LAC पर अलर्ट सेना: चीन कर रहा ऐसी तैयारी, खतरनाक टैंक मिसाइलों से नहीं डरा
भारत और चीन के बीच जारी विवाद के जल्द खत्म होने की तो अब उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मई से जारी इस विवाद को लेकर कई बार दोनों देशों के बीच हुई वार्ता से भी कई मसला नहीं निकल पाया है। LAC पर सेना को पीछे करने की कोशिशों को लेकर हुई बातचीत में भी अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल पाया है।
नई दिल्ली: लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच जारी विवाद के जल्द खत्म होने की तो अब उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मई से जारी इस विवाद को लेकर कई बार दोनों देशों के बीच हुई वार्ता से भी कई मसला नहीं निकल पाया है। लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल(LAC) पर सेना को पीछे करने की कोशिशों को लेकर हुई बातचीत में भी अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल पाया है। वहीं इन दिनों लद्दाख में पारा माइनस डिग्री में जाने के बाद से हालात और ज्यादा बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं।
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सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में भी खतरा
इस साल मई से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाएं कई बार एक-दूसरे के आमने-सामने भी आई गईं। सेनाओं के बीच दो बार हिंसक झड़प हो चुकी है और दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक बैठकें कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। लेकिन चीन से सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में भी खतरा बना हुआ है।
लेकिन भारत सरकार इस बात को लेकर आशान्वित है कि लद्दाख में बर्फीली सर्दियों की तबाही के बीच जारी वार्ता से कम से कम पैंगोंग झील के आसपास की स्थिति में कुछ सुधार होंगे। फिर से चीनी सेना यहां से सैनिकों को पीछे वापस जाने को कहेगी।
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चीन भड़का हुआ
सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में सड़क, रेलवे और फाइबर-ऑप्टिक लाइनों जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में करीब 9.9 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इसके अलावा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 26 नए शहरों के निर्माण पर 1.3 बिलियन डॉलर खर्च किए जा रहे हैं।
ऐसे में भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल और मागर हिल के आसपास के कई स्थानों पर अगस्त में भारतीय विशेष बल ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। तब से चीन भड़का हुआ है और पीछे नहीं हटने की जिद पर अड़ा है। लेकिन अभी कोई संकेत नहीं है कि चीन लद्दाख के डेपसांग मैदानों जैसे क्षेत्रों में अपनी सेना को वापस करने के लिए तैयार है। फिलहाल सेना को चौकन्ना रहने को कहा गया है।
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