जेट एयरवेज मामले में सुनवाई आज
जेट एयरवेज को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाला बैंकों का कंसोर्टियम इन्वसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में ले जाने की तैयारी कर रहा है।
नई दिल्ली: जेट एयरवेज को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाला बैंकों का कंसोर्टियम इन्वसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में ले जाने की तैयारी कर रहा है। जेट एयरवेज के खिलाफ एसबीआई के नेतृत्व में 26 बैंकों के कंसोर्शियम ने मंगलवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवालिया याचिका दाखिल कर दी।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक बैंकों की याचिका पर बुधवार से सुनवाई शुरू होगी. बैंक के बाहर मामले को सुलझाने में विफल रहे हैं। न्यायाधिकरण इस पर बुधवार से सुनवाई करेगा। बैंकों को ठप पड़ी एयरलाइन से 8,500 करोड़ रुपये की वसूली करनी है।
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कभी जेट एयरवेज देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी एयरलाइन के तौर पर जानी जाती थी। 25 साल पहले इस एयरलाइन को टिकटिंग एजेंट से उद्यमी बने नरेश गोयल ने शुरू किया था। नकदी संकट और एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों को भुगतान नहीं कर पाने की वजह से गत 17 अप्रैल से जेट एयरवेज का परिचालन बंद है।
जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंक पिछले पांच महीने से एयरलाइन को चलती हालत में बेचने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन कई कारणों की वजह से वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए। बैंकों के अलावा एयरलाइन पर उसे माल और सेवाएं देने वालों का 10,000 करोड़ रुपये और कर्मचारियों के वेतन का 3,000 करोड़ रुपये का बकाया है। जेट एयरवेज के कर्मचारियों की संख्या 23,000 है।
पिछले कुछ साल के दौरान जेट एयरवेज का कुल नुकसान 13,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। इस तरह एयरलाइन पर कुल 36,500 करोड़ रुपये का बकाया है। घरेलू हवाई अड्डों पर एयरलाइन के स्लॉट सरकार ने अन्य विमानन कंपनियो को दे दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी उसके कुछ स्लॉट अन्य एयरलाइन को दिए गए हैं।
बैकों को अब तक के प्रयास में कर्ज में डूबी इस एयरलाइन के पुनरोद्धार के लिए किसी कंपनी से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। एतिहाद-हिंदुजा गठजोड़ ने हालांकि एयरलाइन में रुचि दिखाई है लेकिन उसकी ओर से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इसी वजह से बैंकों की सोमवार को हुई बैठक में एयरलाइन के मामले को एनसीएलटी में भेजने का फैसला किया गया।
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यह फैसला इन खबरों के बाद लिया गया है कि संघीय विधि प्रवर्तन एजेंसियों ने गोयल को निगरानी नोटिस में रखा है। साथ ही वे उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच शुरू करने जा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज के साथ व्यवसायिक सौदों में उधार देने वाली दो फर्मों शैमन व्हील्स और गग्गर एंटरप्राइजेज ने एयरलाइन के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए 10 जून को एनसीएलटी में अपील की थी। एयरलाइन पर शैमन व्हील्स का 8.74 करोड़ रुपये और गग्गर का 53 करोड़ रुपये का बकाया है।