Jharkhand: चंपई सोरेन के शपथ लेते ही पहली बगावत, विधायक ने पार्टी छोड़ने का किया ऐलान

Jharkhand: नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के सामने भी मुश्किलें कम नहीं हैं। उनके सामने बहुमत परीक्षण होने तक अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2024-02-03 03:56 GMT

CM Champai Soren , Lobin Hembram  (photo: social media )

Jharkhand: झारखंड में चंपई सोरेन को शुक्रवार को राजभवन में राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद उत्पन्न हुए संवैधानिक संकट का इस तरह पटाक्षेप हो गया लेकिन राज्य की राजनीति में अनिश्चितता अब भी बरकरार है। सोमवार पांच फरवरी को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है, जो राज्य में नई सरकार का सियासी भविष्य तय करेगा।

नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के सामने भी मुश्किलें कम नहीं हैं। उनके सामने बहुमत परीक्षण होने तक अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती है। इस बीच जेएमएम के अंदर से ही उनके खिलाफ बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं। संथाल परगना से आने वाले एक अन्य कद्दावर आदिवासी नेता और झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध किया है।

जेएमएम विधायक ने कर दी बगावत

बोरियो विधानसभा सीट से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक लोबिन हेंब्रम ने नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन संथाल परगना से जीतकर गए थे और मुख्यमंत्री बने पर आज ऐसा दिन देखना पड़ रहा है कि कोल्हान से जीते हुए चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया है। क्या संथाल परगना में आदिवासी नेता नहीं है ? खुशी की बात होती कि संथाल का मुख्यमंत्री होता, पर इन्होंने दुखी किया।

‘जेएमएम पर बाहरी लोगों का कब्जा’

लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही पार्टी के कुछ सवर्ण नेताओं का विरोध करते हुए कहा कि जेएमएम पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है। उनका निशाना विधायक मिथलेश ठाकुर पर था, जो सोरेन परिवार के करीबी माने जाते हैं। राजद कोटे से मंत्री बनाए गए सत्यानंद भोक्ता का भी हेंब्रम ने विरोध किया है। कई आरोपों की बौछार करने के बाद बोरियो विधायक ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।

40 विधायक हैदराबाद शिफ्ट

शुक्रवार को जब राजभवन में शपथग्रहण समारोह चल रहा था, ठीक उसी समय रांची एयरपोर्ट पर सत्तारूढ़ विधायकों का बड़ा जत्था प्लेन में सवार हो रहा था। गठबंधन के 40 विधायकों को चार्टर प्लेन से कांग्रेस शासित तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद ले जाया गया है। यहां उन्हें एक रिसॉर्ट में ठहराया गया है, जहां सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं। विधायकों की सुरक्षा में 80 पुलिस अधिकारी को लगाया गया है, यानी प्रत्येक एमएलए पर दो अधिकारी। विधायकों को पांच फरवरी यानी फ्लोर टेस्ट के दिन रांची ले जाया जाएगा। गठबंधन के कुछ विधायक रांची में ही हैं, जिनके पाला बदलने की संभावना न के बराबर है। विधायकों को शहर के बाहरी इलाके शमीरपेट में स्थित "लियोनिया होलिस्टिक डेस्टिनेशन" रिजॉर्ट में रखा गया है।

दरअसल, नियम के मुताबिक एक बार विधानसभा में बहुमत परीक्षण होने के बाद सरकार के खिलाफ अगले छह महीने अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। यानी चंपई सोरेन सरकार अगले छह महीने तक सुरक्षित रहेगी। तब तक लोकसभा चुनाव भी खत्म जाएगा और राज्यम नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई होगी।

बता दें कि 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 48 सीटें हैं। इसमें झामुमो 29, कांग्रेस 17, राजद एक और माले एक शामिल है। लोबिन हेंब्रम के बगावत के बाद अब सत्तारूढ़ खेमे में विधायकों की संख्या 47 रह गई है, जो अब भी बहुमत से अधिक है। वहीं, विपक्षी बीजेपी के पास 26, आजसू 3, निर्दलीय 2 और एनसीपी(एपी) के पास एक विधायक है। एक सीट रिक्त है। इस तरह फिलहाल जेएमएम गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत नजर आ रहा है।

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