Maharashtra Politics: देवेंद्र फडणवीस पहले नेता नहीं जो सीएम के बाद बने डिप्टी सीएम, इनके साथ भी हुआ ऐसा

Maharashtra Politics: देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम बनते ही कई लोगों को खटका। उन्हें आश्चर्य हुआ कि जो शख्स राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो वो उप मुख्यमंत्री कैसे नियुक्त हुआ ?

Written By :  aman
Update:2022-06-30 21:46 IST

Maharashtra Politics Update : महाराष्ट्र में करीब 9 दिनों तक चले सियासी उठापटक का गुरुवार को पटाक्षेप हो गया। सभी कयासों को पीछे छोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) आलाकमान ने एकनाथ शिंदे को समर्थन देकर महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बनाया। वहीं, देवेंद्र फडणवीस को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम बनते ही कई लोगों को खटका। उन्हें आश्चर्य हुआ कि जो शख्स राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो वो उप मुख्यमंत्री कैसे नियुक्त हुआ?

तो आपको बता दें कि भारतीय राजनीतिक इतिहास में इससे पहले भी ऐसी घटना हो चुकी है। इससे पहले, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी सीएम पद पर रहने के बाद डिप्टी सीएम बनाए गए थे। ऐसा ही कुछ आज महाराष्ट्र की राजनीति में भी देखने को मिला। लगातार 'टर्न और ट्विस्ट' के बीच देवेंद्र फडणवीस ने आज राज्य के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हर कोई यही मानकर चला रहा था कि देवेंद्र फडणवीस ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन सियासी दांव-पेंच तो कुछ और ही था। अब, एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है।


कौन थे बाबूलाल गौर?

बाबूलाल गौर की पहचान बेबाक और मजदूर नेता के तौर पर रही है। दूसरे क्या, वो अपनों को भी खरी-खरी सुनाने में कभी नहीं हिचकते थे। धीरे-धीरे राजनीति में उन्होंने ऐसा सिक्का जमाया कि लगातार 10 बार विधायक चुने गए। ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। समाजवादी विचारक और नेता जयप्रकाश नारायण के आशीर्वाद के बाद बाबूलाल गौर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो कभी कोई चुनाव नहीं हारे।

जब मुख्यमंत्री बने गौर

बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनका कार्यकाल मात्र एक साल 98 दिन का रहा। हालांकि, बाबूलाल गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक (Independent MLA) चुने गए थे। उन्होंने 1977 में गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और साल 2018 तक वहां से लगातार जीतकर विधानसभा पहुंचे। बीमारी की वजह से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में वो चुनावी मैदान में नहीं उतरे।


शिवराज सरकार में बने उप मुख्यमंत्री

बाबूलाल गौर शायद पहले राजनेता रहे जिन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद उप मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। 4 दिसम्बर, 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार का गठन हुआ। शिवराज सरकार में बाबूलाल गौर को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। मंत्रिमंडल में उन्हें वाणिज्य, उद्योग, वाणिज्यिक कर रोज़गार, सार्वजनिक उपक्रम तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। 20 दिसंबर, 2008 को उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से सम्मिलित किया गया।

'बुलडोजर मंत्री' के रूप में पहचान

क्या आपको पता है बाबूलाल गौर उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे, लेकिन उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री और फिर उप मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। दरअसल, बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश में शराब की दुकान पर काम करने उत्तर प्रदेश से आए थे। शराब की दुकान पर काम करने वाला यह बालक धीरे-धीरे मजदूर नेता बना। आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान 'बुलडोजर सीएम' के रूप में है, लेकिन क्या आपको पता है कि बाबूलाल गौर की पहचान भी 'बुलडोजर मंत्री' के रूप में रही है।

मजदूर से मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे बाबूलाल गौर लगातार नौ बार भोपाल की गोविंदपुरा सीट से विधायक रहे। वो मुख्यमंत्री के अलावा सुन्दर लाल पटवा, उमा भारती और शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। सुंदर लाल पटवा की सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए बाबूलाल गौर ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए जो कदम उठाए, उसके बाद उन्हें 'बुलडोजर मैन' और 'बुलडोजर मंत्री' की संज्ञा मिली। गौर की राजनीतिक समझ और पार्टी तथा प्रदेश की जनता के लिए समर्पण उन्हें अलग कतार में खड़ा करती है।


आरएसएस से लंबा रहा जुड़ाव

बाबूलाल गौर पुराने संघी थे। उन्होंने 16 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था। संघ की विचारधारा का उनके व्यक्तित्व पर खासा असर जीवनभर रहा। बाबूलाल गौर सन 1946 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली, पंजाब सहित अन्य राज्यों में आयोजित संघ की शाखाओं और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। गौर ने आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल भी काटी।

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