'लंबे लॉकडाउन में कोरोना से ज्यादा मौतें होंगी', जानिए इस दिग्गज ने क्यों कहा ऐसा

देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने लॉकडाउन खोलने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि यदि लॉकडाउन लंबा चला तो कोरोना से ज्यादा लोगों की मौत भूख से हो जाएगी।

Update: 2020-04-30 14:40 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन को लेकर देश में लोगों की अलग-अलग राय है। वैसे अब उद्योग जगत से भी इसे खोलने के लिए आवाज उठने लगी है। देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने लॉकडाउन खोलने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि यदि लॉकडाउन लंबा चला तो कोरोना से ज्यादा लोगों की मौत भूख से हो जाएगी।

कोरोना से ज्यादा लोग भूख से मरेंगे

नारायणमूर्ति ने एक वेबिनार में हिस्सा लेते हुए लंबे लॉकडाउन के खतरों से लोगों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि भारत में बहुत लंबे समय तक लॉकडाउन जैसी स्थिति में नहीं रहा जा सकता। यदि हम लंबे समय तक लॉकडाउन को जारी रखेंगे तो कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली मौतों से ज्यादा मौतें भूख से होने लगेंगी। उन्होंने कहा कि देश को कोरोना वायरस को न्यू नॉर्मल के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

सरकार को उठाना चाहिए यह कदम

उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे लोगों को काम पर लौटने की अनुमति देनी चाहिए जो काम करने में सक्षम है मगर इसके साथ ही हमें जो लोग संक्रमित हैं उनका ध्यान रखने पर भी जोर देना होगा। विकसित देशों से तुलना करते हुए नारायणमूर्ति ने कहा कि उन देशों की अपेक्षा भारत में कोरोना से होने वाली मौतों की दर 0.5 फ़ीसदी है। यह दर काफी कम है। अभी तक सही नीतियों का पालन करके हम इस वायरस के प्रसार को कम करने में काफी हद तक कामयाब रहे हैं।

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प्रदूषण से होती हैं इतनी ज्यादा मौतें

उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न कारणों से हर साल करीब 90 लाख से अधिक मौतें होती हैं। इनमें से एक तिहाई मौतों का कारण तो प्रदूषण है क्योंकि भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित देशों में एक है। उन्होंने कहा कि जब आप पिछले दो महीनों में कोरोना से होने वाली मौतों की इस आंकड़े के साथ तुलना करें तो निश्चित रूप से यह आंकड़ा इतनी घबराहट नहीं पैदा करता जितनी कि हम सोचते हैं।

19 करोड़ लोगों की कमाई ठप

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने हमारे देश के लोगों को काफी हद तक प्रभावित किया है और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले या स्वरोजगार करने वाले 19 करोड़ लोगों में से अधिकांश ने अपनी आजीविका खो दी है। यह गंभीर स्थिति है और यदि लॉकडाउन और लंबे समय तक जारी रहा तो आजीविका खोने वालों का यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। इसलिए हमें लॉकडाउन खोलने पर विचार करना ही होगा।

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लंबे लॉकडाउन से होगा भारी नुकसान

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण देश में अधिकांश व्यवसायियों को भारी चोट लगी है। हर व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमाई पर काफी असर पड़ा है। साथ ही साथ सरकार के टैक्स संग्रह पर भी कोरोना संकट से भारी चपत लगी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नजर में जीडीपी का आकलन पिछले वर्ष के 4.5 फ़ीसदी से घटकर 1.9 फ़ीसदी तक पहुंच गया है। इसलिए इस बाबत हमें सोचना ही होगा। यदि लॉकडाउन लंबा चला तो हमें विभिन्न क्षेत्रों में और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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