Third Party Insurance: गाड़ी चलाने वालों के लिये जरूरी खबर, करवा लें थर्ड-पार्टी बीमा, मुश्किल हो जायेगा पेट्रोल-डीजल मिलना
Third Party Insurance: भारतीय सड़कों पर बिना बीमा वाले वाहनों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में थर्ड-पार्टी बीमा के दायरे को बढ़ाने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया है।;
भारतीय सड़कों पर बिना बीमा वाले वाहनों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में थर्ड-पार्टी बीमा के दायरे को बढ़ाने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया है। यदि ये उपाय लागू होते हैं, तो आपको जल्द ही अपने वाहन के लिए थर्ड-पार्टी बीमा का प्रमाण दिखाना अनिवार्य हो सकता है, जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण, FASTag प्राप्त करना या ईंधन खरीदने के लिए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रस्तावित उपायों में वाहन मालिकों को यह साबित करना शामिल है कि उनके पास वैध थर्ड-पार्टी बीमा है, इससे पहले कि वे ईंधन खरीद सकें, FASTag प्राप्त कर सकें, अपने ड्राइविंग लाइसेंस को नवीनीकरण करा सकें, या प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकें।
वाहन मालिकों को भेजे जाएंगे मैसेज
वित्त मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव किया है कि सरकार बिना बीमा वाले वाहन मालिकों को मैसेज भेजना शुरू करे। यह कदम उस समय उठाया गया है, जब केंद्र भारत में बीमा कवरेज में अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है, जो मोटर वाहन अधिनियम के तहत कड़े दंड के बावजूद चिंता का विषय बना हुआ है। वर्तमान में भारतीय सड़कों पर आधे से अधिक वाहन थर्ड-पार्टी रिस्क के लिए बीमित नहीं हैं।
तीन महीने तक की जेल
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत, सभी मोटर वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है। इसका उल्लंघन करने पर तीन महीने तक की जेल हो सकती है। सड़क मंत्रालय भी सख्त प्रवर्तन उपायों की संभावना पर विचार कर रहा है, और जल्द ही अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन नियमों को प्रभावी रूप से लागू करें।
भारत में वाहन बीमा कवरेज
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2024 में सड़कों पर चलने वाले लगभग 350-400 मिलियन वाहनों में से केवल लगभग 50 प्रतिशत वाहन थर्ड-पार्टी बीमा कवरेज से कवर हैं। हाल ही में एक संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने इस अंतर को दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इस मुद्दे से निपटने के उपायों की सिफारिश की। पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि वित्तीय संस्थान बीमा कवरेज का प्रमाण प्राप्त करने के बाद ही ऑटो लोन जारी करें।