Nainital: जोशीमठ की तरह नैनीताल पर भी गहराया संकट, दरारों को केमिकल से भरने में जुटा प्रशासन
Nainital: पर्यटकों के बीच फेमस नैनीताल में भी यह संकट गंभीर रूप लेता जा रहा है। शहर के मालरोड में हर सप्ताह नई दरारें देखने को मिल रही हैं।
Nainital: अपनी खूबसूरती के कारण लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने वाला उत्तराखंड इन दिनों गलत वजहों से सुर्खियों में है। राज्य के कई अहम शहर एक डरावने संकट की ओर बढ़ रहे हैं। जोशीमठ की तरह उत्तराखंड के अन्य शहरों में भी मकानें और सड़कें धंस रही हैं। पर्यटकों के बीच फेमस नैनीताल में भी यह संकट गंभीर रूप लेता जा रहा है। शहर के मालरोड में हर सप्ताह नई दरारें देखने को मिल रही हैं, जिससे स्थानीय आबादी में दहशत का माहौल है।
दरारों ने आम लोगों के साथ – साथ लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों की भी चिंता बढ़ा दी है। इन दरारों को बंद करने के लिए रेत और केमिकल का सहारा लिया जा रहा है। हालांकि, हर सप्ताह एक नई दरार उभरने से विभागीय अधिकारियों के सामने नई मुश्किल खड़ी हो जा रही है। बजट की कमी के कारण विभाग सड़कों की स्थायी मरम्मत नहीं कर पा रहा है।
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जोशीमठ की तरह खतरे में नैनीताल
ऐतिहासिक शहर जोशीमठ की तरह नैनीताल भी खतरे में है। यहां 80 के दशक से ही भूस्खलन, भू-धंसाव और भू-कटाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। नैनीताल की बुनियाद कही जाने वाली बलियानाला में भारी भूस्खलन हुआ। इसके बाद इस क्षेत्र में हुए भू-धंसाव के कारण अबतक करीब 100 मीटर का क्षेत्रफल पूरी तरह समाप्त हो गया। मालरोड के साथ ही भवाली मार्ग व स्टेनले क्षेत्र में कई स्थानों पर 20 मीटर तक लंबी दरारें उभर आईं।
आईआईटी दिल्ली एवं आईआईटी रूड़की समेत कई अन्य संस्थाएं भी इस स्थल का निरीक्षण कर सरकार को ट्रीटमेंट को लेकर सुझाव दे चुकी हैं। इनमें संवेदनशील स्थानों पर सबसे पहले किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने की बात कही गई है। हालांकि, अभी तक ट्रीटमेंट को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में जानकार मानते हैं कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो नैनीताल को भी दूसरा जोशमीठ बनने में देर नहीं लगेगी।