जादू, टोना और डायन-बिसाही के बढ़ते मामले, कुप्रथा ने ली अबतक सैंकड़ों की जान
झारखंड में डायन के नाम पर अंधविश्वास इतना गहरा है कि, लोग किसी दलील को मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। साल 2015 में मांडर थाना क्षेत्र में डायन के नाम पर 5 महिलाओं को पहले निर्वस्त्र कर गांव में घूमाया गया और फिर सभी महिलाओं की सामूहिक हत्या कर दी गई।
रांची: झारखंड में डायन बताकर महिलाओं को मलमूत्र पिलाना, निर्वस्त्र कर घूमाना, सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देना, सिर मुंडाकर पूरे गांव में घूमाना, मुंह पर कालिख पोतना या फिर गांव से बाहर कर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस कुप्रथा की वजह से अबतक सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए डायन प्रथा निषेध अधिनियम 2001 भी है। हालांकि, इसे क़ानून के सहारे रोक पाना बेहद मुश्किल है। लिहाज़ा, इसके लिए जागरुकता अभियान की सबसे अधिक आवश्यक्ता है।
डायन बिसाही के नाम पर अधेड़ की हत्या.
ताज़ा मामला राजधानी रांची से महज़ कुछ किलोमीटर दूर बेड़ो में क़रीब 50 साल के अधेड़ व्यक्ति की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई है। मृतक की पहचान बरगी मुंडा के तौर पर हुई है। जानकारी के मुताबिक बरगी मुंडा को घर से सड़क पर लाया गया फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। मामले की जानकारी पाकर पहुंचे बेड़ो डीएसपी ने कहा कि, जागरुकता के अभाव में इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। मृतक के चार पुत्र और एक पुत्री है। हत्या की वारदात के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। आरोपियों की तलाश की जा रही है।
डायन के नाम पर पांच महिलाओं की सामूहिक हत्या
झारखंड में डायन के नाम पर अंधविश्वास इतना गहरा है कि, लोग किसी दलील को मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। साल 2015 में मांडर थाना क्षेत्र में डायन के नाम पर 5 महिलाओं को पहले निर्वस्त्र कर गांव में घूमाया गया और फिर सभी महिलाओं की सामूहिक हत्या कर दी गई। खास बात ये है कि, वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को गांव वाले कुछ बताने को तैयार नहीं थे। ऐसा लग रहा था कि, सभी गांव वालों की रज़ामंदी से हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया है।
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डायन बिसाही के पीछे अंधविश्वास
झारखंड में डायन बिसाही के पीछे मुख्यतः अंधविश्वास प्रमुख कारण रहा है। इसका शिकार महिलाओं के साथ ही पुरुष भी होते रहे हैं। गांव में किसी के बीमार होने के लिए किसी को ज़िम्मेदार ठहरा कर उसकी हत्या तक कर दी जाती है। अंधविश्वास ने इतनी गहरी पैठ बना रखी है कि, कोई इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने को तैयार नहीं होता। अंधविश्वास के अलावा परिवार की संपत्ति पर कब्जा करना भी एक कारण माना जाता है। जानकार बताते हैं कि, गांव के दबंग लोग साज़िश के तहत डायन बिसाही का आरोप लगाकर संपत्ति पर कब्जा कर लेते हैं।
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राजनीतिक दलों के एजेंडे से ग़ायब है डायन बिसाही
डायन बिसाही के नाम पर हत्या झारखंड के माथे पर कलंक के समान है। बावजूद इसके राजनीतिक दलों के एजेंडे से ये ग़ायब है। राष्ट्रीय दलों से लेकर झारखंड नामधारी पार्टियां इसे लेकर गंभीर नज़र नहीं आती हैं। जल, जंगल और ज़मीन की बात करने वाली पार्टियां भी चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल नहीं करती हैं। इसे मात्र आपराधिक वारदात मानकर चुक बैठना मुनासिब नहीं है। बल्कि, इसकी रोकथाम के लिए सामाजिक आंदोलन की ज़रूरत है। सरकारी विभागों द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान में और तेज़ी लाने की आवश्यक्ता है। साथ ही शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना भी आवश्यक है।
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रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट