Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'एनटीपीसी गो बैक' के पोस्टर

Joshimath Sinking: जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के लिए बनी बाईपास सुरंग जोशीमठ के नीचे से होकर बनी है, जिसे विस्फोट कर बनाया गया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-01-14 12:02 IST

Joshimath sinking (photo: social media )

Joshimath Sinking: जोशीमठ में अब जगह जगह "एनटीपीसी गो बैक" के नारे लिखे पोस्टर दिखाई दे रहे हैं। बताया जाता है कि कई संगठनों ने ये पोस्टर लगाए हैं। जोशीमठ डूबने के लिए जनता एनटीपीसी को जिम्मेदार मान रही है और उसके खिलाफ मुखर होकर बोल रही है। विरोध में जोशीमठ तहसील में धरना-प्रदर्शन जारी है।

सुरंग के लिए विस्फोट

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना के लिए बनी बाईपास सुरंग जोशीमठ के नीचे से होकर बनी है, जिसे विस्फोट कर बनाया गया है। नगर में भू-धंसाव का मुख्य कारण जमीन के अंदर लगातार किए विस्फोट किए हैं। संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने बताया कि एनटीपीसी की परियोजना का शुरू से विरोध किया गया तब कंपनी ने घरों का बीमा कराने की बात कही थी लेकिन इस पर कभी काम नहीं हुआ।अतुल सती का कहना है कि बाईपास सुरंग जोशीमठ के नीचे से है और इसे लगातार विस्फोट कर बनाया गया है जिससे भू-धंसाव में तीव्रता आई है।

फंस गई थी मशीन

2005 में परियोजना के लिए हुई जनसुनवाई में भी यह मुद्दा उठा। लोगों के भारी विरोध के चलते परियोजना का शिलान्यास जोशीमठ के बजाय देहरादून में किया गया।दो साल तक इसके विरोध में आंदोलन चला। सुरंग बनाने के दौरान वर्ष 2009 में टीबीएम मशीन फंस गई और वहां से 600 लीटर प्रति सेकंड के हिसाब से पानी का रिसाव होने लगा। लोगों ने आंदोलन किया और तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री व प्रशासन की मध्यस्ता में एनटीपीसी से समझौता हुआ जिसके तहत एनटीपीसी को जोशीमठ में पेयजल की व्यवस्था करने और घरों का बीमा कराना था लेकिन इस पर कभी काम नहीं हुआ।

एनटीपीसी ने इनकार किया

जोशीमठ संकट के पीछे अपनी भूमिका को खारिज करते हुए एनटीपीसी ने बिजली मंत्रालय को बताया है कि उसकी 12 किलोमीटर लंबी सुरंग जोशीमठ से 1 किमी दूर है और जमीन से कम से कम एक किलोमीटर नीचे है। एनटीपीसी ने बिजली मंत्रालय को बताया कि जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला बहुत पुराना है और ये 1976 से जारी है।

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