रोल मॉडल बनना हो तो कोई मनिता दीदी से सीखें, इनकी चर्चा हर जुबान पर है

रोल मॉडल बनना हो तो कोई इनसे सीखे। रोल मॉडल बनने के लिए ​सिर्फ चकाचौंध की दुनिया ही जरूरी नहीं बल्कि जरूरत है मन में अपने काम के प्रति सच्ची लगन और ईमानदारी की। मनिता दीदी के हाथों में जैसे ही वह नवजात शिशु पहुंचा उसकी दुनिया ही बदल गयी।

Update: 2019-02-22 11:53 GMT

रोल मॉडल बनना हो तो कोई इनसे सीखे। रोल मॉडल बनने के लिए ​सिर्फ चकाचौंध की दुनिया ही जरूरी नहीं बल्कि जरूरत है मन में अपने काम के प्रति सच्ची लगन और ईमानदारी की। मनिता दीदी के हाथों में जैसे ही वह नवजात शिशु पहुंचा उसकी दुनिया ही बदल गयी। जिस नवजात शिशु को परिवारवालों ने मृत मान लिया था उसको मनिता दीदी का मन मृत मानने को तैयार नहीं था। सहिया मनिता दीदी के प्राथमिक उपचार के सहारे नावजात के किलकारी की गूंज मनीषा सिंह मुंडा के आंगन में गूंजने लगी। घर वाले मनिता को भगवान मानते हैं।झारखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम को समुदाय से जोड़ने तथा समुदाय को स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल कराने में सहिया कार्यकर्ता की अहम भूमिका है।मनिता दीदी सहिया कार्यकर्ता हैं।

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ऐसे बचाया जगरनाथ सिंह मुंडा को

झारखंड के जिस नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल में लोग दिन में कहीं आने जाने में घबराते हैं वहां सरायकेला-खरसावां जिले के उरमाल गांव में 27 जुलाई 2018 को मनीषा सिंह मुंडा ने एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद वह रोया नहीं । सांसें बेहद कमजोर थीं।शरीर में कोई हलचल नहीं थी। परिजन नवजात को मरा समझ बैठे। दफनाने की तैयारी में जुट गए। तभी रात दो बजे मनिता को इस बात की जानकारी मिली। बिना डरे आधी रात वह मनीषा सिंह मुंडा के घर पर पहुंच गईं। नवजात को छूकर देखा तो पता चला कि हल्की सांसें चल रही हैं। मुंह व नाक में गंदा पानी जमा है। तब मनीता ने तुरंत एक पाइप के जरिए बच्चे के नाक और मुंह से पानी निकाला और इसके तुरंत बाद बच्चा रोने लगा।जिस नवजात को मृत समझ कर परिजन व ग्रामीण दफनाने जा रहे थे, वह अब छह माह का हो गया है। जिसका नाम है- जगरनाथ सिंह मुंडा। सहिया कार्यकर्ता मनिता दीदी की समझ और लगन चर्चा चारों ओर हो रही है।

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मनिता के बारे कई ऐसी सच्ची घटनाएं है जिसमें वो गांव की महिलाओं की सेहत के लिए जान की बाजी लगा चुकी हैं। अपनी सक्रियता से कई जच्चा-बच्चा की जान बचा चुकी हैं।

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पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिया बधाई

पीएम नरेन्द्र मोदी ने झारखण्ड की आंगनबाड़ी बहनों से सीधा संवाद किया और सहिया बहन मनिता को एक बच्चे का सही वक्त पर इलाज कर एक नया जीवनदान दिये जाने के लिए बधाई दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा बहन मनिता और आंगनबाड़ी में समाज सेवा में जुटी तमाम बहनों को मेरा अभिवादन। झारखण्ड सरकार की ओर से उन्हें एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दिया।स्थानीय विधायक साधुचरण महतो ने सोने की बाली और साड़ी देकर उनका हौसला बढ़ाया।

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इस लिए मनिता दीदी ने चुना सहिया

मनिता दीदी ने वर्ष 2006 में ग्रामीणों ने सहिया चुना। मनिता स्वास्थ्य सेवा में जुटने के पीछे अपने दर्द को साझा करतीं है।मनिता देवी के तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ा पुत्र दिव्यांग है। कुछ बोल-सुन नहीं पाता। सिर्फ टुकुर-टुकुर देखता है।उसे देख कर मनिता की आंखें भर उठती हैं। कहती हैं, काश अगर मुझे भी गर्भ के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच और पौष्टिक भोजन मिला होता तो शायद बेटा दिव्यांग नहीं होता।

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झारखंड में सहिया कार्यकर्ता ग्राम सभा की स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण समिति के सदस्यों द्वारा चयनित स्वैच्छिक कार्यकर्ता है, जो समुदाय के विभिन्न वर्ग, जाति व उम्र के लोगों को स्वास्थ्य सहित अन्य सामाजिक विषयों पर जागरूक करने व स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करती है। इसमें सहायता करती है। सहिया को कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है।

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