Manish Sisodia Bail Plea: '...तो AAP को पक्षकार क्यों नहीं बनाया?' सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा
Manish Sisodia Bail Plea : AAP नेता मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी से पूछा कि, ED का आरोप है कि रिश्वत का पैसा उनके राजनीतिक दल तक पहुंचा है। लेकिन, अब तक राजनीतिक दल को तो आरोपी नहीं बनाया गया है।
Manish Sisodia Bail Plea : दिल्ली शराब घोटाला (Delhi liquor policy case) मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से पूछा कि, 'अगर अपराध की रकम राजनीतिक दल को मिली तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया?'
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) और जस्टिस एसवी भट्टी (Justice SV Bhatti) की सदस्यीय पीठ ने ED की पैरवी कर रहे एएसजी एसवी राजू (ASG SV RAJU) से पूछा कि, 'जब इस पूरे मामले में कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) को फायदा हुआ, तो आखिर पार्टी को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया?'
...तो अब तक पॉलिटिकल पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया?
दरअसल, AAP नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी ED से पूछा कि, 'जांच एजेंसी का आरोप है कि रिश्वत का पैसा उनके राजनीतिक दल तक पहुंचा। लेकिन, अब तक पॉलिटिकल पार्टी को तो आरोपी नहीं बनाया गया है। शीर्ष अदालत ने ईडी से ये भी कहा कि, वो कल तक इस मामले में अपना पक्ष रखें। सुनवाई के दौरान पीठ ने एक और सवाल पूछा- 'क्या कैबिनेट नोट को कोर्ट ऑफ लॉ में लाया जा सकता है? इस पर ASG एसवी राजू अगली सुनवाई में जवाब देंगे।
सिंघवी बोले- अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है
सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया की ओर से सीनियर लॉयर अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने दलीलें पेश की। उन्होंने कहा, 'अब तक जांच एजेंसी को पैसे के लेन-देन के कोई सबूत नहीं मिले हैं। और न ही मनीष सिसोदिया के पास से कोई बरामदगी हुई। उन्होंने कहा, दो आरोपियों को सरकारी गवाह बनाया गया है। लेकिन, साफ दिखाई दे रहा है कि किन हालातों में वो गवाह बने। जैसे ही उन्होंने अपने बयान दिए, उन्हें जमानत मिल गई। जबकि, इस मामले के कुछ अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।'
'आबकारी नीति लाने का फैसला संस्थागत था'
सर्वोच्च न्यायालय में सिसोदिया की तरफ से कहा गया कि, 'दिल्ली में नई आबकारी नीति लाने का फैसला संस्थागत था। उसे कैबिनेट की भी मंज़ूरी मिली और एलजी की भी। बिचौलियों की भूमिका खत्म करने के लिए नई आबकारी नीति बनाई गई थी। सिंघवी ने सिसोदिया की तरफ से सभी आरोपियों की सूची गिनाते हुए कहा, शरत कुमार (Sharat Kumar), दिनेश अरोड़ा (Dinesh Arora) और राघव मगुंटा (Raghav Magunta) सरकारी गवाह बन चुके हैं। इन सभी को जमानत मिल चुकी है, सिर्फ सिसोदिया ही अब तक जमानत से वंचित रहे हैं। अब गुरुवार को ASG एसवी राजू जवाब देंगे।