Maharashtra MLC Election: MLC चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में खींचतान, अपने प्रत्याशियों को जिताने की रणनीति

Maharashtra MLC Election: शिवसेना के इस रुख के बाद राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-06-16 07:11 GMT

महाराष्ट्र के MLC चुनाव की तैयारी (फोटो:सोशल मीडिया )

Maharashtra MLC Election: महाराष्ट्र में हाल में हुए राज्यसभा चुनाव (Maharashtra Rajya Sabha Election) में शिवसेना (Shivsena) उम्मीदवार की हार का असर राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में दिखने लगा है। राज्य में विधानपरिषद की 10 सीटों पर होने वाले चुनाव में गठबंधन में शामिल दलों के बीच खींचतान दिख रही है। शिवसेना ने अपने सहयोगी दलों कांग्रेस  (Congress) और एनसीपी (NCP) को स्पष्ट कर दिया है कि दोनों दलों को अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत के लिए शिवसेना से अतिरिक्त मतों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

शिवसेना के इस रुख के बाद राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस और एनसीपी ने समर्थन हासिल करने के लिए छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों से संपर्क साधा है। विधानपरिषद चुनाव को लेकर शुरू हुई इस खींचतान का असर आने वाले दिनों में निकाय चुनावों पर भी पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार का असर

दरअसल हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी संजय पवार को हार का मुंह देखना पड़ा था। भाजपा अपने तीनों प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाब रही थी जबकि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के एक-एक प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। भाजपा छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों को साधने में सफल रही थी। बाद में पार्टी ने इस हार को लेकर शिवसेना पर बड़ा हमला भी बोला था।

राज्यसभा चुनाव में मिली इस हार के बाद शिवसेना नेताओं ने गंभीर मंथन भी किया था। शिवसेना नेताओं का मानना है कि भाजपा को वोट देने वाले कई निर्दलीय विधायकों का एनसीपी नेताओं के साथ गहरा रिश्ता रहा है। ऐसे में एनसीपी नेताओं की भूमिका को लेकर सवाल भी उठे हैं। हालांकि शिवसेना ने गठबंधन होने के कारण इस मुद्दे पर खुलकर कोई बयान नहीं दिया है।

शिवसेना ने अपना रुख स्पष्ट किया

भाजपा के हाथों मिली इस हार का शिवसेना को करारा झटका लगा है और इसका असर विधानपरिषद की 10 सीटों पर होने वाले चुनाव पर भी दिख रहा है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने विधानपरिषद चुनाव में दो-दो प्रत्याशी उतारे हैं। शिवसेना की ओर से सहयोगी दलों को ही स्पष्ट कर दिया गया है कि उन्हें अतिरिक्त मत हासिल करने के मामले में शिवसेना से कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

शिवसेना इस बार अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने और क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए मुकम्मल इंतजाम कर रही है। पार्टी नेतृत्व की ओर से राज्य के वरिष्ठ मंत्री सुभाष देसाई और परिवहन मंत्री अनिल परब को विधायकों पर निगाह रखने और एकजुट होकर शिवसेना प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

एनसीपी और कांग्रेस की पुख्ता रणनीति

दूसरी और एनसीपी और कांग्रेस ने भी विधान परिषद चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पुख्ता रणनीति तैयार की है। एनसीपी के मुखिया शरद पवार इस बाबत अपनी पार्टी के नेताओं से बंद कमरे में लंबी चर्चा कर चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इस काम में लगाया गया है।

वहीं कांग्रेस की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने अपनी पार्टी को जीत दिलाने की रणनीति तैयार की है। प्रदेश के राजस्व मंत्री थोराट इस बाबत लगातार पार्टी के विधायकों से संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं। पार्टी की ओर से निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों से भी संपर्क साधा जा रहा है ताकि दूसरे प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो सके।

इस बार भी दिलचस्प जंग के आसार

राज्यसभा चुनाव की तरह ही विधानपरिषद चुनाव में भी दिलचस्प जंग होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि 10 सीटों पर 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। भाजपा इस चुनाव में भी सत्तारूढ़ गठबंधन को पटखनी देने की कोशिश में जुटी हुई है। यही कारण है कि एमवीए गठबंधन के सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

एनसीपी के दो नेता अनिल देशमुख और नवाब मलिक राज्यसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले सके थे। अब देखने वाली बात यह होगी कि ये दोनों नेता विधानपरिषद चुनाव में मतदान कर पाते हैं या नहीं।

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