कोलकाता कांड से चौतरफा घिर गईं ममता, नंबर दो की हैसियत वाले भतीजे अभिषेक भी नाराज, सुप्रीम कोर्ट की फटकार से भी झटका

Kolkata Doctor Rape Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ममता सरकार को इस गंभीर मामले में लापरवाही को लेकर कड़ी फटकार लगाई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-08-21 09:11 IST

ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी   (photo: social media ) 

Kolkata Doctor Rape Murder Case: भाजपा,वामदल और कांग्रेस से दो-दो हाथ करने के लिए हमेशा तैयार रहने वाली ममता बनर्जी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना को लेकर ममता बनर्जी बुरी तरह घिर गई हैं। राजनीतिक स्तर पर विपक्षी दलों ने उनकी नाक में दम कर रखा है तो प्रशासनिक और न्यायिक मोर्चे पर भी ममता को करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ममता सरकार को इस गंभीर मामले में लापरवाही को लेकर कड़ी फटकार लगाई है।

अब ममता बनर्जी के लिए सबसे कठिन चुनौती अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में बढ़ रही नाराजगी से निपटना है। पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले ममता के भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी भी इस कांड से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं। उनकी चुप्पी भी ममता और उनके वफादार नेताओं की बेचैनी बढ़ने वाली साबित हो रही है।

सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली से अभिषेक भी नाराज

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी सांसद सुखेंदु शेखर राय कोलकाता कांड को लेकर पहले ही सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को हिरासत में लेकर इस मामले की गहराई से जांच पड़ताल करने की मांग की है। उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर की गई लापरवाही को भी उजागर करते हुए कई सवाल पूछे हैं।

दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि पार्टी महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी भी ने भी इन दिनों पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बना रखी है। उन्होंने कोलकाता कांड को लेकर ममता बनर्जी के विरोध प्रदर्शन और मार्च में भी हिस्सा नहीं लिया था। वे कोलकाता कांड से निपटने के तौर-तरीकों से नाखुश बताए जा रहे हैं।

चर्चा का विषय बनी अभिषेक बनर्जी की चुप्पी

अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के मीडिया प्रबंधन से भी अपने को दूर कर रखा है। कोलकाता कांड को लेकर मीडिया में छप रही खबरों ने ममता बनर्जी को बेचैन कर दिया है और यही कारण है कि मीडिया के साथ पार्टी की कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने के लिए ममता बनर्जी ने चार सदस्यीय नई कमेटी के गठन किया है। इस पूरे प्रकरण को लेकर अभिषेक बनर्जी की चुप्पी पार्टी में चर्चा का विषय बनी हुई है।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अभिषेक बनर्जी ने ही पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभाल रखी थी। अभिषेक के चुनावी प्रबंधन से पार्टी को भारी फायदा हुआ था और टीएमसी राज्य की 42 में से 29 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। कोलकाता कांड का असर पूरे देश में दिख रहा है मगर इतनी बड़ी घटना को लेकर अभिषेक की चुप्पी सवालों के घेरे में आ गई है।

डॉक्टरों की मांगों को बताया न्याय संगत

बजट सत्र के दौरान लोकसभा में आक्रामक रुख दिखाने वाले अभिषेक बनर्जी आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद से ही चुप्पी साधे हुए हैं। अभिषेक बनर्जी ने अभी तक सिर्फ एक बार इस घटना के संबंध में बयान दिया है। 14 अगस्त की रात आरजी कर अस्पताल में घुसकर उत्तेजित लोगों ने जमकर तोड़फोड़ की थी और इस घटना के बाद अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता की घटना को लेकर एकमात्र पोस्ट में अपनी बात रखी थी।

उनका कहना था कि आरजी कर अस्पताल में गुंडागर्दी और बर्बरता ने सभी स्वीकार्य सीमाओं को पार कर दिया है। उनका कहना था कि मैंने कोलकाता पुलिस से इस तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति की पहचान करने का अनुरोध किया है ताकि जवाबदेही तय की जाए।

उनका कहना था कि ऐसे सभी लोगों को 24 घंटे के भीतर कानून का सामना करने के लिए तैयार किया जाए, भले ही वा किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हों। उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगों को उचित और न्यायसंगत भी बताया। उनका कहना था कि डॉक्टरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी है।

सरकार और पुलिस की गलती से बिगड़ गया माहौल

कोलकाता की घटना के बाद पश्चिम बंगाल में बने सियासी माहौल को ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ने वाला माना जा रहा है। कोलकाता की घटना को लेकर ममता सरकार और पुलिस की कार्यशैली के संबंध में गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जनता और विपक्ष का आरोप है कि इस जघन्य अपराध को लेकर सरकार और पुलिस के स्तर से कई बड़ी गलतियां की गईं जिसके कारण स्थिति और बिगड़ गई।

घटना के बाद ही छात्रों और डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था मगर सरकार और पुलिस ने इसे गलत तरीके से हैंडल किया। डॉक्टरों की मांगों को अनसुना करते हुए उन पर काम पर वापस आने का दबाव बनाया गया। ममता बनर्जी का इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करना भी लोगों के गले के नीचे नहीं उतरा क्योंकि पुलिस भी ममता सरकार के अधीन ही आती है।

ममता बनर्जी के इस विरोध मार्च की सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो गई हुई जिसमें ममता बनर्जी को जमकर खरी खोटी सुनाई गई। रही सही कसर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार ने पूरी कर दी। अब ममता इस प्रकरण को लेकर चौतरफा घिर गई हैं और यह देखने वाली बात होगी कि वे इस चक्रव्यूह से किस तरह बाहर निकल पाती हैं।

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