Mallikarjun Kharge: मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को 51 साल बाद मिलेगा दलित अध्यक्ष, जानें इनके बारे में
Mallikarjun Kharge: राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार की पसंद बताए जा रहे हैं, खड़गे चुनाव जीत जाते हैं तो वे कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे।
Mallikarjun Kharge: अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) देश की सबसे पुरानी पार्टी के सबसे बड़े पद के प्रबल दावेदार के तौर पर मीडिया में छा गए हैं। आज सुबह तक एमपी के पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) रेस में सबसे आगे चल रहे थे लेकिन सीन में जैसे ही खड़गे की एंट्री हुई, सिंह ने अपनी दावेदारी वापस ले ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (mallikarjun kharge wikipedia) गांधी परिवार की पसंद बताए जा रहे हैं, इसलिए उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
ऐसे में खड़गे अध्यक्षी का चुनाव जीत जाते हैं तो आजादी के बाद वे कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे। उनसे पहले साल 1970-71 में दलित समाज से आने वाले पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए थे। वर्तमान में पूर्व स्पीकर मीरा कुमार कांग्रेस में उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही है। तो आइए एक नजर पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के सियासी करियर पर डालते हैं –
कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे (Who is Mallikarjun Kharge)
कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे एक वरिष्ठ राजनेता हैं। वर्तमान में वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका हैं। इससे पहले 16वीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी रह चुके हैं। खड़गे ने अपने 50 साल के सियासी सफर में राज्य और केंद्र की सरकार में विभिन्न मंत्रालयों का जिम्मा संभाला है। सार्वजनिक जीनव में उनकी छवि एक स्वच्छ और सक्षम नेता के रूप में रही है। वे राजनीति, कानून और प्रशासन के विषयों में पारंगत हैं। खड़गे अब तक के अपने राजनीतिक जीवन में 9 विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
खड़गे के बारे में दिलचस्प तथ्य (mallikarjun kharge biography in hindi)
मल्लिकार्जुन खड़गे का शौक किताबें पढ़ना, तर्कसंगत सोच, अंधविश्वास और रूढ़िवादी प्रथाओं के खिलाफ मुहिम को बढ़ावा देना हैं। उन्हें खेलों में क्रिकेट, कबड्डी और हॉकी काफी पसंद है। 21 जुलाई 1942 को कर्नाटक के बीदर जिले के वारवती गांव में जन्मे खड़गे का सियासी सफर छात्र जीवन के दौरान ही आरंभ हो गया था। वे गुलबर्गा में स्टूटेंड यूनियन के महासचिव बनाए गए थे। बता दें कि खड़गे भले ही खुद को कर्नाटक का मानते हों, लेकिन उनकी जड़ें महाराष्ट्र से जुड़ी हुई हैं। इसलिए वे मराठी अच्छी तरह से बोल और समझ लेते हैं।
50 सालों का लंबा सियासी अनुभव (mallikarjun kharge political career)
जीवन के 80 बसंत देख चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के पास 50 सालों का लंबा सियासी अनुभव है। खड़गे इस दौरान 9 बार विधानसभा और 2 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस में खड़गे को सबसे पहली जिम्मेदारी गुलबर्गा शहर कांग्रेस अध्यक्ष की मिली थी। बाद में यहीं की लोकसभा सीट से दो बार लगातार 2009 और 2014 में वे लोकसभा चुनाव जीते थे। हालांकि, 2019 के चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था। मल्लिकार्जुन खड़गे पहली बार साल 1972 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद लगातार 9 बार (1972-2008) उन्होंने विधायकी का चुनाव जीता। इस दौरान कई बार कर्नाटक की कांग्रेस सरकारों में वे मंत्री भी बने। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्हें केंद्र में मंत्री बनने का मौका मिला। खड़गे पहली बार श्रम मंत्री बने, इसके बाद उनका प्रमोशन हुआ और वे रेल मंत्री बने। 2014 में जब देश के अधिकांश हिस्सों में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया था, तब खड़गे ने लगातार दूसरी बार अपनी सीट निकाल ली थी। इसका उन्हें इनाम भी मिला, वे लोकसभा में कांग्रेस के नेता बनाए गए।
मुख्यमंत्री बनने से चुके लेकिन केंद्र में बढ़ा कद (mallikarjun kharge as cm)
कांग्रेस के अधिकतर पुराने नेता वर्तमान में अंदर से परेशान हैं या तो पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। खड़गे पार्टी के उन गिने - चुने पुराने चावलों में शुमार हैं, जिनकी पार्टी में अभी भी धाक कायम है। जिसका उन्हें आज इनाम भी मिलने जा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त जीत के बाद सीएम पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन हाईकमान के आदेश पर उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली। इसके बदले केंद्र में उनका कद बढ़ा दिया गया, श्रम मंत्री खड़गे को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। गांधी परिवार की इच्छा को हमेशा प्राथमिकता देने वाले खड़गे उनके गुडबुक में शामिल हैं। यही वजह है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पराजय झेलने के बावजूद उन्हें राज्यसभा लाया गया और गुलाम नबी आजाद जैसे बड़े कद के नेता को हटाकर उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
बेटे के लिए राज्य में बनाई जगह (Mallikarjun Kharge and Karnataka politics)
केंद्र की राजनीति में एक्टिव होने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक की राजनीति में अपने बेटे प्रियांक खड़गे के लिए जगह बनाई। पूर्व मंत्री प्रियांक खड़गे चित्तापुर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने हैं। वे राज्य में सियासी तौर पर खासे एक्टिव दिखते हैं। बात करें मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार की तो पत्नी राधाबाई के अलावा तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनका दूसरा बेटा बेंगलुरू में स्पर्श अस्पताल का मालिक है। साल 2019 के चुनावी हलफनामे में मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी संपत्ति करीब 10 करोड़ रूपये के आसपास बताई थी।
खड़गे का विवादों से नाता (Kharge's controversies)
मल्लिकार्जुन खड़गे के 50 सालों के सियासी सफर में दो बड़े विवादों में नाम आ चुका है। एक मामला तो दो दशक पुराना है। दरअसल साल 2000 में कन्नड़ सुपरस्टार डॉ राजकुमार का चंदन तस्कर ने अपहरण कर लिया था। खड़गे उस दौरान कर्नाटक के गृह मंत्री हुआ करते थे। विपक्ष ने उस दौरान उनकी भूमिका पर काफी सवाल उठाए थे। ताजा विवाद नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है, जिसमें गांधी परिवार फंसा हुआ है। वह नेशनल हेराल्ड से जुड़ी कंपनी यंग इंडिया के प्रिंसिपल ऑफिसर हैं। पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ भी की थी। हालांकि, अब तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।