कुलभूषण जाधव केस: भारत की बड़ी जीत, ICJ ने अंतिम फैसले तक फांसी पर लगाई रोक

Update:2017-05-18 16:31 IST
कुलभूषण जाधव केस: भारत की बड़ी जीत, ICJ ने अंतिम फैसले तक फांसी पर लगाई रोक

नई दिल्ली: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ याचिका पर भारत को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे ) में बड़ी सफलता हासिल हुई है। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया है। भारत की इस सफलता के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपनी ख़ुशी जाहिर की। उन्होंने अपने मंत्रालय की ओर से इस केस में किए गए अथक प्रयासों और कड़ी मेहनत के लिए अधिकारियों की टीम की सराहना की।

आईसीजे ने गुरुवार (18 मई) को अपने अंतरिम आदेश में कहा, कि 'कुलभूषण को काउंसलर एक्सेस नहीं देना गलत है। दोनों देशों को पता है कि कुलभूषण जाधव भारतीय हैं। जाधव को विएना समझौते के तहत कांउसलर एक्सेस मिलना चाहिए। विएना समझौते के मुताबिक भारत की अपील जायज है। अभी ये तय नहीं है कि जाधव जासूस हैं या नहीं। कोर्ट ने यह भी माना कि जाधव की जान को खतरा है। साथ ही यह भी कहा कि जब तक इंटरनेशनल कोर्ट इस केस में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाती, तब तक पाकिस्तान कुलभूषण को फांसी नहीं दे सकता।'



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पाक का दावा नहीं माना जा सकता

आईसीजे के जज जस्टिस रोनी अब्राहम ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि 'उसे (जाधव) जासूस बताने वाला पाकिस्तान का दावा नहीं माना जा सकता। पाक ने आईसीजे में जो भी दलीलें दीं, वो भारत के तर्क के आगे कहीं नहीं ठहरतीं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वियना संधि के तहत भारत को कुलभूषण जाधव तक कॉउंसलर एक्सेस मिलना चाहिए।' रोनी अब्राहम ने कहा, कि जाधव की गिरफ्तारी विवादित मुद्दा है। अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगी रहनी चाहिए।





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आगे की स्लाइड में पढ़ें और क्या कहा आईसीजे ने:

ये भी कहा कोर्ट ने:

-आखिरी फैसले तक कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तान दुर्भावना युक्त कोई भी कदम न उठाए।

-आईसीजे ने कहा कि भारत की मांग विएना संधि के तहत सही है। उसे अपने नागरिक की कानूनी मदद का अधिकार है।

-भारत ने जो मानवाधिकारों के संबंध में निवेदन किया है वह हम पूरी तरह से ठीक मानते हैं।

-कोर्ट चाहता है कि पाकिस्तान अपनी तरफ से ऐसा कोई भी कदम न उठाए जिसमें दुर्भावना दिखती हो।

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-जाधव पर पाकिस्तान का दावा मायने नहीं रखता है।

-पाकिस्तान का जाधव को जासूस बताने का दावा साबित नहीं होता।

-दोनों देशों को पता है कि जाधव भारतीय हैं।

-भारत की मांग विएना संधि के तहत सही है। उसे अपने नागरिक की कानूनी मदद का अधिकार है।

-कोर्ट का मानना है कि इस मामले में कोर्ट का एकाधिकार नहीं है।

बता दें, कि कुलभूषण जाधव भारत के पूर्व नेवी अफसर हैं। भारत का आरोप है कि इन्हें ईरान से अपहरण कर पाकिस्तान लाया गया था। वहां कुलभूषण जाधव को जासूस बताया गया। फिर पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी।

मार्च 2016 में किया गया था गिरफ्तार

कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने मार्च 2016 में बलूचिस्तान में गिरफ्तार करने का दावा किया था। पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम कर रहा था। जबकि, भारत का कहना है कि जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि ईरान से अगवा किया गया था।

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