बासी भोजन के हैं कई फायदे, खेती में हो रहा है ऐसे इस्तेमाल

क्या आप जानते हैं कि बासी भोजन, सड़ी-गली सब्जियों और उनके छिलके से भी बागवानी हो सकती है। चौंकिए मत, केजीएमयू ने ऐसा कर दिखाया है। यहां बागवानी में अब...

Update:2020-03-12 14:16 IST

लखनऊ: क्या आप जानते हैं कि बासी भोजन, सड़ी-गली सब्जियों और उनके छिलके से भी बागवानी हो सकती है। चौंकिए मत, केजीएमयू ने ऐसा कर दिखाया है। यहां बागवानी में अब रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता। परिसर के पौधों को वर्मी कंपोस्ट और फूड कंपोस्ट ही दी जाती है।

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इससे हर माह 15 हजार रुपये की बचत हो रही है। इतना ही नहीं कई डॉक्टर घर के कूड़े को भी केजीएमयू लाते हैं। इनकी बिक्री से मिलने वाले रुपयों से गरीब मरीजों की मदद होती है। केजीएमयू की कैंटीन में रोजाना करीब पांच हजार मरीजों का खाना बनता है।

फूड कंपोस्ट मशीन लगाई गई है

इसके लिए आने वाली सब्जियों के छिलके, छंटाई में निकलने वाली सड़ी-गली सब्जियों एवं मरीजों से बंटने के बाद बचे भोजन को फेंका नहीं जाता है, बल्कि उससे खाद बनाई जाती है। इसके लिए फूड कंपोस्ट मशीन लगाई गई है।

एक स्कूल के बच्चे ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है

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वहीं दूसरी ओर बिहार के गया जिले में एक स्कूल के बच्चे ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिसमें शादी-ब्याह, होटल व घरों में बच जाने वाले खाद्य पदार्थ अब बेकार नहीं होंगे। इनका इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाएगा। मानपुर प्रखंड के बारागंधार स्थित डीएवी इंग्लिश स्कूल के बच्चों ने इसका प्रोजेक्ट तैयार कर राष्ट्रीय बाल-विज्ञान कांग्रेस में प्रस्तुत किया है।

26वीं बाल-विज्ञान कांग्रेस 2018 में बच्चों ने इस प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया था

टीम लीडर सुधीर व दीपाली और मार्गदर्शक शिक्षिका प्रिया रानी के नेतृत्व में बच्चे पिछले एक माह से इसपर शोध कर रहे थे। शुक्रवार को जिलास्कूल में आयोजित जिलास्तरीय 26वीं बाल-विज्ञान कांग्रेस 2018 के अवसर बच्चों के इस प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया गया।

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