Shinde in Ayodhya: महाराष्ट्र में हिंदुत्व के नए पोस्टर ब्वॉय होंगे सीएम एकनाथ शिंदे! अयोध्या दौरे का यह है मकसद

Shinde in Ayodhya: एकनाथ शिंदे का ये चौथा अयोध्या दौरा है। तीन बार वह उद्धव के साथ आ चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद वो पहली बार अयोध्या पहुंचे हैं। सियासी हलकों में एकनाथ शिंदे के इस दौरे की काफी चर्चा हो रही है।

Update:2023-04-09 19:36 IST
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ सिंधे आज करेंगे अयोध्या के राम लाला मंदिर में दर्शन

Maharashtra Politics: सियासत में टोटकों का भी बहुत महत्व होता है। आज रविवार को जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने दल बल के साथ रामलला के दर्श करने अयोध्या पहुँच गये हैं, तब यह कहा जा रहा है कि शिंदे अब महाराष्ट्र में हिंदुत्व के नये पोस्टर ब्वाय होंगे। लेकिन टोटकों पर भरोसा करने वालों का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने अपने दल बल के साथ जब रामलला के दर्शन किये, उसके केवल चौबीस दिन बात महाराष्ट्र में उनकी सरकार चली गई। यही नहीं, उनका पार्टी शिवसेना, उसका चुनाव चिन्ह भी उद्धव के हाथ से निकलकर शिदें के पास चला गया। वैसे भी शिंदे की यात्रा को लेकर जितने मुँह उतनी बातें कही जा रही हैं।

सीएम शिंदे का ये दौरा मीडिया में छाया हुआ है। वो अपनी पार्टी के तमाम विधायक, सांसद और कैबिनेट मंत्रियों के साथ भगवान श्री राम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे हैं। पूरा अयोध्या शिवसेना के पोस्टरों से भरा पड़ा है। एकनाथ शिंदे का ये तीसरा अयोध्या दौरा है। तीन बार वह उद्धव के साथ आ चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद वो पहली बार अयोध्या पहुंचे हैं। सियासी हलकों में एकनाथ शिंदे के इस दौरे की काफी चर्चा हो रही है। आज दिन भर शिंदे और उनके पार्टी के तमाम नेता विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। महाराष्ट्र के सीएम का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब उन्हें शिवसेना पार्टी पर कब्जा मिल चुका है। चुनाव आयोग ने उनके ही गुट को असली शिवसेना माना है। इस फैसले के बाद शिंदे शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की हिंदुत्व की उस लीगेसी को क्लेम करने में जुट गए हैं, जो अभी तक उनके बेटे उद्धव ठाकरे के पास है।

राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना की भूमिका

राम मंदिर आंदोलन में बीजेपी, वीएचपी और आरएसएस जैसे संगठनों के अलावा जिस संगठन की सबसे अधिक सक्रियता रही, वो बाला साहेब ठाकरे के शिवसेना की है। साल 1992 में हुए बाबरी विध्वंस का शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने पुरजोर समर्थन किया था। उन्होंने एकबार बड़ा दावा करते हुए कहा था कि उनके संगठन ने मस्जिद गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए वीएचपी के कार्यकर्ताओं के साथ - साथ शिवसैनिकों को भी ट्रेनिंग दी गई थी।

बाबरी विध्वंस में शिवसैनिकों की मौजूदगी की पुष्टि सीएम एकनाथ शिंदे के ताजा बयान से भी होती है, जो उन्होंने शनिवार को मुंबई एयरपोर्ट पर लखनऊ के लिए उड़ान भरने से पहले दिया था। शिंदे ने कहा था कि मुझे अभी भी याद है आनंद दिघे (जिसे सीएम शिंदे अपना सियासी गुरू मानते हैं) ने एक कारसेवक को चांदी की ईंट लेकर अयोध्या भेजा था। इसलिए रामलला के साथ हमारे पुराने संबंध हैं।

बाल ठाकरे स्वयं मरते दम तक अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण का समर्थन करते रहे और उन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराने की कभी निंदा नहीं की। यही वजह है कि बीजेपी से अलग होने के बावजूद उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी हमेशा से इसके पक्ष में बोलती रही है। जबकि फिलहाल वो उस खेमे में है, जिसने इसका पुरजोर विरोध किया था। उद्धव अपने पिता से मिले हिंदुत्व की इसी विरासत पर अपना दावा मजबूत करने तीन साल पूर्व अयोध्या गए थे। तब उद्धव महाराष्ट्र के सीएम हुआ करते थे और अपनी सरकार के 100 दिन पूरा होने पर अयोध्या पहुंचे थे।

अयोध्या में होगा धनुष बाण का पूजन

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भले अपने अयोध्या प्रवास को एक धार्मिक यात्रा कहें, लेकिन इसका मकसद पूरा सियासी है। अयोध्या के प्रसिद्ध सरयू तट पर शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष बाण का भव्य पूजन होगा। इसी निशान को लेकर शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच महीनों से रार चल रही थी, जिसमें आखिरकर बाजी एकनाथ शिंदे के हाथ लगी। शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अयोध्या से पूजन करके लाया जाने वाला धनुष बाण पूरे महाराष्ट्र में घुमाया जाएगा।

एकनाथ शिंदे को हिंदुत्व के नए पोस्टर ब्वॉय बनाने की कवायद

बाल ठाकरे के निधन और उद्धव ठाकरे से संबंध टूटने के बाद बीजेपी को महाराष्ट्र में एक ऐसी मजबूत सहयोगी की तलाश है, जो इनकी कमी की भरपाई कर सके। उद्धव ठाकरे, एनसीपी और कांग्रेस के एकसाथ हो जाने के कारण बीजेपी के लिए राज्य में चुनौती पहले से कहीं अधिक बड़ी हो गई है। हालिया विधानसभा उपचुनाव के नतीजे और चुनावी सर्वेक्षणों में बीजेपी का नुकसान साफ दिख रहा है। इससे ये साफ है कि अभी भी बड़ी संख्या में शिवसेना के निचले स्तर के नेता और कार्यकर्ता शिंदे गुट के साथ नहीं जुड़े हैं।

ऐसे में भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र में हिंदुत्व के नए पोस्टर ब्वॉय के रूप में उभारने की कोशिश में जुटी हुई है। शिंदे ने जब उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी, तब भी उन्होंने हिंदुत्व को ही इसकी वजह बताया था। बीजेपी को उम्मीद है कि सीएम शिंदे की अयोध्या यात्रा से शिवसेना के उस कैडर को एक बड़ा संदेश मिल सकेगा, जो अभी भी उद्धव ठाकरे के गुट के साथ बने हुए हैं। महाराष्ट्र सीएम अपने अयोध्या दौरे की शुरूआत से लेकर अब तक कई बार राम मंदिर आंदोलन में शिवेसना नेताओं के योगदान का जिक्र कर चुके हैं। बीजेपी एकनाथ शिंदे के जरिए उद्धव ठाकरे को कितना कमजोर कर पाती है तो अगले साल होने जा रहे दो बड़े चुनाव में स्पष्ट हो जाएगा।

महाराष्ट्र में अगले साल दो बड़े चुनाव

महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सियासी राज्य है। यूपी की 80 सीटों के बाद सबसे अधिक लोकसभा सीटें महाराष्ट्र के पास ही है, जो कि 48 है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के साथ बीजेपी ने अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की थी। महाराष्ट्र में अगले साल लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बचाने की दोहरी चुनौती भी है। इस दोहरी चुनौती से पार पाने में सीएम एकनाथ शिंदे बीजेपी के लिए कितने मददगार साबित होते हैं, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।

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