जियो पारसी योजना से पैदा हुए 101 बच्चे, जगी नई आशा की किरण
सिकुड़ती पारसी आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए एक निजी फाउंडेशन (पार्जर फाउंडेशन) ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर एक अनूठी जागरूकता और प्रजनन योजना 'जियो पारसी' सितंबर 2013 में शुरू की।
मुंबई: सिकुड़ती पारसी आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए एक निजी फाउंडेशन (पारजर फाउंडेशन) ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर एक अनूठी जागरूकता और प्रजनन योजना 'जियो पारसी' सितंबर 2013 में शुरू की। पिछले महीने, जियो पारसी के सदस्यों ने मुंबई में इस योजना के तहत पैदा हुए 101वें बच्चे का जन्मदिन मनाया। इस योजना के जरिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय सूचीबद्ध अस्पतालों में पारसियों के लिए बांझपन के उपचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 10 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद कर रहा है।
हालांकि, पहले साल के बाद सूचीबद्ध कई अस्पतालों के साथ, इस योजना ने चिकित्सा परीक्षणों के लिए रोगियों द्वारा किए गए खर्चों की भरपाई करने और अस्पताल के बिलों का भुगतान करना शुरू कर दिया।
क्या है इस योजना का मुख्य उद्देश्य?
इस योजना का उद्देश वैज्ञानिक नवाचार और ढांचागत हस्तक्षेप अपनाकर पारसी आबादी के गिरते रुख को उलटना, उनकी जनसंख्या को स्थिर रखना और भारत में पारसियों की जनसँख्या को बढ़ाना है।
पारसी समुदाय के लोगों की भारत में 1941 में कुल आबादी एक लाख 14 हजार, थीं वहीं यह आबादी 2001 की जनगणना के अनुसार लगभग 69,601 हजार और 2011 की जनगणना के अनुसार 57,264 रह गई है। पिछले 3 साल में जहां राष्ट्रीय स्तर पर पारसियों की जनसंख्या में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं अहमदाबाद में यह आंकड़ा 24 प्रतिशत है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पारसी समुदाय की कुल जनन क्षमतादर एक से नीचे है। पारसी समुदाय में आम तौर पर महिलाएं 29 से 30 और पुरूष 35 साल की उम्र में शादी करते हैं। देश में पारसी आबादी के 31 फीसदी लोग 60 साल से अधिक उम्र के हैं और 30 फीसदी अविवाहित है।
नेशनल कम्यूनिटीज फॉर माइनॉरिटीज द्वारा कराए गए अध्ययनों और पारजोर फाउंडेशन तथा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा कराए गए संयुक्त अध्ययनों में पारसियों की जनसँख्या में गिरावट के लिए इन महत्वपूर्ण कारणों को चिन्हित किया गया है
-देर से शादी करना या न करना
-जननक्षमता में कमी आना
-संबंध विच्छेद और तलाक होना
-गैर पारसी पुरुष से शादी करना
-प्रवासगमन
मुंबई में, जियो पारसी टीम के प्रमुख सदस्य डॉ. केटी गंडेविया कहते हैं कि पारसियों की सालाना जन्म दर 200, जबकि मृत्युदर 800 के करीब है। पारसियों की आबादी में कमी की मुख्य वजह देर से होने वाली शादियां, बहुत सारे लोगों का कुंवारा रहना, एक संतान पैदा करने का फैसला और समुदाय के बाहर शादी करना आदि है। बता दें कि 29 जुलाई को जियो पारसी जॉय ऑफ फैमिली के नाम से एक और कैम्पेन लॉन्च करेगा।