Mahatma Gandhi Thoughts: गांधी हम शर्मिंदा हैं, कातिल तेरे ज़िंदा हैं

Mahatma Gandhi Thoughts: हमारे फिल्मकारों को चम्बल के डाकुओं को ही फिल्माने से फुर्सत नहीं मिलती, इसलिए गांधी की ओर केसे ध्यान देते? भला हो ब्रिटिश फिल्मकार एटनबरो का जो उन्होंने यह काम कर दिया।

Update:2023-06-10 08:35 IST

Mahatma Gandhi Thoughts: 2023 परम पूज्य बापू, सादर प्रणाम। आशा करता हूं कि आप वहां राजी-खुशी होगे। काफी दिन हुए आपका कोई समाचार नहीं मिला। हालांकि इधर से समय-समय पर लोग जाते रहे है। उन्होंने यहां का समाचार अपने-अपने ढंग से आपको बताया जरूर होगा।

​बापू, असमय ही हमें छोड़कर चले गये। लेकिन हम बराबर तुम्हारे बताये रास्ते पर चल रहे हैं। लोगों की याददाश्त कम होती देखकर हमने लगभग हर शहर में एक गांधी मार्ग बनवा दिया। इससे फायदा यह होता है कि जब उन सड़कों पर राहजनी होती है, छेड़खानी होती है या ट्रक-टेम्पो टकराते हैं। तमाम लोग तुम्हारी शक्ल देखना चाहते थे, आवाज सुनना चाहते थे। ऐसा तभी हो सकता था कि जब तुम पर एक फिल्म बनती। बेचारे हमारे फिल्मकारों को चम्बल के डाकुओं को ही फिल्माने से फुर्सत नहीं मिलती, इसलिए तुम्हारी ओर केसे ध्यान देते? भला हो ब्रिटिश फिल्मकार एटनबरो का जो उन्होंने यह काम कर दिया। बेशक इस फिल्म से लेकिन दर्शकों को नये सिरे से गांधीवाद देखने-सुनने का मौका तो मिला। शायद तुम न समझते होगे कि यहां आजकल कितने किस्म का गांधीवाद चल रहा है। मैंने इस पर गम्भीरता से चिन्तन किया है और पाया कि जिस तरह आम विभिन्न स्वादों वाला होता है, उसी तरह गांधीवाद भी विभिन्न तरीकों का है।

​तुमने देशी चीजों के इस्तेमाल पर बल दिया था। तुम्हें खुशी होगी कि अब गांव-गांव में उत्तम किस्म की देशी चीजें बन रही हैं, लोग उन्हें ग्रहण कर रहे हैं और गम गलत कर रहे हैं। हमारी आगे की योजना है कि आगे चलकर नागरिकों को गेहूं, चावल, चीनी की भांति ही कुछ देशी माल भी राशन कार्ड पर दिया जाया करे। देशी माल के निर्माण का सुफल यह है कि जहां लाखों लोग कुछ घंटों के लिए दुःख दर्द भूलते हैं, वहीं यदा-कदा सैकड़ों की तादाद में लोग सदा-सदा के लिए दुःख दर्द भूल जाते हैं। देशी हथियार रखते हैं। चूंकि उन्हें तुम्हारी बताई अहिंसा में आस्था है, लिहाजा पहले तो अहिंसक मुद्रा में कहते हैं-‘ताला चाभी मेरे हवाले कर दो।’ लेकिन जब वह नहीं मानता तो भी विदेशी को हाथ न लगाकर देशी हथियार को ही काम में लाते हैं। वे सारी अनावश्यक चीजें उससे छीन लेते हैं लेकिन लंगोटी उसके बदन पर रहने देते हैं।

