Bihar: जदयू ने बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए बढ़ाया दबाव, मोदी सरकार के लिए पैदा हो गई नई टेंशन
Bihar: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की जदयू की मांग नई नहीं है। इसके लिए जदयू के साथ ही बिहार के अन्य सियासी दल भी समय-समय पर मांग करते रहे हैं।
Bihar: केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार तो जरूर बन गई है मगर इस बार भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा न होने के कारण जदयू और टीडीपी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। दोनों दल समर्थन देने की कीमत वसूलने की कोशिश में जुटे हुए हैं। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी से 60,000 करोड़ की परियोजना मंजूर करा ली है तो दूसरी ओर जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए दबाव बढ़ा दिया है।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की जदयू की मांग नई नहीं है। इसके लिए जदयू के साथ ही बिहार के अन्य सियासी दल भी समय-समय पर मांग करते रहे हैं। अब केंद्र में बदले सियासी हालात के बाद जदयू की ओर से इसके लिए दबाव बढ़ाया जाने लगा है। बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह मांग और भी महत्वपूर्ण हो गई है। अब जल्द ही पेश होने वाले बजट में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि केंद्र सरकार की ओर से बिहार के संबंध में क्या ऐलान किया जाता है।
जदयू ने बढ़ाया मोदी सरकार पर दबाव
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट पेश किए जाने के पूर्व जदयू ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। जदयू की ओर से की गई यह मांग मोदी सरकार की टेंशन बढ़ने वाली साबित हो सकती है। जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि हमने विशेष राज्य के दर्जे की मांग दिल्ली तक पहुंचा दी है।
उन्होंने कहा कि हम शुरुआत से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। सभी को इस बात की पूरी जानकारी है कि बिहार के पास प्राकृतिक संसाधनों का अभाव है। इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए। बिहार में प्राकृतिक संसाधनों की कमी होने के भौगोलिक और ऐतिहासिक कारण है और इसमें बिहार के लोगों की कोई भूमिका नहीं है।
बिहार की मांग को पूरा करने का दबाव
नीतीश सरकार के मंत्री ने कहा कि हमारे पास खान-खदान नहीं है और कोई समुद्री किनारा नहीं है तो इसमें बिहार का कोई दोष नहीं है। यदि किसी प्रदेश के पास सोने की खदान है तो यह न तो वहां की प्रदेश सरकार की कोई उपलब्धि है और न वहां के लोगों की। हम लोग इतने भाग्यशाली नहीं है तो इसमें हमारा कोई दोष नहीं है। इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को पूरा किया जाना चाहिए।
मांझी भी कर रहे विशेष राज्य की मांग
मोदी सरकार में मंत्री बनने वाले जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी मांग को दोहराया है। मांझी के बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की जरूरत है और केंद्र सरकार को उदारता पूर्वक बिहार को फंड मुहैया कराना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए केंद्र सरकार को यह जरूरी कदम जरूर उठाना चाहिए। अगर यह कदम उठाया जाता है तो बिहार भी अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो जाएगा।
मोदी सरकार के लिए पैदा हुई नई टेंशन
इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 240 सीटों पर अटक गई थी और अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल कर सकी है। ऐसे में पार्टी को टीडीपी और जदयू दोनों के समर्थन की दरकार है। इस कारण माना जा रहा है कि मोदी सरकार के लिए बिहार से उठी यह इस डिमांड की अनदेखी करना मुश्किल साबित हो सकता है।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की नीतीश कुमार की ख्वाहिश काफी पुरानी है। अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अगर नीतीश कुमार अपने इस अभियान में कामयाब होते हैं तो निश्चित रूप से चुनाव में एनडीए को बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है। अगर नीतीश कुमार अपनी मुहिम में कामयाब हुए तो निश्चित रूप से वे बिहार के इतिहास में बड़ा कमाल दिखाने वाले व्यक्ति के रूप में दर्ज हो सकते हैं।
बिहार में विपक्ष ने भी बढ़ाया सरकार पर दबाव
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने वाले नीतीश कुमार अकेले व्यक्ति नहीं है। अनेक राजनीतिक दलों की ओर से भी यह मांग लंबे समय से उठाई जाती रही है और अब यह बिहार के लिए बड़ा भावुक मुद्दा बन गया है। बिहार के प्रमुख विपक्षी दल राजद की ओर से भी इस डिमांड के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि यदि नीतीश कुमार मौजूदा सियासी हालात में अपनी यह मांग पूरी करने में कामयाब नहीं हुए तो यह बिहार के लिए दुर्भाग्य साबित होगा।
बजट में बिहार के लिए हो सकता है बड़ा ऐलान
वैसे जानकारों का कहना है कि बिहार की यह मांग पूरी करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं है। इसके साथ ही यह भी सच्चाई है कि अगर मोदी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया तो अन्य राज्यों की ओर से भी इसके लिए दबाव बनाया जाएगा।
इस कारण माना जा रहा है कि 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट में बिहार के लिए कुछ बड़े ऐलान जरूर किए जा सकते हैं।। अब सबकी निगाह इस बात पर लगी हुई है कि इस बार के बजट में बिहार को क्या हासिल हो पाता है।