Tigers: ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ से आइबीसीए तक का सफर, जानिए विलुप्त होने से कैसे बच सके बाघ, कैसे बढ़ने लगी उनकी तादात
Tiger In India: दशकों की कोशिश और तमाम कवायदों के बाद करीब 50 बरसों में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है।
Tiger In India: भारत में बाघ लगातार संकटग्रस्त प्रजाति रही है। देश की आजादी के बाद से अंधाधुंध शिकार और बॉयोलॉजिकल वजहों से बाघ करीब-करीब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे। दशकों की कोशिश और तमाम कवायदों के बाद करीब 50 बरसों में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। खूबसूरत वन्यजीव बाघ की दहाड़ अब फिर जंगलों में सुनाई देने लगी है।
आजादी के समय थे 40 हजार बाघ
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश की आजादी के वक्त 40 हजार बाघ जंगलों की शान हुआ करते थे। लेकिन इसके बाद अंधाधुंध शिकार की वजह से इनकी संख्या में गिरावट आने लगी। 1972 में जब भारत सरकार ने भारतीय बाघों की गणना की तो सामने आया कि देश में केवल 18 सौ बाघ ही बचे हैं। ये आंकड़े सामने आते ही हड़कंप मच गया। आनन-फानन में वन्यजीव विशेषज्ञों ने जांच पड़ताल शुरू की। पता लगाया जाने लगा कि कैसे इतनी बड़ी संख्या में बाघ घट गए हैं। तमाम वन्य जीव विशेषज्ञों ने अलग-अलग राज्य सरकारों के अलावा केंद्र की सरकार को रिपोर्ट सौंपी। जिसमें बाघों की संख्या कम होने की प्रमुख वजह अंधाधुध शिकार को बताया गया। इसके अलावा सिमटते जंगल, बॉयोलॉजिकल वजहें, खुराक और परिवेश में बदलाव जैसे कुछ अन्य कारण बताए गए।
वर्ष 1973 में शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट टाइगर’
तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने बाघों की घटती संख्या पर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने बाघों को बचाने के लिए एक अप्रैल 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर शुरू करने का ऐलान किया। जिसके अंतर्गत नौ राज्यों में बाघों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू किए गए। जंगलों में बाघों के लिए संरक्षित खास स्थान चिन्हित किए गए। शिकार पर रोक लगाने के लिए टॉस्क फोर्स का गठन हुआ। बाघों के प्राकृतिक परिवेश और उनकी खुराक आदि का ख्याल रखा जाने लगा। यह कवायद रंग लाई और धीरे-धीरे बाघों की संख्या में इजाफा होने लगा।
नहीं मिल सके अपेक्षित परिणाम
करीब 50 साल गुजर जाने के बावजूद बाघों की संख्या बढ़ी तो लेकिन आजादी के वक्त के 40 हजार की अपेक्षा इसमें बहुत मामूली ही इजाफा कहा जा सकता है। जहां 1972 में 1800 बाघ गिने गए थे, वहीं इतने लंबे समय अंतराल में इनकी संख्या बढ़कर 3167 हो गई है। यह संख्या 2022 की बाघों की गणना के अनुसार है। जिसको बीते नौ अप्रैल 2023 को मोदी सरकार ने जारी किया। इससे पहले 2018 में हुई बाघों की गिनती में इस शानदार वन्य जीव की संख्या 2967 बताई गई थी।
आइबीसीए से है उम्मीद
2018 से अभी तक देश में बाघों की संख्या में 200 का इजाफा हुआ है। हालांकि यह संख्या कम नहीं कही जा सकती। क्योंकि एक वक्त ऐसा था, जब बाघ करीब-करीब विलुप्त होने की कगार पर थे। विश्व के करीब-करीब सभी मंच भारत में बाघों की गिरती संख्या पर चिंता जाहिर कर रहे थे। बहरहाल, बाघों की संख्या को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस (IBCA) की शुरूआत कर दी है। जिसके तहत बाघ ही नहीं, बिग कैट प्रजाति के सभी वन्य जीव यानी शेर, तेंदुए , चीता, जैगुआर, हिम तेंदुए को संरक्षित करने के प्रयासों में तेजी लाई जाएगी।
दुनिया देगी भारत का साथ
माना जा रहा है कि इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस(IBCA) में तकरीबन 97 देशों के शामिल होने की उम्मीद है। क्योंकि इन देशों में बिग कैट से संबंधित कोई न कोई प्रजातियां पाई जाती है। ये सभी देश एक साथ उन सभी जगहों पर वैश्विक निगरानी करेंगे, जहां बिग कैट प्रजातियां संकटग्रस्त कगार पर हैं। आइबीसीए में भारत के अलावा ब्राजील, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं, जहां बिग कैट की प्रजातियां हैं। ये कारवां बढ़ रहा है और ये साथ मिलकर एक-दूसरे के देश में बिग कैट की प्रजातियों के संरक्षण और तादात बढ़ाने के साझा प्रयास करेंगे।