India Alliance: इंडिया के चेयरपर्सन बने मल्लिकार्जुन खड़गे, संयोजक बनने से नीतीश का इनकार, नहीं आए ममता-उद्धव, नौ पार्टियां हुई शामिल

India Alliance: करीब दो घंटे तक चली इंडिया गठबंधन की बैठक में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई। इस बैठक का मकसद गठबंधन में संवादहीनता की कमी नहीं होने देना था। 28 दलों के इंडिया गठबंधन में केवल 9 पार्टियां ही इस वर्चुअल बैठक में शामिल हुईं।

Update:2024-01-13 16:34 IST

इंडिया के चेयरपर्सन बने मल्लिकार्जुन खड़गे, संयोजक बनने से नीतीश का इनकार, नहीं आए ममता-उद्धव, नौ पार्टियां हुई शामिल: Photo- Social Media

India Alliance: शनिवार को विपक्षी गठबंधन इंडिया की वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चेयरपर्सन बनाया गया है। हालांकि अभी इसका ऑफिशियल एनाउंसमेंट होना बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, पहले नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसकी पुष्टि बिहार के मंत्री संजय झा ने भी की।

करीब दो घंटे तक चली इंडिया गठबंधन की बैठक में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई। इस बैठक का मकसद गठबंधन में संवादहीनता की कमी नहीं होने देना था। 28 दलों के इंडिया गठबंधन में केवल 9 पार्टियां ही इस वर्चुअल बैठक में शामिल हुईं।

ये हुए शामिल-

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, लालू यादव और तेजस्वी यादव, बिहार के सीएम नीतीश कुमार (जेडीयू), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आप), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), सीताराम येचुरी (सीपीआई-एम), डी राजा (सीपीआई), शरद पवार (एनसीपी-शरद पवार) और डीएमके की तरफ से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन जुड़े।

 पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी: Photo- Social Media

नहीं आईं ममता, सीट शेयरिंग पर कांग्रेस से बना चुकी हैं दूरी-

इंडिया की बैठक में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। वह कांग्रेस को बंगाल में 2 सीटें देने पर अड़ी हैं।

टीएमसी बोली- बैठक की जानकारी देर से मिली-

तृणमूल सूत्रों ने कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी काफी देर से मिली और ममता के कार्यक्रम पहले से तय थे। इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ये बैठक कुछ दिन पहले होनी थी, लेकिन किसी वजह से ऐन मौके पर रद्द हो गई थी।

बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी ने बैठक में आने से इनकार किया है। दिसंबर 2023 में भी ममता इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुई थीं। तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने बैठक की जानकारी दो दिन पहले दी। ऐसे में मैं पहले से तय अपने कार्यक्रम रद्द नहीं कर सकतीं।

स्थिति को देखकर लग रहा है कि बीजेपी से टक्कर लेने के लिए बने इंडिया के 28 दलों के बीच सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। गठबंधन में शामिल कई पार्टियों के नेता ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे साफ है कि वे पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों में सीटों के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे।

बोले नड्डा- वर्चुअल गठबंधन केवल वर्चुअल मीटिंग ही करेगा

वहीं इंडिया गठबंधन की वर्चुअल मीटिंग को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जोरदार हमला बोलते हुए कहा- जब मैंने आज इंडिया गठबंधन की बैठक के बारे में सुना, तो मैंने पूछा कि बैठक कहाँ हो रही है और पता चला कि यह एक वर्चुअल बैठक है। वर्चुअल गठबंधन सिर्फ वर्चुअल मीटिंग ही करेगा। इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सकते।

इंडिया गठबंधन के केवल दो एजेंडे हैं, परिवार बचाओ और संपत्ति बचाओ-

पीएम मोदी का एजेंडा विकसित भारत, युवा सशक्तिकरण, महिला सशक्तिकरण, गरीबी कम करना है...लेकिन उनका (विपक्ष) एजेंडा क्या है? यह ‘मोदी हटाओ‘ है। इंडिया गठबंधन के केवल दो एजेंडे हैं, परिवार बचाओ और संपत्ति बचाओ।

ममता ने कहा- बंगाल में टीएमसी की बीजेपी से सीधी टक्कर

ममता बनर्जी ने 28 दिसंबर को राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उत्तर 24 परगना में एक रैली के दौरान ममता ने कहा कि हमें बीजेपी को सबक सिखाना है, किसी अन्य पार्टी को नहीं। बंगाल में टीएमसी की सीधी टक्कर बीजेपी से है। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सभी पार्टियों से खुले मन से बात की जाएगी।

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत: Photo- Social Media

संजय राउत ने कहा- शिवसेना (यूबीटी) महाराष्ट्र की बड़ी पार्टी

उधर, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने 29 दिसंबर को महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर कोई समझौता न करने के संकेत दिए थे। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा चुनाव में दादरा और नगर हवेली सहित 23 सीटों पर शिवसेना लड़ती रही है और वह मजबूती से लड़ेगी।

केजरीवाल ने पंजाब की सभी 13 सीटें मांगीं

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 17 दिसंबर को बठिंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। पंजाब के सीएम भगवंत मान भी वहां मौजूद थे। जनसभा के दौरान केजरीवाल ने लोगों से पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटें मांग लीं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और आप चीफ के इस बयान से साफ है कि पंजाब में सीट शेयरिंग को लेकर आप और कांग्रेस में टकराव देखने को मिल सकता है।

 मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल : Photo- Social Media

दिल्ली में फंसेगा पेंच

अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब की सभी 13 सीटें मांगी हैं। वहां आम आदमी पार्टी की सरकार है और दिल्ली में भी पार्टी सत्ता में है। ऐसे में राजधानी में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंस सकता है।

दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। राजधानी में आप और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग आसान नहीं रहने वाली है। आप चाहेगी कि सत्ता में होने के चलते उसे ज्यादा सीटें मिलें, वहीं कांग्रेस अपने पाले में ज्यादा से ज्यादा सीटें रखना चाहेगी।

बिहार में 40 सीटें, कैसे होगा सीट बंटवारा

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इंडिया में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस के साथ ही लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। यानी 40 लोकसभा सीटों के लिए छह पार्टियां दावेदार हैं। कांग्रेस नौ सीटें मांग रही है तो वहीं लेफ्ट पार्टियां भी आधा दर्जन से अधिक सीटें चाहती हैं।

वहीं सीएम नीतीश कुमार की कोशिश है कि कम से कम उन सभी सांसदों का टिकट सुनिश्चित हो जो 2019 में जीते थे। आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने को आधार बनाकर ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर रही है।

कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव

इंडिया में शामिल पार्टियों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारे का है। गठबंधन में शामिल ज्यादातर दल कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजनीतिक परिस्थितियों के चलते कांग्रेस करीब 310 सीटों पर लड़ सकती है और करीब 230 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल, चंडीगढ़ और गोवा में सीधी टक्कर है। यहां पर कांग्रेस को छोड़कर इंडिया के 25 दलों में से किसी का बहुत अधिक प्रभाव नहीं है। इन राज्यों में 131 सीटें ऐसी हैं, जहां पर बीजेपी 50 प्रतिशत से ज्यादा वोटों से जीती है। यानी इन सीटों पर भी इंडिया के बजाय कांग्रेस को जोर लगाना होगा।

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