सुप्रीमकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में जगी नई उम्मीदें

Update:2019-11-15 13:21 IST

नाथबक्श सिंह

अयोध्या। तकरीबन चार सौ साल बाद हल हुए अयोध्या विवाद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रामजन्मभूमि के स्वामित्व को लेकर भले ही अदालती फैसले ने दोनो पक्षों को अमन चैन बनाए रखने का अप्रत्यक्ष तौर पर संदेश सुना दिया हो लेकिन अब राम मंदिर को लेकर नए विवाद आकार ले रहे हैं। हालांकि अयोध्या खामोश है। पुलिस की मुस्तैदी पहले से ज्यादा बढ़ी है। कल तक मंदिर के लिए बयान देने वालों ने सवाल बदल लिए हैं पर बयानों में पहले सरीखी तल्खी और तेजी अभी भी है। रामलला के टेंट बदलने की तैयारी जोर पकड़ ली है। रामलला के लिए नए आभूषण तैयार कराए जा रहे हैं। नये वस्त्र सिलने को दे दिये गए हैं। फैसले के तुरंत बाद श्रद्धालुओं की संख्या में तीन गुना बढ़ोत्तरी हो गई है। चढ़ावे में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। लोग अयोध्या की सीमा में पांच एकड़ जमीन दिये जाने के पक्ष में नहीं हैं। बाबर और मीर बाकी के नाम से लोगों को बड़ा परहेज नजर आ रहा है।

अयोध्या की फिजां में ट्रस्ट का स्वरूप कैसा होगा, रामजन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद की क्या भूमिका होगी यह सवाल तैर रहे हैं। जहां भी चार लोग इक_े हो रहे हैं वहां अपने अपने हिसाब से इन सवालों के उत्तर बताए जा रहे हैं, कोई व्हाट्सएप पर आया संदेश दिखाकर अपनी बात पुख्ता करना चाहता है। लोगों के बीच ट्रस्टियों के नाम तक चर्चा में हैं। ट्रस्ट के सदस्यों के मार्फत धर्म निरपेक्षता न साधी जाए यह लोगों को सरकार से उम्मीद है। अयोध्या के लोग एक स्वर से यह जरूर बोल रहे हैं कि अयोध्या की सीमा में मस्जिद के लिए जमीन नहीं दी जानी चाहिए। लोग पंचकोसी को अयोध्या की सीमा बताते हैं। लोगों को मुस्लिम समुदाय से इस बात की उम्मीद है कि वे जो जमीन पाएंगे उस पर बनने वाली मस्जिद का नाम मीर बाकी या बाबर से जोड़ कर नहीं रखेंगे। अयोध्या में जितने मुंह उतनी बातें। सर्वोच्च अदालत के फैसले का पोस्टमार्टम भी हो रहा है। कहा जा रहा है जमीन देने की जरूरत नहीं थी। जमीन तो हम लोग भी समझौते में देने को तैयार थे। फिर लड़ाई क्यों लड़ी गई।

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कोई अयोध्या को वैष्णो देवी की तरह देखना चाहता है तो कोई इसे तिरुपति बालाजी की प्रतिकृति मान रहा है। कोई शिरडी की तरह अयोध्या को देखने की उम्मीद जता रहा है। लोगों के बीच अयोध्या के विकास को लेकर कई तरह के सपने बुनते उधड़ते देखे जा सकते हैं। हवाई अड्डा, पांच सितारा होटल तो जिक्रे आम है। संत समाज और आम लोगों में भी इस बात का गुमान है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार के रहते अयोध्या का विकास को पंख लग जाएंगे। दौरे जिक्रां यह भी है कि नरेंद्र मोदी अयोध्या में कब और कैसे आएंगे। लोग इत्मिनान जता रहे हैं कि वही शिलान्यास करेंगे। अभी तक वह अयोध्या के आसपास से आकर निकल गए लेकिन रामलला तक इसीलिए नहीं आए क्योंकि उन्होंने सोच रखा था कि मंदिर का फैसला आ जाएगा तभी आएंगे। ऐसी तमाम बातें बहुत विश्वस्त ढंग से कही जा रही हैं। लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान विश्वविद्यालय के लिए भी जमीन मांगी है।

 

