Karnataka Politics: कर्नाटक में बदलेंगे चुनावी समीकरण, लोकसभा चुनाव में BJP और JDS के बीच गठबंधन के संकेत
Karnataka Politics: माना जा रहा है कि इस बातचीत के बाद भाजपा और जद एस के बीच चुनावी गठबंधन हो सकता है। जनता दल सेक्युलर के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की ओर से पहले ही इस बाबत इशारा किया जा चुका है।
Karnataka Politics: कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मिली बड़ी हार के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी समीकरण साधने की कोशिश में जुट गई है। भाजपा की ओर से जनता दल सेक्युलर (JDS) के साथ गठबंधन की कोशिशों की जा रही हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने जल्द ही दोनों दलों के बीच बातचीत होने के संकेत दिए हैं।
माना जा रहा है कि इस बातचीत के बाद भाजपा और जद एस के बीच चुनावी गठबंधन हो सकता है। जनता दल सेक्युलर के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की ओर से पहले ही इस बाबत इशारा किया जा चुका है। जानकारों के मुताबिक जद एस जल्द ही एनडीए के कुनबे में शामिल हो सकती है।
दोनों दलों के बीच जल्द होगी बातचीत
पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि दोनों दलों के बीच जल्द ही चर्चा होगी और इस चर्चा के नतीजे के आधार पर आगे की चुनावी रणनीति तय की जाएगी। जद एस के एनडीए में शामिल होने की संभावना के संबंध में उन्होंने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और जद एस के अध्यक्ष देवगौड़ा के बीच बातचीत के बाद इस बाबत फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जद एस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने गठबंधन के संबंध में कुछ बातें कही हैं और उसी के आधार पर दोनों दलों के बीच आगे चर्चा की जाएगी।
Also Read
कर्नाटक में चुनावी गठबंधन तय
दरअसल भाजपा और जद एस के नेताओं के बयानों के बाद दोनों दलों के बीच राज्य में चुनावी गठबंधन तय माना जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने पिछले दिनों बयान दिया था कि कौन सा विपक्षी दल ऐसा है जिसने कभी भाजपा के साथ गठबंधन न किया हो।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन का पर्याप्त संकेत दिया था। दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन का राज्य के समीकरण पर बड़ा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
विपक्षी दलों की बैठक का कोई मतलब नहीं
बेंगलुरु में विपक्षी दलों के प्रस्तावित बैठक का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि इस तरह की बैठकों का कोई राजनीतिक मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भी इस तरह की बैठकों का दौर जारी रहेगा मगर इसका कोई ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा कोई मजबूत चेहरा नहीं है।
इसके साथ ही विपक्षी दल एनडीए के खिलाफ कोई एजेंडा नहीं तय कर सके हैं। उन्होंने कहा कि जिन विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की कोशिशें की जा रही हैं,उनमें अधिकांश क्षेत्रीय दल शामिल हैं और उनकी अखिल भारतीय स्तर पर कोई मजबूत पकड़ नहीं है। ऐसे में विपक्षी एकजुटता की इन कोशिशों से भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर पढ़ने वाला नहीं है।
बेंगलुरु की बैठक में तय होगी विपक्ष की रणनीति
बोम्मई की इस टिप्पणी के विपरीत सियासी जानकार बेंगलुरु में होने वाले विपक्षी दलों की बैठक को सियासी नजरिए से काफी अहम मान रहे हैं। विपक्षी दलों की पटना में 23 जून को हुई बैठक में 15 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था मगर अब बेंगलुरु बैठक के दौरान विपक्षी दलों की संख्या बढ़कर 26 तक पहुंच गई है।
पटना बैठक के दौरान विपक्षी नेताओं ने भाजपा के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। जानकारों का मानना है कि बेंगलुरु के बैठक के दौरान विपक्ष की ओर से भाजपा के खिलाफ संघर्ष का एजेंडा तय किया जा सकता है। इसके साथ ही विपक्षी मोर्चे और संयोजक का नाम भी तय किए जाने की संभावना है। बैठक के दौरान विपक्ष की रणनीति से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।