Karnataka News: 'भाई की जगह अनुकंपा पर बहनों को नहीं मिल सकती नौकरी, नहीं होती हैं परिवार का हिस्सा' : हाईकोर्ट का फैसला
Karnataka News: कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट परिवार की परिभाषा का विस्तार नहीं कर सकती है, जहां नियम बनाने वालों ने पहले से ही अलग-अलग शब्दों में व्यक्तियों को परिवार के सदस्य के रूप में परिभाषित किया है।
Karnataka News: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले फैसला सुनाते हुए कहा कि बहनें परिवार की सदस्य नहीं होती है, इसलिए बहनों को भाई की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर पर नौकरी नहीं दी जा सकती है। दरअसल, एक सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी बहन ने अनुकंपा के आधार नौकरी का दावा किया था। नियम है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी की नौकरी के दरमियान मौत हो जाती है तो उसके परिवार के किसी सदस्य को बदले में नौकरी दिये जाने का प्रावधान है। इन्ही नियमों के आधार पर बहन ने अपने भाई की मौत के बाद कंपनी से नौकरी की मांग की, लेकिन कंपनी ने नौकरी देने से साफ इनकार कर दिया।
बहन सेशन कोर्ट गईं लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां दो जजों चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की बेंच ने कहा कि एक बहन अपने परिवार के डेफिनेशन में शामिल नहीं। दो जजों की बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह बहन है, उसे मृतक के परिवार का हिस्सा नहीं माना जा सकता है।
परिवार की परिभाषा का विस्तार नहीं कर सकते : हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट परिवार की परिभाषा का विस्तार नहीं कर सकती है, जहां नियम बनाने वालों ने पहले से ही अलग-अलग शब्दों में व्यक्तियों को परिवार के सदस्य के रूप में परिभाषित किया है। इस हालात में कोर्ट उन नियमों में बदलाव वहीं कर सकती है। बेंच ने कहा अगर बहन द्वारा दिए गए तर्क को स्वीकार भी किया जाता है तो वह नियमों को फिर से लिखने जैसा होगा, इसलिए तर्क को स्वीकारा नहीं जा सकता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसलिए कंपनीज एक्ट 1956 और कंपनीज एक्ट 2013 का हवाला दिया। कंपनी ने बहन को इन्ही कानूनों के तहत नौकरी देने से इनकार कर दिया।
भाई की मौत के बाद बहन ने नौकरी का किया था दावा
यह पूरा मामला कर्नाटक के तुमकारू का है। जहां बेंगलुरु इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड के एक कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान ही मौत हो गई थी। उसकी बहन पल्लवी ने अनुकंपा के आधार पर कंपनी से नौकरी मांगी। कंपनी के इनकार करने के बाद वह सेशन कोर्ट पहुंची और वहां से भी याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होने हाईकोर्ट का रूख किया। हाईकोर्ट में बहन पल्लवी के वकील ने तर्क दिया कि वह अपने भाई पर ही निर्भर थी और परिवार का सदस्य होने के नाते उन्हे नौकरी दी जानी चाहिए। लेकिन, कोर्ट ने पल्लवी का अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से यह कानून है कि ड्यूटी के दौरान मारे गए कर्मचारी की नौकरी के बदले परिवार का कोई सदस्य ही अनुकंपा नियमों के आधार पर नौकरी हासिल कर सकता है। वो भी तब जब अपनी निर्भरता साबित करे। नियमों के मुताबिक शादीशुदा बहने परिवार के सदस्यों की परिभाषा में शामिल नहीं है और इस लिहाज से वह अनुकंपा नौकरी की हकदार भी नहीं है।