बारामती विधानसभा सीट: 57 वर्षों से पवार फैमिली का कब्जा, इस बार अजित के साथ खेल कर सकते हैं शरद पवार
Maharashtra Election 2024: बारामती विधानसभा सीट पर पिछले 57 वर्षों से पवार फैमिली का कब्जा बना हुआ है। खुद अजित पवार 1991 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं।
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद राज्य में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। दोनों गठबंधनों में शामिल विभिन्न दलों ने राज्य की विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी शुरू कर दिया है। एनसीपी के अजित पवार गुट ने 38 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में डिप्टी सीएम अजित पवार का नाम भी शामिल है जो बारामती विधानसभा सीट से किस्मत आजमाएंगे।
बारामती विधानसभा सीट पर पिछले 57 वर्षों से पवार फैमिली का कब्जा बना हुआ है। खुद अजित पवार 1991 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं। वैसे इस बार शरद पवार के कदम पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। जानकारों का कहना है कि शरद पवार अजित के भतीजे और अपने पोते युगेंद्र पवार के जरिए अजित पवार की घेराबंदी कर सकते हैं।
शरद पवार के बाद अजित बने विधायक
इस बार के विधानसभा चुनाव में अजित पवार एक बार फिर अपने घर में किस्मत आजमाने के लिए उतर गए हैं। बारामती विधानसभा सीट को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जाती रही हैं। पहले इस तरह की चर्चाएं थीं कि शरद पवार से अलग होने के बाद अजित पवार इस बार किसी दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं मगर अजित पवार ने बारामती से ही चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है।
बारामती विधानसभा क्षेत्र को पवार फैमिली का गढ़ यूं ही नहीं माना जाता। दरअसल एनसीपी के संस्थापक शरद पवार 1967 में पहली बार सीट से विधायक बने थे। इसके बाद वे 1990 तक लगातार इस सीट से विधायक बने रहे। 1991 के विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने इस सीट से चुनाव जीता था और इसके बाद लगातार सीट पर अजित पवार का कब्जा बना हुआ है।
लगातार बढ़ता गया अजित पवार का वोट
यदि पिछले तीन चुनावों की बात की जाए तो अजित पवार को मिलने वाले वोटों में लगातार इजाफा होता रहा है। 2009 के विधानसभा चुनाव के दौरान अजित पवार को इस सीट पर 1,28,544 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर इंडिपेंडेंट कैंडिडेट रंजन कुमार शंकर रॉव रहे थे, जिन्हें 25,747 वोट मिले थे। इस तरह अजित पवार ने भारी मतों से जीत हासिल की थी।
पिछले चुनाव में दी थी भाजपा को बड़ी शिकस्त
2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान एनसीपी उम्मीदवार के रूप में अजित पवार ने इस सीट पर भाजपा को हराकर जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में अजीत पवार को 1,50,588 वोट मिले, जबकि दूसरे पायदान पर बीजेपी के उम्मीदवार प्रभाकर दादाराम गावड़े को 60,797 वोट मिले थे।
2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान अजित पवार ने 1,65,641 वोट हासिल करते हुए भाजपा को बुरी तरह हराया था। भाजपा उम्मीदवार गोपीचंद पटलकर 30,376 वोट ही पा सके थे। इस तरह पवार ने 1,65,265 वोटों से जीत हासिल करते हुए भाजपा को बड़ी शिकस्त दी थी।
लोकसभा चुनाव में पत्नी को मिली थी हार
अब अजित पवार एक बार फिर अपने गढ़ में किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। अब सबकी निगाहें एनसीपी के नेता शरद पवार पर टिकी हुई हैं। बारामती लोकसभा क्षेत्र में हाल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराकर जीत हासिल की थी। बारामती क्षेत्र में शरद पवार की भी मजबूत पकड़ मानी जाती रही है।
युगेंद्र दे सकते हैं अजित को चुनौती
कहा जा रहा है कि इस विधानसभा क्षेत्र से अजित पवार के भतीजे युगेंद्र परिवार परिवार चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। 32 वर्षीय युगेंद्र महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार के पोते हैं और अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। युगेंद्र पवार परिवार के मुखिया एवं राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार के करीबी रहे हैं।
ऐसे में माना जा रहा है की शरद पवार की ओर से युगेंद्र को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान युगेंद्र ने सुप्रिया सुले के लिए प्रचार भी किया था। अगर शरद पवार की ओर से युगेंद्र परिवार पवार को बारामती से उतारा गया तो इस विधानसभा क्षेत्र में दिलचस्प मुकाबला दिखेगा।
शरद पवार के फैसले पर सबकी निगाहें
युगेंद्र पवार बारामती से चुनाव लड़ने के लिए तैयार भी दिख रहे हैं। उनका कहना है कि मैं किसी की जगह लेने में दिलचस्पी नहीं रखता हूं और मैं किसी का विरोध नहीं करना चाहता हूं। हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि वे चुनावी मुकाबले से पीछे नहीं हटेंगे।
बारामती इलाके से पूरी तरह परिचित युगेंद्र ने कहा कि बारामती के लोग शरद पवार के प्रति वफादार हैं जिनमें वे खुद भी शामिल हैं। वे अपने दादा को छोड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते। अब देखना है कि बारामती विधानसभा क्षेत्र को लेकर शरद पवार क्या फैसला करते हैं।