 1993 में प्रेम नारायण शर्मा, 1994 में रामदास नायक, 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेंत सिंह, 1998 में ब्रज बिहारी दास, 2000 में अलिमिनेती माधव रेड्डी, 2001 में अब्दुल गनी लोन, फूलन देवी, राग्या नायक, 2003 में हरेन पांड्या, 2005 में कृष्णानंद राय, परितला रवींद्र, राजो सिंह, 2006 में भाजपा नेता प्रमोद महाजन, 2010 में मदन तमांग, 2012 में टीपी चंद्रशेखरन, 2013 में महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, कांग्रेस नेता विद्या चरण शुक्ल, दिलीप सरकार, 2015 में गोविंद पंसारे की हत्या हुई।

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