झारखंड में सियासी हलचल तेज, राज्य में सत्ता बदलाव के संकेत, कल्पना सोरेन की हो सकती है मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी

Jharkhand Politics: कल्पना सोरेन की ताजपोशी के जरिए हेमंत सोरेन पार्टी के साथ ही राज्य की सत्ता भी अपने हाथ में लेना चाहते हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-03 03:51 GMT

Kalpana Soren  (photo: social media )

Jharkhand Politics: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद राज्य में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। मोर्चे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्य के नेतृत्व परिवर्तन में बदलाव हो सकता है। मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद राज्य की सत्ता चंपई सोरेन को सौंप गई थी मगर अब हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की ताजपोशी की संभावना जताई जा रही है।

राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि झामुमो नेतृत्व जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है। कल्पना सोरेन ने गांडेय विधानसभा क्षेत्र में हाल में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की है।

कल्पना सोरेन को मिल सकती है कमान

जमानत मिलने पर जेल से रिहाई के बाद से ही हेमंत सोरेन के तेवर काफी तीखे रहे हैं और वे लगातार भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए पर हमलावर हैं। उनका आरोप है कि उन्हें झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजा गया था। जेल से हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद रांची और राज्य के अन्य स्थानों पर खूब पोस्टर लगाकर उनका स्वागत किया गया था।

अब माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की बयार बह सकती है। दरअसल कल्पना सोरेन की ताजपोशी के जरिए हेमंत सोरेन पार्टी के साथ ही राज्य की सत्ता भी अपने हाथ में लेना चाहते हैं।

इसीलिए माना जा रहा है कि विधानसभा के चुनावी अखाड़े में उतरने से पहले झामुमो नेतृत्व की ओर से इस बाबत बड़ा फैसला लिया जा सकता है। कल्पना सोरेन के खिलाफ ईडी, सीबीआई या किसी अन्य जांच एजेंसी का का कोई मामला न होने के कारण भी उनकी ताजपोशी की संभावना जताई जा रही है।


इस कारण हो सकती है कल्पना की ताजपोशी

हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता नेतृत्व परिवर्तन के बाबत कोई बयान देने से बच रहे हैं। कोई भी नेता इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है मगर सूत्रों का कहना है कि अंदरखाने इस बाबत तैयारियां चल रही हैं। सत्तारूढ़ दल के विधायक भी इस बात की प्रबल संभावना जता रहे हैं। राज्य में झामुमो की अगुवाई वाले गठबंधन के चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी मगर घोटाले में गिरफ्तारी के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

लोकसभा चुनाव के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद सोरेन को जमानत नहीं मिल सकी थी। अब जमानत मिलने के बाद वे तीखे तेवर दिखा रहे हैं। झामुमो भी उनकी लोकप्रियता और उनके कार्यकाल की उपलब्धियों का सियासी फायदा उठाना चाहता है। इसी कारण कल्पना सोरेन की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी की संभावना जताई जा रही है।


पार्टी नेताओं से चर्चा करने में जुटे हैं हेमंत

हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के कार्यक्रम लगातार स्थगित होने के कारण भी उनकी विदाई के संकेत मिल रहे हैं। हाल में मुख्यमंत्री का दुमका दौरा स्थगित कर दिया गया और इसके बाद शिक्षकों को नियुक्ति पत्र का वितरण कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया। इसे भी राज्य में सत्ता बदलाव का बड़ा संकेत माना जा रहा है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन लगातार पार्टी नेताओं से चर्चा करने में जुटे हुए हैं। पार्टी की ओर से दो बैठकों का भी आयोजन किया गया है। इन बैठकों का उद्देश्य एनडीए के खिलाफ चुनावी रणनीति पर चर्चा करना है।

हेमंत सोरेन सहयोगी नेताओं और दलों के साथ इस बाबत चर्चा करना चाहते हैं कि एनडीए की चुनौतियों से किस तरह निपटा जाए। विपक्षी दल भी राज्य के सियासी हालात पर नजर गड़ाए हुए हैं और माना जा रहा है कि इसके बाद ही विपक्ष की ओर से रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा


लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुआ नुकसान

झारखंड में इस बार हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से 8 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा है जबकि कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11 सीटों पर जीत मिली थी और इस तरह पार्टी को तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।

2019 के लोकसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस को एक-एक सीट हासिल हुई थी और इस तरह दोनों सियासी दलों को इस बार के लोकसभा चुनाव में फायदा हुआ है। इसके साथ ही गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कल्पना सोरेन जीत हासिल करने में कामयाब रही हैं। भाजपा के लिए चिंता की बात यह है कि इस बार सीटें घटना के साथ ही पार्टी के वोटो का मार्जिन भी कम हुआ है। ऐसे में हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

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