Manmohan Singh : भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता

Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पीछे यादगार विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने 1991 में भारत में एक नए युग की शुरुआत करने वाले सुधारों और उदारीकरण के निर्माता के रूप में इतिहास में अपना स्थान सुनिश्चित किया है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-12-26 22:46 IST

Manmohan Singh Death ( Pic- Social- Media)

Manmohan Singh Death: एक विद्वान और राजनेता, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पीछे यादगार विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने 1991 में भारत में एक नए युग की शुरुआत करने वाले सुधारों और उदारीकरण के निर्माता के रूप में इतिहास में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। मनमोहन सिंह ने देश को दिवालियापन और आर्थिक पतन से बचाने और इसे डेवलपमेंट और ग्रोथ के मार्ग पर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नागरिकों को कानूनी रूप से भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, काम का अधिकार और सूचना का अधिकार सुनिश्चित किया गया। डॉ. सिंह की अधिकार-आधारित क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की।

अभूतपूर्व विकास और समृद्धि की यह कहानी डॉ. सिंह के 2004-2014 के प्रधानमंत्रित्व काल की कहानी है। लेकिन इसकी शुरुआत 1991-1996 के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुई, जब इसकी पटकथा पहली बार आकार लेने लगी। जुलाई 1991 में, डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण का समापन इन शब्दों के साथ किया, “पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है। मैं इस सम्मानित सदन को सुझाव देता हूं कि दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उदय ऐसे ही एक विचार का परिणाम है।” यहीं से उनके भारत के विचार की शुरुआत हुई।

महत्वपूर्ण मुकाम

मनमोहन सिंह के लिए महत्वपूर्ण क्षण 1991 में आया जब उन्होंने प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के अधीन वित्त मंत्री के रूप में अर्थव्यवस्था को नियंत्रण मुक्त किया, लाइसेंस राज को खत्म किया और कराधान और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और व्यापार में क्रांतिकारी बदलाव किए।

 वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने कई मोर्चों से दबाव के बीच अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उस समय भारत का राजकोषीय घाटा और भुगतान संतुलन घाटा बहुत अधिक था और देश का विदेशी मुद्रा भंडार आयात के लिए मुश्किल से दो सप्ताह के लिए ही बचा था। स्थिति इतनी विकट थी कि सरकार ने पहली और आखिरी बार आईएमएफ सहायता का सहारा लिया और धन जुटाने के लिए देश का स्वर्ण भंडार गिरवी रख दिया।

- 1991 में मनमोहन सिंह के कार्यों का भारतीय अर्थव्यवस्था, वित्तीय परिदृश्य और समग्र व्यापार तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।

- उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण, बाजार के खुलने, कई नए उद्योगों के निर्माण और विकास तथा मध्यम वर्ग के हाथों में आय में वृद्धि और परिणामस्वरूप उपभोक्तावाद का मार्ग प्रशस्त किया।

- जब निर्यात आयात नियमों में ढील दी गई और सरकार ने व्यापार करने में आसानी के लिए भारी सुधार किया, तो भारत में उद्यमशीलता के क्षेत्र में भी जबर्दस्त विस्तार हुआ।

- भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, एनएसई की स्थापना भी 1992 में उनके कार्यकाल के दौरान की गई थी।

- 2009-10 और 2013-14 के बीच, जिस अवधि में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ी।

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