Lok Sabha Elections: चुनाव की अंतिम पारी खेलते धुरंधर

Update: 2019-05-03 08:19 GMT
Lok Sabha Elections: चुनाव की अंतिम पारी खेलते धुरंधर

लखनऊ: देश में हो रहे 16वी लोकसभा के चुनाव में यूपी की राजनीति में कुछ ऐसे धुरंधर उतरे हैं जिनका यह चुनाव अंतिम चुनाव कहा जा रहा है। राजनीति के इन धुरंधर खिलाडिय़ो में कुछ ने तो खुद ही अंतिम चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है तो कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो बढ़ती उम्र के चलते पांच साल बाद होने वाले चुनाव में शायद ही हिस्सा न ले सकें। राजनीति के मैदान में इन धुरंधर खिलाडिय़ों की मंशा अपने इस आखिरी मैच में 'मैन आफ द मैचÓ बनने की है।

मुलायम सिंह यादव

यूपी की राजनीति में ध्रुव कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव पिछले पांच दशकों से सियासत के मैदान में सक्रिय हैं। वे विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तथा सांसद से लेकर रक्षा मंत्री तक की कुर्सी पा चुके हैं। समाजवादी पार्टी की स्थापना करने वाले मुलायम सिंह यादव की उम्र इस समय 80 साल की है। स्वास्थ्य कारणों से वह अब राजनीतिक कार्यों में दिलचस्पी कम ही लेते हैं। पिछली बार वे आजमगढ़ तथा मैनपुरी से चुनाव जीते थे। इस बार व केवल मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे है। पहले के चुनावों में सपा के स्टार प्रचारक हुआ करते थे और हर क्षेत्र के सपा प्रत्याशी उनकी सभा के लिए लालायित रहते थे मगर इस बार वे मैनपुरी छोड़कर कहीं की जनसभा में नहीं दिखे।

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सोनिया गांधी

पिछले दो दशकों से कांग्रेस की राजनीति की सिरमौर बनी रहीं सोनिया गांधी 1998 में पार्टी की अध्यक्ष चुने बनने के बाद 1999 में पहली बार बेल्लारी और अमेठी से सांसद चुनी गयीं। बाद में 2004, 2009, 2014 में वे लगातार रायबरेली सीट से सांसद चुनी गयीं। दिसम्बर 2017 में अपने बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद इस बार भी वे फिर रायबरेली में चुनाव लड़ रही हैं। स्वास्थ्य कारणों से उनकी राजनीतिक सक्रियता काफी कम हो गई है। साथ ही आगे उनकी बेटी प्रियंका गांधी के विरासत संभालने के संकेत भी मिल चुके हैं। 73 वर्षीय सोनिया गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि जब अगला चुनाव 2024 में होगा तब वह 78 वर्ष की हो चुकी होंगी। तब शायद वह दूसरे नेताओं की तरह सक्रिय राजनीति से खुद को अलग कर लें।

चौ.अजित सिंह

किसान नेता के रूप में पहचान रखने वाले स्व.चौ चरण सिंह के पुत्र 80 वर्षीय चौ.अजित सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक किसान नेता के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। 1986 में अजीत पहली बार राज्यसभा चुनावों में निर्वाचित हुए। 1987 में लोकदल के अध्यक्ष व1988 में जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे और 1989 लोकसभा चुनाव बागपत से जीते। वह इस सीट से 1991, 1996, 1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी विजयी रहे। वे केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार वह मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव मैदान में है। वह स्वयं कह चुके हैं कि अब इस चुनाव के बाद फिर से चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे।

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हेमा मालिनी

प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी बालीवुड की उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। चार दशक के कॅरियर में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में देने के बाद 20 साल पहले राजनीति के मैदान में कदम रखा और पार्टी प्रत्याशियों के लिए जमकर प्रचार किया। इसके बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा। फिर 2014 में मथुरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में वह रालोद के जयन्त चौधरी को हराकर लोकसभा पहुंचीं। इस बार वे फिर इसी सीट से चुनाव लड़ रही हैं। हेमामालिनी घोषणा कर चुकी है कि इस चुनाव के बाद वह कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी।

संतोष गंगवार

बरेली संसदीय सीट से सात बार सांसद चुने जा चुके संतोष गंगवार ने अपना पहला चुनाव 1981 में बरेली से भाजपा के टिकट पर लड़ा था जिसमें उनकी हार हुई। 1984 में हुए आम चुनावों मे वो दुबारा हारे। उसके बाद वह उत्तर प्रदेश के बरेली से 1989 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। 71 वर्षीय संतोष गंगवार फिर से चुनाव मैदान में है। भाजपा में 75 वर्ष से ऊपर को चुनाव न लड़ाए जाने के फार्मूले को देखते हुए 2024 में उनका चुनाव न लडऩा तय माना जा रहा है।

डॉ.निर्मल खत्री

पिछले पांच दशकों से राजनीति में सक्रिय रहने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ.निर्मल खत्री एक बार फिर फैजाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1981 में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे। खत्री विधायक से लेकर यूपी सरकार में मंत्री तक रह चुके है। वे दो बार (1984 और 2004) में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। 70 वर्षीय खत्री इस बार भी फैजाबाद सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। माना जा रहा कि उम्र को देखते हुए शायद वह 2024 का लोकसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर दें।

श्रीप्रकाश जायसवाल

कानपुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे श्रीप्रकाश जायसवाल एक बार फिर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं। 75 वर्षीय श्रीप्रकाश जायसवाल अपने लम्बे राजनीतिक कॅरियर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केन्द्र सरकार में कोयला और गृह राज्य मंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। इसके पहले 1989 में वह कानपुर नगर के मेयर भी रह चुके हैं। उनका भी यह आखिरी चुनाव माना जा रहा है। पिछले चुनाव में उन्हें भाजपा के डॉ.मुरली मनोहर जोशी से शिकस्त मिली थी।

इनके अलावा बढ़ती उम्र को देखते हुए वीके सिंह, राजेन्द्र अग्रवाल, मो.आजम खां, तबस्सुम हसन, सत्यपाल सिंह तथा राजबब्बर की अगले लोकसभा चुनाव यानी 2024 में मैदान में उतरना मुश्किल ही है।

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