​तुम रामराज लाने के लिए चिंतित थे। अब तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि रामराज आ गया है। राम के नाम पर सरकारें बनने लगी हैं। स्त्रियों को हर रोज़ अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। पर लोग अब पास फेल के चक्कर में नहीं पड़ते। लोग दूसरों के बीवी-बच्चों के साथ अपने बीवी-बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं, जो जैसा चाहता है वैसा करता है। बाबू , अफसर, नेता , वकील, डॉक्टर, पत्रकार , टीचर सब एक दूसरे का काम करते देखे जा सकते हैं। अपना काम कोई नहीं करता, किसी को किसी का डर नहीं है, सरकारें जनता की भलाई के लिए प्रतिदिन हजारों की तादाद में फैसले करती हैं। इतने फैसले तो रामराज में भी नहीं होते थे। उनका कार्यान्वयन कराया जाता है। जांच समिति बनायी जाती है फिर जांच रिपोर्ट दबाई जाती है। लोग जनता की सेवा करने का अवसर पाने के लिए निरंतर तप करते हैं और सेवा का अवसर मिलने पर त्यागवीर बन जाते हैं। लोकलाज, शर्म, हया सब कुछ त्याग देते हैं। राम तो बिना सोचे समझे राज छोड़ गये थे और प्रजा अनाथ हो गयी थी। लेकिन तुम्हारे चेले प्रजा को अनाथ नहीं होने देना चाहते। प्रजा की सेवा के लिए वे सब कुछ करने के लिए तैयार हैं-बूथों पर कब्जा करने के लिए भी, दल-बदल करने के लिए भी, घोटाले करने के लिए भी।वे मद्य निषेध व आबकारी दोनों विभाग चला रहे हैं। जिन राज्यों में शराब बंदी है। वहाँ जिस तरह ई कामर्स वाले सामान पहुँचाते हैं। उससे तेज गति से देशी विदेशी दोनों दरवाज़े पर पहुँच जाती है। खादी तो अब केवल आश्रमों का परिधान बन कर रह गया है। नेताओं ने डिज़ाइनर कपड़ों को लेकर आपस में होड़ शुरू कर दी है। तुम्हें नाथूराम गोड़से ने एक बार मारा। उसे फाँसी हो गयी। पर अब तो तुमको तमाम गोडसे रोज़ मार रहे हैं। पर उन्हें सोशल कही जाने वाली अन सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट लगातार मिल रहे हैं।

आप के चेले यह पाठ पढ़ा रहे हैं कि देश का बँटवारा आप ने करवा दिया। लोहिया और जय प्रकाश नारायण जैसे कुछ कुजात लोग ज़रूर इस पर किताब लिख दिये हों कि बापू को विभाजन के बारे में पता ही नहीं था। पर कहे पर यक़ीन ज़्यादा ज़रूरी है पढ़ें से। हमारे वेद भी लंबे समय तक लिखे थोड़े थे। कहे ही थे। तुम अंग्रेजों से लड़े थे। अब लोग तुम को सरदार पटेल, भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस से लड़वा रहे हैं। तुम्हारी अहिंसा को झूठा बता रहे हैं क्योंकि तुमने इन तीनों की हत्या की। तुमने तीन बंदरों में से एक का मुँह, दूसरे की आँख, तीसरे के कान बंद करवाये। तुमने कितना पाप किया। एक की जगह तीन बंदर इस्तेमाल किये। हम लोगों ने एक ही बंदर के आँख, कान व मुँह तीनों बंद करा कर काम चला लिया। आदमी को बंदर बना दिया। आप सत्य के साथ जीवन भर रहे। पर जो लोग एक घंटे भी अपने जीवन में सत्य के साथ नहीं रह सकते, वो आप के सबसे बड़े आलोचक है। यह ज़रूर है कि जहां जहां सत्य को किश्तों में मारा जाता है। वहाँ वहाँ हम लोग आपकी तस्वीर टांग लेते हैं। क्योंकि हमने आप के तीन की जगह एक बंदर से काम करा लेना सीख लिया है। आप की बकरी दूध देने की जगह काटे जाने के काम आने लगी है। आप का चरखा थम गया है। वह चलता तो है पर केवल आपके जन्मदिन व पुण्यतिथि पर ही। इन्ही दिनों आपकी समाधि पर झक सफ़ेद परिधान वालों की चहलक़दमी दिखती है। आप के चश्में से स्वच्छ भारत दिखता है। लोग भूल ही गये कि अत्योदय आपका भी विचार था।

आपके सत्य, अंहिसा के सिद्धांत की जगह आपके सेक्स रिश्तों को चटखारे लेकर पढ़ें पढ़ाये जा रहे है। तमाम लेखकों ने इस पर किताब लिख कर प्रसिद्धि पा ली। वे भले ही आप रे निंधन के बाद पैदा हुए हों पर लिखते इतने दावे से हैं मानों वे ही महादेव देसाई हों। हम लोग आप से बहुत नाराज़ है।क्योंकि आप को मारने की हमारी कोशिश भारत में भले सफल हो रही है पर आप दूसरे देशों में जीवित हो उठते हो। दुनिया के एक सौ तीस देशों ने आप को इज़्ज़त बख्शी है। वहाँ आप के नाम पर डाक टिकट या फिर सड़क का नामकरण ज़रूर हुआ है । कुछ देशों में आपकी प्रतिमा लग गयी है। कहीं किसी बिल्डिंग का नाम आपके नाम रख दिया गया है। इन देशों से कैसे निपटें और कैसे वह सच बतायें जो हमारे दिमाग़ में भूसे की तरह ठूँसा गया है। जिसे हमने अपने सोशल मीडिया पर परोस रखा है। पर सच कहूँ आप मानें या न मानें हम दुनिया भर में पसर रहे हैं। जल्द ही अपने मिशन ख़त्म करो में कामयाब हो जायेंगे।

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