गोविंद से बड़े गुरु: 104 साल के नंदा सर 75 साल से कर रहे हैं शिक्षा दान
ये बुजुर्ग व्यक्ति न केवल छोटे बच्चों को शिक्षा की ज्योति जगा रहे हैं बल्कि यह अपने आस-पास के बुजुर्ग व्यक्तियों को भी शिक्षित करने का काम रहे हैं। नंदा प्रस्थी के इस प्रयास को लोगों ने खूब सराहा है।
नई दिल्ली: आज के समय में शिक्षा एक व्यवसाय हो गया है। आज शिक्षा नहीं व्यापार किया जाता है, लेकिन इस युग में भी एक व्यक्ति हैं, जिन्होंने बिना स्वार्थ के अपनी पूरा जीवन लोगों को शिक्षित करने में लगा दिया। महान कवि कबीर दास ने गुरू के विषय में कहा है कि
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष।।
104 साल के नंदा सर दे रहे शिक्षा दान
यह शख्स ओडिशा के जजपुर जिले के कंतिरा गांव के हैं। जिनकी उम्र 104 साल हैं। जो बिना शुल्क लिये बच्चों को शिक्षा का अलख जा रहे हैं। यह 75 साल से मुफ्त शिक्षा दें रहे हैं यह बुजुर्ग व्यक्ति पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं। आप को बता दें कि इस बुजुर्ग व्यक्ति का नाम नंदा प्रस्थी हैं। जो एक शिक्षक रह चुकें हैं।
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ये बुजुर्ग व्यक्ति न केवल छोटे बच्चों को शिक्षा की ज्योति जगा रहे हैं बल्कि यह अपने आस-पास के बुजुर्ग व्यक्तियों को भी शिक्षित करने का काम रहे हैं। नंदा प्रस्थी के इस प्रयास को लोगों ने खूब सराहा है। नंदा ने बताया कि बच्चों को उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए उन्हें विद्यालय भेजना चाहिए। अपने आजीवन काल में बच्चों को बिना किसी भेद भाव से पढ़ाया है।
क्या कहना है यहां के लोगों का
नंदा पेड़ के नीचे बच्चों को ज्ञान देते हैं। यह देख कर बारांदा गांव के सरपंच ने नंदा प्रस्थी से कहां कि वह सरकार से स्कूल खोलने के लिए अनुरोध करेंगे। लेकिन नंदा ने किसी भी तरह की सहायता लेने के लिए मना कर दिया।
उनके 30 वर्षीय पोते सर्बेश्वर ने मीडिया से बताया कि, “मुझे अपने दादाजी पर गर्व है जो पिछले 75 सालों से पढ़ा रहे हैं। जो भी यह सुनता है हैरान हो जाता है। दादाजी गाँव में नंदा सर के नाम से जाने जाते हैं। आज भी पढ़ाने के प्रति उनका उत्साह कम नहीं हुआ है।”
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नंदा को कहा से मिली प्रेरणा
उन्होंने बताया कि जब “मैं खेतों पर काम करता था और देखा कि हमारे गाँव में बहुत से लोग थे जो अनपढ़ थे। वे अपने नामों पर हस्ताक्षर करने में भी सक्षम नहीं थे और सभी अंगूठा छाप थे। यह देख मैंने उन्हें सिर्फ यह सिखाने के लिए बुलाया कि हस्ताक्षर कैसे करें। लेकिन कई लोगों ने पढ़ने की रुचि दिखाई और भगवद गीता पढ़ना शुरू किया। यही से मैंने लोगों के अंदर शिक्षा के प्रति ज्योति जलाने का काम शुरू कर दिया । आगे नंदा ने बताया कि मैं अपने पहले बैच के विद्यर्थियों के पोतो को इस समय पढ़ाता हूं।
क्या कहना है नंदा का
ज्ञान बांटना किसी की मदद करने जैसा है और इसलिए इस काम के कोई पैसे नहीं लिए जाने चाहिए।, “मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं और पढ़ाने से मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मैं चाहता हूँ कि हर बच्चा बड़ा होकर नेक इंसान बनें। इसलिए मेरा उद्देश्य पैसों की तुलना में कहीं ज्यादा कीमती था। मैं एक भी पैसा इसके लिए नहीं लेता।” यह कहना है नंदा का।
कितनी शिफ्ट में चलती है नंदा का क्लास
नंदा प्रस्थी को सुबह में जल्दी उठने की आदत है यह सुबह 6 बजे उठ कर सात बजे से नौ बजे तक बच्चों को पढ़ाते है। इसके बाद वह खुद अध्यन करते है और दूसरी शिफ्ट में 4:30 बजे से बच्चों की कक्षाएं लेते हैं। आप को बताते चले कि यह जानकारी 2019 बैच के आईएएस अवनीश शरण ने अपने ट्विटर अकांउट पर शेयर किया है
श्वेता पांडेय
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