Karuna Shankar Case: CJI का यूपी DGP को निर्देश, एक महीने में दाखिल करें हलफनामा..20 साल से जेल में बंद है कैदी
Karuna Shankar Case: सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ ने करुणा शंकर की रिहाई तय करते हुए एक महीने के भीतर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
Karuna Shankar Case: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने 20 वर्षों से जेल में बंद 68 वर्षीय करुणा शंकर (Karuna Shankar) की रिहाई के लिए यूपी डीजीपी को नोटिस जारी करते हुए एक महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Reports) दाखिल करने का निर्देश दिया है। बता दें, करुणा शंकर यूपी के उन्नाव जिले के निवासी हैं। करुणा 19 वर्ष 4 महीने से जेल में बंद हैं। उनकी क्षमा याचिका (Pardon Petition) भी करीब साढ़े तीन साल से सरकार के पास लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले में याचिकाकर्ता करुणा शंकर के वकील ऋषि मल्होत्रा (Advocate Rishi Malhotra) ने कहा कि, 'यह एकलौता मामला नहीं है। ऐसे कई अन्य मामले भी हैं। कोर्ट ने कहा, इस तरह के मामले देशभर में हर जगह हैं। जिन पर विचार की आवश्यकता है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि हम एक पॉलिसी बना रहे हैं। यह अप्रैल तक तैयार हो जाएगी।'
सीजेआई- अन्य राज्यों के लिए भी जारी करेंगे आदेश
याचिकाकर्ता (Petitioner Karuna Shankar) के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा, अदालत पहले इस मामले में रिलीज करने का आदेश दे। क्योंकि, सरकार को अपनी पॉलिसी बनाने में समय लग सकता है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने करुणा शंकर की रिहाई को तय करते हुए एक महीने के भीतर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, कि 'हम पहले उत्तर प्रदेश को देखते हैं। इसके बाद अन्य राज्यों के लिए भी आदेश जारी करेंगे। सीजेआई ने ये भी कहा, इस मुद्दे पर हम विस्तृत आदेश जारी करेंगे।'
जनहित याचिका में SC के फैसले को चुनौती नहीं
दूसरी तरफ, सर्वोच्च न्यायालय के सामने शुक्रवार को एक ऐसा मामला आया, जिसमें कोर्ट के फैसले को ही जनहित याचिका (PIL) के रूप में चुनौती दी गई। इस याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने साफ किया कि अनुच्छेद- 32 (Article- 32) के तहत दाखिल याचिका में अदालत के किसी फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। दरअसल, शीर्ष अदालत ने नरैनी देवी बनाम केंद्र सरकार के मामले (Naraini Devi Vs Central Government case) में दिए गए फैसले के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष वकील सिद्धार्थ शुक्ला (Advocate Siddharth Shukla) ने यह जनहित याचिका को पेश किया। इस पर CJI ने कहा, इस अदालत के फैसले को जनहित याचिका के रूप में चुनौती नहीं दी जा सकती। आप अनुच्छेद- 32 के तहत आकर यह नहीं कह सकते कि एक निर्णय दूसरे निर्णय का उल्लंघन करता है। ऐसे में हम याचिका खारिज कर रहे हैं।