लखनऊ: कुष्ठरोग उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा प्रदेश में कुष्ठ रोग खोज अभियान आरंभ किया गया है। प्रदेश के 39 जिलों में में घर-घर जाकर टीम के सदस्य लोगों की स्क्रीनिंग करेंगें| जिले में 16 से 26 जुलाई तक 14 दिवसीय अभियान चलाया जाएगा।
कुष्ठ रोगी मिलते ही शुरू होगा इलाज
सीएमओ नरेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि जिले में चिकित्सक घर-घऱ जा कर कुष्ठ रोग के मरीज ढूंढेंगे। हर टीम में दो चिकित्सा अधिकारी लोगों को चिन्हित कर चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा कुष्ठ रोग खोजी अभियान के लिए जिले के सभी अधिकक्ष को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिससे अब अधीक्षक, आशाओं और एएनएम को प्रशिक्षित कर यह बताएंगे कि कैसे आशा बहुएं स्वयं व एक अन्य व्यक्ति की संयुक्त टीम बनाकर घर-घर जाकर व्यक्तियों में कुष्ठ रोग के लक्षणों की जांच करेंगी।
51 लाख लोगों की होगी स्क्रीनिंग
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी पी.के.अग्रवाल ने बताया जिले में 51 लाख लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही 3850 टीमों का गठन किया गया है, जो लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी। हर एक टीम में एक महिला व एक पुरूष चिकित्सक होंगे। पिछले साल जिले में कुष्ठ रोग के 497 मामले सामने आए थे। इस साल अप्रैल से जून तक 114 मामले सामने आए हैं। वर्ष 2017 से 2018 तक कुल 336 मरीजों का उपचार किया जा चुका है, बाकी बचे हुए मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इसके अलावा जिले की हर आशा को 1000 लोगों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य दिया गया है। जिले में अगर कुष्ठ रोग से पीड़ित कोई भी मरीज पाया जाता है तो उसे तत्काल सीएचसी पर रिफर किया जाएगा।
जीवाणु की आयु 20 वर्ष तक
डॉ पी.के.अग्रवाल ने बताया कि संक्रमण हो जाने के बाद कुष्ठरोग 2 वर्ष से लेकर 20 वर्ष की लम्बी अवधि वाला एक जीवाणु रोग है। यह सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। यदि उपयुक्त देखभाल न की जाये तो रोगी कुल मिलाकर अपने हाथों, पैरों और आँखों की संवेदना खो देता है। भारत में स्वतंत्रता के समय कुष्ठ रोग का कोई इलाज नहीं था, लेकिन अब है। अब ज्यादातर स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुष्ठ रोग की जाँच व दवाई मुफ़्त हैं। अगर कोई कुष्ठ रोग से पीड़ित पाया गया तो उसका इलाज शुरू किया जाएगा। यह इलाज नि:शुल्क होगा।
ये है चपेट में आने का कारण
इस रोग के संक्रमण का कारण रोगाणु या बैक्टीरिया होता है, जिसे माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहा जाता है, जो संक्रमण का कारण बनता हैं। यह संक्रमण रोगी की त्वचा को प्रभावित करता है तथा रोगी की तंत्रिकाओं को नष्ट कर देता हैं। यह रोग आंख और नाक में समस्याएं पैदा कर सकता है।
दो प्रकार का है कुष्ठ रोग
जानकारों की मानें तो कुष्ठ रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। इनमें पहला पॉसीबैसीलरी यानि अगर व्यक्ति के शरीर पर 5 या 5 से कम धब्बे होते हैं और जहां त्वचा की संवेदना समाप्त हो जाती है। दूसरा है मल्टीबैसीलरी जिसमें अगर व्यक्ति के शरीर पर 5 धब्बों से अधिक धब्बे होते हैं और जहां त्वचा की संवेदना समाप्त हो जाती है। यह दूसरा कुष्ठ रोग पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
कुष्ठ रोग को लेकर ये हैं धारणाएं
कुष्ठ रोग के साथ अनेक गलत धारणाएं जुड़ी हुई हैं। कुष्ठ रोगी को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है। यहां तक कि लोग इसे पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल मानते हैं। कुष्ठ रोग के विषय में यह भी गलत धारणा फैली हुई है कि यह रोग वंशानुगत होता है और छूत से फैलता है, जबकि कुष्ठ रोग सभी संचारी रोग जैसे क्षय रोग आदि में से सबसे कम संक्रमणीय है। लोगों का मानना है की यह खान पान की गलत आदतों जैसे सूखी मछली खाने से एवं अशुद्ध रक्त के कारण भी हो सकता है। ऐसा कुछ नहीं है।