चिल्लर की कमी ने इस शख्स को बना दिया करोड़पति, जानें इनकी सफलता की कहानी

पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा को डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डालर (करीब 7,170 करोड़ रुपये) की फंडिंग मिल सकती है। ऐसा खबर है कि यूके के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सहित कई निवेशकों के साथ पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा से बातचीत कर रही है। 

Update: 2019-11-30 06:04 GMT

नई दिल्ली: पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा को डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डालर (करीब 7,170 करोड़ रुपये) की फंडिंग मिल सकती है। ऐसा खबर है कि यूके के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सहित कई निवेशकों के साथ पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा से बातचीत कर रही है। माना जा रहा है कि इस डील को अंतिम रूप देने में कुछ सप्ताह लगेंगे। इसके अलावा जापान के सॉफ्टबैंक और चीनी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा जैसी दिग्गज कंपनियों ने इसमें निवेश किया है। पेटीएम ने सोमवार को बताया कि कई इन्वेस्टर्स ने कंपनी में इन्वेस्ट किया है। जानते हैं पेटीएम का सफर..

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विजय बताते है कि नौकरी में मन नहीं लग रहा था, अपने ऑफिस आते- जाते समय उन्हें अक्सर खुले पैसों की समस्या का सामना करना पड़ता था। इसी समय तेजी से स्मार्टफोन का उपयोग भी बढ़ रहा था। विजय ने सोचा क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि फोन के माध्यम से ही छोटे मोटे भुगतान हो सकें और लोगों को खुले पैसों की समस्या से मुक्ति भी मिल जाए।

इसी विचार को ध्यान में रखकर उन्होंने (One97 Communications Ltd). के तहत पेटीएमडॉटकॉम(Paytm.com)नाम की वेबसाइट खोली और ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज सुविधा शुरू की। साल 2005 में उन्होंने वन 97 कम्यूनिकेशन नामक कंपनी शुरू की थी, जो मोबाइल कंटेंट- जैसे न्यूज, क्रिकेट स्कोर्स, रिंगटोंस, जोक्स और परीक्षाओं के रिजल्ट उपलब्ध कराती थी।

यह पेटीएम के फाउंडर व सीईओ विजय शेखर शर्मा से बेहतर शायद ही कोई जानता हो। विजय शर्मा के मुताबिक उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास खाने के पैसे तक नहीं थे। पेटभर खाने के लिए वह बहाने बनाकर दोस्तों के पास पहुंच जाते थे। इन सब दिक्कतों के बावजूद उन्‍होंने हिम्मत नहीं हारी और दिन-रात मेहनत कर 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी।

 

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उविजय शेखर शर्मा की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अलीगढ़ की एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से निकलकर उन्‍होंने 18 हजार करोड़ रुपए का व्यक्तिगत एसेट क्रिएट किया है। नकी शिक्षा सरकारी हिंदी माध्यम के स्कूलों में हुई। दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से उन्हें कई बार बड़ी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। डिक्शनरी से हिंदी को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके पढ़ते चले गए। आखिरकार इंग्लिश किताबों और दोस्तों की मदद से विजय ने समय रहते फर्राटा अंग्रेजी बोलना भी सीख लिया। महज 15 साल की उम्र में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही indiasite.net नामक वेबसाइट बना ली थी। किस्मत ने भी उनका साथ दिया और वेबसाइट बनने के महज दो साल बाद ही उन्हें इसके लिए पैसे भी मिले।

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