ब्याज पर ब्याज: लोन मोरेटोरियम मामले पर बड़ी खबर, SC ने दिया निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने लोने मोरेटोरियम के मामले पर आखिरी सुनवाई 14 अक्तूबर को की थी। इस दौरान न्यायालय ने कहा था कि ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को जल्द लागू करना चाहिए।
नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रेडिट कार्डधारकों को ब्याज वापसी का फायदा नहीं देना चाहिए था। उच्चतम न्यायालय में लोन मोरेटोरियम मामले को लेकर चल रही सुनवाई एक बार फिर अगले सप्ताह तक के लिए टल गई है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बिजली उत्पादक कंपनियों से ऋण राहत पर आरबीआई को सुझाव देने की अपील की है।
क्रेडिट कार्डधारक कर्जदार नहीं
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि क्रेडिट कार्डधारक कर्जदार नहीं है, वे खरीदारी करते हैं, न कि कोई कर्ज लेते हैं। वहीं सरकार ने न्यायालय से गुहार लगाई कि आगे और किसी राहत की मांग पर विचार न किया जाए क्योंकि सरकार पहले ही उच्चतम सीमा पर पहुंच चुकी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार संकटग्रस्त क्षेत्रों को मदद के लिए हरसंभव मदद देने को तैयार है।
कर्ज अदायगी में कुछ वक्त तक छूट पर सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम मामले में ब्याज पर ब्याज माफ करने को लेकर अहम सुनवाई की। इसमें सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र के 9 नवंबर के हलफनामे के बारे में जानकारी दी। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच छह महीने की लोन मोरेटोरियम (कर्ज अदायगी में कुछ वक्त तक छूट) वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
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ब्याज पर लगने वाले ब्याज को माफ करने का निर्देश
केंद्र ने मार्च से अगस्त, 2020 के बीच ग्राहकों को लोन मोरेटोरियम की सुविधा पहले ही दी थी। इस अवधि के ब्याज पर लगने वाले ब्याज को माफ करने का निर्देश अदालत पहले ही दे चुकी है, जिस पर केंद्र सरकार भी सहमत हो चुकी है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि सरकार को जल्द से जल्द ब्याज माफी योजना लागू करनी चाहिए। अदालत ने कहा था कि लोगों की दिवाली इस बार सरकार के हाथों में है।
एक महीने बाद होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने लोने मोरेटोरियम के मामले पर आखिरी सुनवाई 14 अक्तूबर को की थी। इस दौरान न्यायालय ने कहा था कि ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को जल्द लागू करना चाहिए। केंद्र ने इसके लिए 15 नवंबर तक का वक्त मांगा था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने केंद्र को 2 नवंबर तक सर्कुलर जारी करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि जब फैसला हो चुका है, तो उसे लागू करने में इतना समय क्यों लगना चाहिए।
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उन्हें तो 'दुर्व्यवहार करने वाले वर्ग' का मान लिया गया
याचिका दायर करने वाली बिजली उत्पादक कंपनियों ने कहा कि उन्हें तो 'दुर्व्यवहार करने वाले वर्ग' का मान लिया गया है। उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 7 मार्च को कोविड-19 वाले दौर से पहले ही संसदीय समिति उनके कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग की मांग का समर्थन किया था, लेकिन ज्यादातर बैंक हमारे लोन को रीस्ट्रक्चर करने को तैयार नहीं हैं। बिजली उत्पादन कंपनियों पर 1.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन एफपीआई या एलआईसी को इनमें पैसा लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही।
ये है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने करोड़ों लोगों को त्योहारी सीजन का तोहफा देते हुए मोरेटोरियम अवधि के दौरान लोन ईएमआई में ब्याज पर लगने वाले ब्याज से राहत दे दी और लोगों के पैसे वापस किए। न्यायालय ने इसे जल्द लागू करने को कहा था और यह संकेत दिया था कि सरकार को इसे दिवाली से पहले लागू करना चाहिए।
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वित्त मंत्रालय ने 23 अक्तूबर को इस बारे में विस्तृत निर्देश जारी कर दिए। सरकार ने मार्च से अगस्त तक के छह महीने के लिए पात्र कर्जधारकों को एकमुश्त रकम वापस किया। यह रकम लोन की किश्त पर चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर के बराबर थी और इसे ग्राहकों के बैंक खातों में वापस किया गया।
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