लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भाजपा के ब्राह्मण चेहरा रहे कलराज मिश्रा की भूमिका बदलने वाली है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने 75 की उम्र पार कर चुके नेताओं को सरकार में जगह नहीं देने का फैसला लिया था। जिस की वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी को मंत्रिमण्डल में जगह नहीं मिली थी और उन्हें मार्ग दर्शन मंडल में डाल दिया गया था।
लेकिन कलराज मिश्रा 75 वर्ष की उम्र में थोड़ा वक़्त बचा होने के चलते कैबिनेट में जगह पाने में सफल हो गए थे। लेकिन पार्टी और प्रधानमंत्री ने उन की भूमिका बदलने का फैसला ले लिया है। कलराज मिश्रा जल्द ही बिहार के राज्यपाल की भूमिका में नज़र आएंगे।
देवरिया से भारतीय जनता पार्टी के सांसद कलराज मिश्रा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री की भूमिका में हैं। लेकिन जल्द ही उनकी भूमिका बदलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी ने उनकी भूमिका बदलने का फैसला ले लिया है। 1 जुलाई 1941 को जन्मे कलराज मिश्रा 2016 में 75 की उम्र पार कर चुके थे, लेकिन यूपी विधान सभा चुनाव के चलते उन्हें राहत मिल गई थी।
हालांकि 75 वर्ष की उम्र पार करते ही नजमा हेपतुल्लाह को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से हटा कर मणिपुर का राज्यपाल बनाया बना दिया गया था। प्रदेश में ब्राह्मण चेहरा होने की वजह से उन्हें कैबिनेट से नहीं हटाया गया था। पार्टी को आशंका थी कि अगर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पहचाने जाने वाले कलराज मिश्रा को कैबिनेट से हटाया गया तो ब्राह्मण मतदाता नाराज़ हो सकता है।
अब जब की बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविद देश के राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। तो बिहार के राज्यपाल की कुर्सी खाली है। ऐसे में मौके और दस्तूर के मुताबिक़ पार्टी ने कलराज मिश्रा की भूमिका को बदलते हुवे उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाने का फैसला ले लिया है। 23 अगस्त को होने वाले संभावित मंत्रिमण्डल विस्तार से पहले कलराज मिश्रा बिहार के राज्यपाल की कुर्सी पर नज़र आएंगे।