दिल्ली चुनावः तो यह है केजरीवाल की हैट्रिक सफलता का राज
दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल जीत की हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटे..
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ। दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल जीत की हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटे जीतने वाली आम आदमी पार्टी मौजूदा विधानसभा चुनाव में 62 सीटों पर आगे चल रही है।
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पढे़-लिखे और राजनीतिक तौर पर परिपक्व मानी जाने वाली दिल्ली की जनता पर लगातार तीसरी बार अपना जादू चलाने में कामयाब हुए केजरीवाल की सबसे बड़ी खासियत उनका स्थानीय मुद्दों पर ही टिके रहना ही रहा। केजरीवाल ने दिल्लीवासियों की मूल सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी को ही अपने एजेंडे में रखा।
अपनी सरकार के कार्यों का ही प्रचार करते रहे केजरीवाल
इसके साथ ही केजरीवाल ने चुनाव के दौरान किसी भी तरह के विवादास्पद मुद्दे से दूरी बनाये रखी। दिल्ली चुनाव में भाजपा ने शाहीनबाग को एक बड़ा मुद्दा बनाया लेकिन केजरीवाल ने पूरे चुनाव में शाहीनबाग से दूरी बनाये रखी। इसके उलट वह अपनी सरकार के कार्यों का ही प्रचार करते रहे।
केजरीवाल और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने अपने सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी भाजपा के नेताओं के खिलाफ बोलने से परहेज किया। चुनाव के दौरान केजरीवाल ने मीडिया में कई साक्षात्कार दिए लेकिन भाजपा के मोदी-शाह समेत तमाम बड़े नेताओं के खिलाफ कोई आक्रामक बयान नहीं दिया बल्कि विनम्रता और शालीनता के साथ सभी मंचों पर अपनी बात रखते रहे।
इसके साथ ही केजरीवाल व उनकी पार्टी ने पूरे विधानसभा चुनाव में अपना फोकस किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे पर नहीं किया और न ही केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। आम आदमी पार्टी की ताकत उसके कर्मठ कार्यकर्ता साबित हुए। तमाम विरोध और बाधाओं के बावजूद आप कार्यकर्ता चुनाव की अधिसूचना जारी होने से मतगणना तक पूरी तरह से डटे रहे।
मुफ्त जैसी लुभावनी वादे भी केजरीवाल की जीत का एक मजबूत स्तंभ बना
इसके साथ ही दिल्ली चुनावों में आप के चुनावी वादे भी दिल्ली की जनता की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ें थे। इन चुनावी वादों में बिजली तथा पानी की बिल माफी हो या शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी जरूरतों को मुफ्त करने और बसों में महिलाओं का सफर मुफ्त जैसी लुभावनी वादे भी केजरीवाल की जीत का एक मजबूत स्तंभ बना।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का निष्क्रिय रहना भी आम आदमी पार्टी के लिए काफी मुफीद रहा। आम आदमी पार्टी का आधार वोट और कांग्रेस का आधार वोट एक ही है। वर्ष 2013 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ी आप ने जब वर्ष 2015 में दूसरा विधानसभा चुनाव लड़ा तो वह कांग्रेस के लगभग पूरे आधार वोट को अपने कब्जे में ले चुकी थी।
कांग्रेस ने आप को वाकओवर देने में कोई कसर नही छोड़ी
मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को यह पूरी तरह से आभास था कि वह जितनी भी सफलता हासिल करेगी उससे आप का नुकसान और भाजपा का फायदा होगा। इसी लिहाज से कांग्रेस की रणनीति पूरी तरह से आप को वाकओवर देने की रही। इसका संकेत उसके प्रत्याशी को देख कर तो मिला साथ ही कांग्रेस के प्रचार से भी इसको बल मिला। कांग्रेस के प्रचार के लिए राहुल और प्रियंका गांधी बहुत ही देर में सक्रिय हुए।