JNU New Rules: कट्टर प्रतिद्वंदी ABVP और AISA जेएनयू के नए नियम के खिलाफ आए साथ, जानें क्या है पूरा मामला
JNU Rules: अधिकतर समय यह विश्वविद्यालय वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के बीच विवाद और हिंसा को लेकर चर्चाओं में रहता है। एकबार फिर यह चर्चित शिक्षण संस्थान सुर्खियों में है।
Jawaharlal Nehru University New Rules: देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों में शुमार दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय विभिन्न वजहों से निरंतर खबरों में बना रहता है। अधिकतर समय यह विश्वविद्यालय वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के बीच विवाद और हिंसा को लेकर चर्चाओं में रहता है। एकबार फिर यह चर्चित शिक्षण संस्थान सुर्खियों में है। दरअसल, जेएनयू प्रशासन ने कैंपस में होने वाले विवादों को खत्म करने के लिए बेहद सख्त नियम लागू कर दिया है, जिसका भारी विरोध हो रहा है। अपनी अदावत के लिए मशहूर अखिल भारतीय विद्याथी परिषद (एबीवपी) और ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (एआईएसए) के स्वर पर भी इस मुद्दे पर समान सुनाई दे रहे हैं।
राइट विंग छात्र संगठन एबीवीपी और लेफ्ट विंग छात्र संगठन आईसा दोनों इसका तीखा विरोध कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं जेएनयू के उस नए नियम के बारे में जिसके कारण कैंपस में एकबार फिर तनाव उत्पन्न हो गया है। अबकी बार दोनों विचारधारा के संगठन जेएनयू प्रशासन के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।
जेएनयू के नए नियम
- कैंपस में हिंसा करने पर दाखिला रद्द हो सकता है या फिर 30 हजार रूपये जुर्माना भरना पड़ सकता है।
- धरना या भूख हड़ताल करने पर लगेगा 20 हजार रूपये का जुर्माना।
- छात्र-छात्राओं के खिलाफ शिकायत की एक कॉपी माता-पिता को भी भेजी जाएगी।
- जुआ खेलने, अवैध रूप से हॉस्टल में रहने, रास्ता रोकने, गाली देने या आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
नए नियम संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि इसे कार्यकारी परिषद ने मजूरी दी है। यह परिषद जेएनयू का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है। नियमों का ये दस्तावेज करीब दस पेज का है। इसमें कई और बातें भी कही गई हैं। मसलन धोखाधड़ी के मामलों से कैसे निपटा जाए इत्यादि। दस्तावेज के मुताबिक, ये सभी नियम 3 फरवरी से लागू माने जाएंगे।
एबीवीपी ने बताया तुगलकी फरमान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र ईकाई एबीवीपी ने जेएनयू के नियम का कड़ा विरोध किया है। विद्यार्थी परिषद के सचिव विकास पटेल ने तो इसे तुगलकी फरमान करार दिया है। उन्होंने कहा कि पुराने नियम ही सख्ती के लिए काफी थे। इस कठोर आचार संहिता को वापस लिया जाए।
वहीं, वामपंथी छात्र संगठन आईसा से जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन साईं बाला जी ने कहा कि जेएनयू भविष्य में छात्र विरोधी नीतियां लाने की तैयारी में है। इसलिए पहले ही इस तरह की सख्त सजा तय कर दी गई है कि छात्र उनका विरोध ही नहीं कर सके।
बता दें कि हाल ही में गुजरात दंगों पर पीएम मोदी को लेकर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री और छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जेएनयू में दक्षिणपंथी और वामपंथी छात्र संगठनों के बीच जमकर बवाल हुआ था।