Karnatka Bajrang Dal History: कर्नाटक चुनाव में छाया बजरंग दल का मुद्दा, जानिए कैसे हुई इस संगठन की स्थापना और क्या है इसका मिशन

Karnatka Bajrang Dal History: कांग्रेस की ओर से मंगलवार को जारी किए गए घोषणापत्र में वादा किया गया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर रोक लगाई जाएगी। कांग्रेस की ओर से यह वादा किए जाने के बाद ही भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

Update:2023-05-03 20:41 IST
Karnatka Bajrang Dal History ( सोशल मीडिया)

Bajrang Dal: कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में बजरंग दल एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है और इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच वार-प्रतिवार का दौर शुरू हो गया है। दरअसल कांग्रेस की ओर से मंगलवार को जारी किए गए घोषणापत्र में वादा किया गया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर रोक लगाई जाएगी। कांग्रेस की ओर से यह वादा किए जाने के बाद ही भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर बजरंग दल क्या है और इसकी स्थापना कैसे हुई थी। इस संगठन का मिशन क्या है और क्यों कांग्रेस हमेशा बजरंग दल के खिलाफ हमलावर रुख अपनाती रही है। 1984 में स्थापित यह संगठन किस तरह हिंदुत्व के मुद्दे को और धारदार बनाता रहा है। कांग्रेस की ओर से किए गए वादे के बाद ही भाजपा इस मुद्दे को गरमाने के साथ हिंदू वोट बैंक को एकजुट बनाने की कोशिश में जुट गई है। इसके जरिए पार्टी दक्षिण भारत में अपने अकेले दुर्ग कर्नाटक को बचाए रखने की कोशिश कर रही है।

इस तरह हुई थी बजरंग दल की स्थापना

दरअसल बजरंग दल को हिंदू सभ्यता और संस्कृति को प्रचारित और प्रसारित करने वाला एक मजबूत धार्मिक संगठन माना जाता रहा है। बजरंग दल विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा है। यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 36 संगठनों के परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस संगठन की विचारधारा पूरी तरह हिंदुत्व पर आधारित है। इसकी शुरुआत 1984 के अक्टूबर महीने में उत्तर प्रदेश में निकाली गई एक शोभायात्रा के साथ हुई थी। शोभायात्रा को राम जानकी रथयात्रा के नाम से जाना जाता था और इसका उद्देश्य लोगों को हिंदुत्व के बारे में जानकारी देना था। धीरे-धीरे काफी संख्या में युवा और साधु-संत इस यात्रा के साथ जुड़ते गए और यह गुट बजरंग दल संगठन के रूप में बदल गया।
बजरंग दल का राष्ट्रीय संयोजक पूर्व सांसद विनय कटियार को बनाया गया था और इस संगठन को मजबूत बनाने में विनय कटियार की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। फायरब्रांड छवि रखने वाले विनय कटियार ने इस संगठन के तेवर को हमेशा धारदार बनाए रखा।

बाबरी विध्वंस के बाद लगा था बैन

अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दिनों में यह संगठन पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था तो मस्जिद को तोड़ने वाले लोगों में 90 फ़ीसदी बजरंग दल से जुड़े हुए युवा ही थे।
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार की ओर से बजरंग दल पर बैन लगा दिया गया था मगर करीब एक साल बाद यह प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया था। अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद बजरंग दल की ओर से काशी विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा भी प्रभावी ढंग से उठाया जाता रहा है।

वेलेंटाइन डे का तीखा विरोध

गुजरात में गोधरा गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में भी बजरंग दल से जुड़े लोगों के शामिल होने का आरोप लगा था और इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था। इसके साथ ही 14 फरवरी को मनाए जाने वाले वेलेंटाइन डे का विरोध करने के कारण भी यह संगठन काफी चर्चाओं में रहा है।
2011 में बजरंग दल की ओर से इसका तीखा विरोध शुरू किया गया था और उसके बाद हर साल तमाम जिलों से सार्वजनिक जगहों पर वेलेंटाइन डे मनाने वाले कपल्स को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की ओर से दंडित किए जाने की खबरें आती रही हैं। संगठन से जुड़े नेता इसे भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताते रहे हैं।

क्या है बजरंग दल का मिशन

मौजूदा समय में बजरंग दल काफी मजबूत संगठन बन चुका है और लगभग पूरे देश में इस संगठन के सदस्य फैले हुए हैं। एक दावे के मुताबिक इस संगठन से लाखों लोग जुड़े हुए हैं और वे संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश में हमेशा जुटे रहते हैं। बजरंग दल का नारा है सेवा, सुरक्षा और संस्कृति। यह संगठन धर्मांतरण के खिलाफ भी मजबूती से आवाज बुलंद करता रहा है।
इसके साथ ही बजरंग दल देशभर में साम्यवाद और मुस्लिम जनसांख्यिकी विकास के खिलाफ भी आवाज उठाता रहा है। गोवध रोकने के लिए भी संगठन के कार्यकर्ताओं की ओर से हमेशा अभियान चलाया जाता रहा है।
देश में हिंदू संस्कृति की रक्षा और हिंदू पहचान को बनाए रखने के लिए संगठन की ओर से बीच-बीच में कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। लव जिहाद और बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ भी बजरंग दल लड़ाई लड़ता रहा है। राजधानी दिल्ली समेत लखनऊ, पटना, गुवाहाटी, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, पटना, कोलकाता, भोपाल और जयपुर समेत देश के तमाम बड़े नगरों में इस संगठन ने अपने मुख्यालय स्थापित कर रखे हैं। संगठन की ओर से देश के कई भागों में कार्यकर्ताओं के लिए ट्रेनिंग का कार्यक्रम भी चलाया जाता है।

कर्नाटक चुनाव में कैसे बना बड़ा मुद्दा

अब कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में बजरंग दल को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग छिड़ गई है। कांग्रेस की ओर से सरकार बनने पर बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों पर रोक लगाने के वादे के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार और बुधवार को कर्नाटक की चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले भगवान राम को ताले में बंद किया और अब वह जय बजरंगबली का नारा लगाने वालों को ताले में बंद करना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस की ओर से किए गए वादे को भगवान हनुमान की पूजा करने वालों को ताले में बंद करने का प्रयास तक बता डाला। अपनी चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी ने जय बजरंगबली के नारे भी लगवाए। बुधवार को उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत बजरंगबली के जयकारे के साथ की और समापन भी इसी के साथ किया।
भाजपा की ओर से यह मुद्दा जोर-शोर से उठाने का मकसद हिंदुत्व के मुद्दे को और धारदार बनाना है। सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने यह वादा करके भाजपा को हमला करने का बड़ा हथियार मुहैया करा दिया है। भाजपा भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती और इसीलिए पार्टी की ओर से बजरंग दल पर बैन के वादे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे का असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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