Maharana Pratap Jayanti: दो तारीखों पर मनाई जाती है महाराणा प्रताप की जयंती, जानिए क्या है इसका कारण

Maharana Pratap Jayanti : 9 मई के बाद आज 2 जून को भी देश के विभिन्न देशों में महान योद्धा और अद्भुत शौर्य और साहस के प्रतीक माने जाने वाले महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-06-02 05:43 GMT

Maharana Pratap (Image Credit : Social Media)

Maharana Pratap Jayanti 2022 : महान योद्धा और अद्भुत शौर्य और साहस के प्रतीक माने जाने वाले महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की जयंती आज भी मनाई जा रही है। इसके पहले गत 9 मई को भी देश के विभिन्न हिस्सों में इस महान योद्धा की जयंती धूमधाम से मनाई गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समिति तमाम हस्तियों ने गत 9 मई को महाराणा प्रताप की वीरता को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। 

महाराणा प्रताप के संघर्ष और साहस की गाथा सदियों से देशवासियों को प्रेरित करती रही है। उनका जीवन मातृभूमि और स्वाभिमान की रक्षा की प्रेरणा देता रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि इस महान योद्धा की जयंती दो तिथियों पर क्यों मनाई जाती है। 

9 मई को मनाई गई थी महाराणा की जयंती 

दरअसल विकिपीडिया समेत कुछ सरकारी और गैर सरकारी वेबसाइट्स में महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई 1540 को बताई गई है। इसी कारण हर साल 9 मई को देश के विभिन्न हिस्सों में महाराणा प्रताप की जयंती के सिलसिले में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस साल भी गत 9 मई को देशभर में महाराणा प्रताप की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने के साथ विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। 

आज फिर क्यों मनाई जा रही है जयंती?

अब 2 जून को भी महाराणा प्रताप की जयंती मनाने का ठोस कारण है। उदयपुर के हल्दी घाटी म्यूजियम और जयपुर स्थित सिटी पैलेस में उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ महीने की तृतीया तिथि को हुआ था। महाराणा प्रताप का जन्म गुरुपुष्प नक्षत्र में हुआ था और इसे हिंदुओं में काफी शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ की तृतीया तिथि आज होने के कारण महाराणा प्रताप की जयंती आज भी बनाई जा रही है।  

हल्दी घाटी म्यूजियम के मुताबिक 1540 में ज्येष्ठ की तृतीया तिथि 9 मई को पड़ी थी और इसी कारण उनकी तिथि जन्म तिथि 9 मई को ही मनाई जाने लगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस दिन जयंती मनाए जाने पर हर साल तारीख बदल जाती है, ठीक वैसे ही जैसे रामनवमी और अन्य हिंदू त्यौहार की तारीखें हर साल बदलती रहती हैं।

मुगल सेना के छुड़ा दिए थे छक्के 

महाराणा प्रताप को अदम्य साहस वाला महान योद्धा माना जाता रहा है। इतिहासकारों के मुताबिक हल्दीघाटी की लड़ाई में उन्होंने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे। इतिहासकारों का कहना है कि मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 21 जून 1576 को उदयपुर के पास स्थित हल्दी घाटी में युद्ध की शुरुआत हुई थी। इस लड़ाई में महाराणा प्रताप और उनके जांबाज सैनिकों ने मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया था। कई इतिहासकारों का कहना है कि हल्दीघाटी की लड़ाई में मुगल सेना को स्पष्ट जीत नहीं हासिल हो सकी। 

मुगल बादशाह अकबर भी इस लड़ाई के नतीजे से संतुष्ट नहीं था। इतिहासकारों का यह भी मानना है कि महाराणा प्रताप ने मुगल सेनाओं के सामने कभी हार नहीं मानी। महाराणा प्रताप को शिकार करने का काफी शौक था और शिकार करने के दौरान ही 1596 में उन्हें चोट लग गई थी। काफी इलाज कराने के बावजूद उनकी यह चोट ठीक नहीं हो सकी और 1597 में उनका निधन हो गया। निधन के समय महाराणा प्रताप की उम्र सिर्फ 57 वर्ष ही थी। महाराणा प्रताप ने भारतीय इतिहास में अपनी वीरता और साहस की अमिट छाप छोड़ी और आज भी लोग उनके साहस को सलाम करते हैं। 

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