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अल्पसंख्यकों के बीच भी कई तरह की राय है कुछ लोग पांच एकड़ जमीन लेने को वाजिब नहीं मानते कुछ का मानना है कि उन्हें जमीन 67 एकड़ के अधिग्रहीत क्षेत्र में ही मिलनी चाहिए। कुछ पांच एकड़ से बड़ी जमीन की मांग पर अड़े हैं। अयोध्या के संत महंत जीवंत हो उठे हैं उन्हें काम मिल गया है। दुनिया भर से श्रद्धालु आएंगे इस उम्मीद में लोग अपने दुकानों और होटलों की साज सज्जा में जुटे हैं। अयोध्या और आसपास की जमीनों की कीमतों के बढऩे की चर्चा तेज हो गई है। तहसील से लोग अपनी जमीनों की खतौनी निकालने लगे हैं। लंबे समय से कारसेवकपुरम में पसरी हुई खामोशी टूटने लगी है लोगों की चहल पहल बढ़ी है। छेनी और हथौड़ों की खट-खट ने कारसेवकपुरम की नीरवता को भंग करना फिर शुरू कर दिया है। मंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों पर लगी हुई काई साफ की जाने लगी है। कारसेवकपुरम में मुंह मीठा कराया जाने लगा है। यहां जिसे भी देखिये वह रामलला के सखा त्रिलोकी पांडे की तारीफ करते नहीं अघा रहा है। त्रिलोकी पांडे लंबे समय से कारसेवकपुरम में ही रह रहे हैं।

श्री राम जन्म भूमि क्षेत्र पर पुलिस का शिकंजा अभी भी कसा हुआ है। हालांकि पूरे जनपद में कहीं भी तनाव नहीं है। स्थिति सामान्य बनी हुई है। जिले के सभी स्कूल कॉलेज डिग्री कॉलेज खुल गए हैं। छात्र-छात्राओं का आवागमन जारी है। अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में पुलिस पूरी तरह से सक्रिय है। हर आने जाने वाले पर निगाह रखी जा रही है। श्री राम चिकित्सालय के लिए टेंपो टैक्सी वाहनों का आवागमन जारी है।

अयोध्या की सांस्कूतिक सीमा से बाहर बने मस्जिद : विहिप

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेशजी ने चेतावनी दी है कि विहिप को अयोध्या की 42 कोस की सांस्कृतिक सीमा में मस्जिद का निर्माण मंजूर नहीं है। बाबर के नाम से मस्जिद पूरे देश में कहीं स्वीकार नहीं की जाएगी। विहिप की मंशा है कि किसी भी कीमत पर सरकार मंदिर का उसका मॉडल, शिलाखंड और पूजित शिलाएं स्वीकार करे। इससे कोई समझौता नहीं होगा। 'अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आया है, वह हमेें मान्य है। यह हम पहले से ही कह रहे हैं। रही बात मस्जिद बनाने या किसी और मसले की तो इस पर फिलहाल हम कुछ कह नहीं सकते। इसका फैसला बोर्ड की 26 नवंबर को होने वाली बैठक में लिया जाएगा।'

-जुफर अहमद फारुकी, अध्यक्ष सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड

'देश प्रदेश में वैसे ही बहुत सी मस्जिदें हैं, उन्हीं की मरम्मत और हिफाजत करना बेहतर होगा। अयोध्या में नई मस्जिद बनाकर कोई नया विवाद न पैदा हो जाए, इसका ध्?यान रखना होगा। वैसे वक्फ बोर्ड इस पर कोई फैसला खुद ही करेगा।Ó

- मौलाना कल्बेे जव्वाद, शिया धर्मगुरु

'राम मंदिर के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके लिए राम जन्मभूमि न्यास पहले से ही है। हम इसे नया आकार दे सकते हैं और इसमें नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है।

- महंत नृत्य गोपाल दास, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष

'कोर्ट के आदेश के अनुसार ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए। निर्मोही अखाड़ा खुद एक ट्रस्ट है, इसलिए इसके सदस्य ही फैसला करेंगे कि सरकार के ट्रस्ट में शामिल होना है या फिर नहीं।'

- महंत दिनेंद्र दास, निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख

राम पर किसी का जातीय हक नहीं है। वह सबके हैं। अगर मंदिर निर्माण के लिए कोई हमसे मदद की मांग करता है तो उस पर जरूर विचार करेंगे। सबसे ज्यादा खुशी ये है कि यह मसला सुलझ गया है।

- इकबाल अंसारी, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई

'सुप्रीम कोर्ट के इस दिव्य फैसले का स्वागत। माननीय अशोक सिंघल जी को शत-शत नमन। जिन्होंने अपने जीवन की आहुति दे दी उन्हें श्रद्धांजलि। लालकृष्ण आडवाणी जी का अभिनंदन जिनके नेतृत्व में हम सब लोगों ने इस महान कार्य के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया था।'

- उमा भारती

 

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