चीन पर तगड़ा वारः महाराष्ट्र सरकार ने 5000 करोड़ का प्रोजेक्ट छीना

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन को आर्थिक मोर्चे पर कई तगड़े झटके दिए गए हैं। अब इस बीच चीन को एक और करारा झटका लगा है।

Update: 2020-06-22 07:15 GMT

मुंबई: लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद चीन के खिलाफ देश में आक्रोश का माहौल है। इस घटना के बाद चीन को आर्थिक मोर्चे पर कई तगड़े झटके दिए गए हैं। अब इस बीच चीन को एक और करारा झटका लगा है। अब महाराष्ट्र सरकार ने चीन के साथ प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने केंद्र से बातचीत के बाद तीन चीनी कंपनी के प्रोजेक्ट पर फिलहाल पाबंदी लगा दी है।

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चीनी कंपनियों के पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश पर रोक

राज्य सरकार ने चीनी कंपनियों के पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश पर रोक लगा दी है। अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन आने के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने बीते दिनों महाराष्ट्र इन्वेस्टर समिट के दौरान चीन की कंपनियों के साथ पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश का निर्णय लिया था। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए उद्धव ठाकरे सरकार ने इन तीन प्रोजेक्ट को होल्ड पर रख दिया है। वहीं अन्य प्रोजेक्ट पर काम जारी रहेगा, क्योंकि इसमें दूसरे देशों की कंपनियां भी शामिल हैं।

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12 एमओयू पर सरकार ने किए थे हस्ताक्षर

बता दें कि ये सभी करार 15 जून को हुए थे। महाराष्ट्र सरकार ने 12 एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इनमें से सभी तीन प्रोजेक्ट को होल्ड पर रख दिया गया है। जबकि अन्य नौ प्रोजेक्ट के काम फिलहाल जारी रहेंगे। इन प्रोजेक्ट्स पर दूसरे देशों की कंपनियां भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने फिलहाल चीन के साथ कोई और अग्रीमेंट साइन नहीं करने की सलाह दी है। बता दें कि केंद्र ने राज्य सरकारों से चीन के प्रोजेक्ट और आयात पर जानकारी मांगी थी।

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बीएसएनएल ने भी दिया था तगड़ा झटका

बता दें कि इससे पहले भी भारत चीन को आर्थिक चोट पहुंचा चुका है। भारत ने इससे पहले भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल कहा है कि 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट 4जी सर्विस के अपडेशन के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है। बीएसएनएल अपने विभाग में उपयोग में आने वाले सभी चीनी उपकरण को बेदखल करने जा रहा है।

भारतीय रेलवे कैंसिल किया था करार

वहीं भारतीय रेलवे ने भी चीन को दिया गया 470 करोड़ का ठेका किया रद्द कर दिया है। डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) ने चीनी कंपनी को कॉन्‍टेक्‍ट दिया गया था, जिसे काम में लेटलतीफी के चलते रद्द किया गया है।

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