केरल विधानसभा: राज्यपाल ने हंगामें के बीच पढ़ा CAA के खिलाफ प्रस्ताव, कहा- मैं सहमत नहीं

केरल विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही सदन में जमकर हंगामा हुआ। नागरिकता कानून का विरोध करते हुए विपक्षी दल यूडीएफ के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने राज्यपाल के सदन में आते ही उनका रास्ता रोक दिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की।

Update:2020-01-29 10:30 IST

नई दिल्ली: केरल विधानसभा में हंगामे के बीच राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ राज्य सरकार के प्रस्ताव को पढ़ा। हालांकि, राज्यपाल ने पहले पढ़ने से मना कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के अनुरोध पर प्रस्ताव पढ़ा। प्रस्ताव को पढ़ने से पहले राज्यपाल ने बार-बार अपनी असहमति भी जाहिर की।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'मैं इस पैरा (सीएए के खिलाफ) को पढ़ने जा रहा हूं, क्योंकि सीएम चाहते हैं कि मैं इसे पढ़ूं, हालांकि मेरा मानना है कि यह नीति या कार्यक्रम के तहत नहीं आता है। सीएम ने कहा है कि यह सरकार का विचार है, और उनकी इच्छा का सम्मान करने के लिए मैं इस पैरा को पढ़ने जा रहा हूं।'

राज्यपाल का रास्ता रोका गया

बता दें कि बुधवार को केरल विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही सदन में जमकर हंगामा हुआ। नागरिकता कानून का विरोध करते हुए विपक्षी दल यूडीएफ के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने राज्यपाल के सदन में आते ही उनका रास्ता रोक दिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की।

राज्यपाल कानून के संबंध में ऐसी राय नहीं रखते

इस दौरान विधायकों ने 'रिकॉल गवर्नर' के स्लोगन लगे पोस्टर्स भी लहराए गए। बता दें कि बजट सत्र की शुरुआत से पहले मंत्रिपरिषद द्वारा तैयार राज्यपाल के अभिभाषण में नागरिकता संशोधन कानून को 'असंवैधानिक' और 'भेदभावपूर्ण' बताया गया है। वहीं, राज्यपाल कानून के संबंध में ऐसी राय नहीं रखते। एलडीएफ सरकार के सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने सीएमओ को मंगलवार को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें राज्यपाल ने मंत्रिमंडल द्वारा तैयार राज्यपाल के भाषण में सीएए को लेकर सरकार का पक्ष रखे जाने के मसले पर सीएम विजयन के स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया है।

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इससे पहले सोमवार को सीएम से स्पष्टीकरण मांगे जाने पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने राजभवन को सूचित किया था कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए अभिभाषण को सदन में राज्यपाल को बिना किसी बदलाव के ही पढ़ना चाहिए। इस पर राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वह प्रदेश सरकार की नीतियों और योजनाओं को लेकर ही मंत्रिमंडल या सदन के सदस्यों की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं।

राज्यपाल ने दिया जवाब

राज्यपाल ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही संविधान का आर्टिकल 176 (1) उन्हें इस बात के लिए बाध्य करता है कि वह बाहरी विषयों को लेकर प्रदेश सरकार के पक्ष और उसकी नीतियों को अपने भाषण में शामिल करें। राज्यपाल ने कहा कि मंत्रिमंडल ने भाषण में सीएए के जिक्र के जरिए नीतियों और योजनाओं के साथ अपनी राय को मिलाने की कोशिश की है। बता दें कि राज्यपाल के अभिभाषण के जिस हिस्से पर विवाद की स्थिति बनी है, उसमें राज्य सरकार द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ सदन में पारित रिजॉल्युशन का जिक्र किया गया है और कानून को 'असंवैधानिक' और 'भेदभावपूर्ण' बताया गया है।

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सदन में 'रिकॉल गवर्नर' के पोस्टर लहराए

बुधवार को राज्य विधानसभा में विपक्षी दल यूडीएफ के विधायकों ने जमकर हंगामा किया। विधायकों ने सीएए और एनआरसी का विरोध करते हुए सदन में खूब नारेबाजी की। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के सदन में पहुंचते ही विधायकों ने 'रिकॉल गवर्नर' के पोस्टर लहराए और उनका रास्ता भी रोका। विधायकों ने गवर्नर के खिलाफ नारे भी लगाए।

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